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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में BJP का 'खेला', सपा हुई चित

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Published : Jun 27, 2021, 2:21 PM IST

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की रार.
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की रार.

बनारस में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर सपा की घोषित प्रत्याशी चंदा यादव के नामांकन के दोनों सेट डीएम ने तमाम खामियां बता कर खारिज कर दिया, लेकिन बीजेपी की प्रत्याशी पूनम मौर्या के दो सेट नामांकन में से एक सेट को खारिज कर दूसरे को स्वीकार कर लिया गया. जिसके बाद पूनम मौर्या निर्विरोध निर्वाचित हो गई हैं, हालांकि अभी घोषणा नहीं हुई है. इसको लेकर सपा ने बीजेपी पर 'खेला' करने का आरोप लगाया है.

वाराणसी: वाराणसी में आखिरकार शनिवार देर रात खेला हो ही गया और इस खेला में बीजेपी ने सपा को पटखनी दे दी. इतिहास में जाएं तो साम दाम दंड भेद के दांव राजनीति में खूब चले जाते रहे हैं. कई बार इसके चलते विपक्ष चुनाव आयोग और प्रशासन के सहारे सत्ता पक्ष पर धांधली का आरोप लगाता रहा है. इस बार पंचायत चुनाव में सपा ने पहले ही डीजीपी और चुनाव आयोग को पत्र दिया जिसमें धांधली की आशंका जाहिर की गई थी. अखिलेश यादव ने इसे लेकर बयान भी दिया था. अब जब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए नामांकन शुरू हुआ तो राजनीतिक 'खेला' अपने रोमांच पर है.

'वाराणसी में हुआ खेला'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में बीजेपी के लिए सम्मान की लड़ाई बन चुकी जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर आखिरकार शनिवार की देर रात बड़ा 'खेला' हो गया. शनिवार को दिन भर चली उठा-पटक के बाद आखिरकार रात तक जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर सपा की घोषित प्रत्याशी चंदा यादव के नामांकन के दोनों सेट डीएम ने तमाम खामियां बता कर खारिज कर दिया, लेकिन बीजेपी की प्रत्याशी पूनम मौर्या के दो सेट नामांकन में से एक सेट को खारिज कर दूसरे को स्वीकार कर लिया गया. जिसके बाद पूनम मौर्या निर्विरोध निर्वाचित हो गई हैं, हालांकि अभी घोषणा नहीं हुई है.

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की रार.

मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पहले ही दिया था इशारा

भारतीय राजनीति में ये कोई नई बात नहीं है. चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा या फिर ग्राम पंचायत या जिला पंचायत के चुनाव विपक्ष और सत्ता पक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता ही रहता है. इतना ही नहीं सत्ता पक्ष चुनाव जीतने के लिए हर तरह के उपाय अपनाता है. ऐसे में प्रशासन पर भी आरोप लगते हैं. बीजेपी का यह खेल कोई नया नहीं है, इसके पहले 2019 में और 2017 में भी बीजेपी सपा के साथ ऐसा ही कुछ बड़ा 'खेला' कर चुकी है. यह बीजेपी के लिए कोई नई बात नहीं है. शनिवार को हुए इस 'खेला' को लेकर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पहले ही इशारा कर दिया था. पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि खेला तो भाजपा ही करेगी.

पूनम मौर्या निर्विरोध निर्वाचित .
पूनम मौर्या निर्विरोध निर्वाचित.

समझिए ये है चुनावी गणित, वोटर कम फिर भी जीत
वाराणसी में हुए इस पूरे खेल के लिए यहां का चुनावी गणित समझना होगा. वाराणसी में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए जिला पंचायत सदस्यों के कुल 40 वोट में से 21 वोट जीत के लिए चाहिए थे, लेकिन जिला पंचायत सदस्य चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 7 सीटों पर ही जीत मिली थी. जबकि समाजवादी पार्टी ने 14 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस चुनाव के लिए पहले से ही दुगनी सीटों के साथ सपा मजबूत थी. हालांकि बाद में बीजेपी ने एक निर्दल प्रत्याशी को अपनी तरफ मिलाया और उसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया. जिसके बाद बीजेपी की संख्या 8 हो गई और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी के ही कैंडिडेट की जीत का दावा लगातार पार्टी करती रही. ईटीवी भारत से हुई बातचीत में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदार पूनम मौर्या ने शनिवार की दोपहर सदस्य कम होने के बावजूद जीत का दावा किया था और रात होते-होते ऐसा ही हुआ.

नया नहीं है ये खेल
राजनीतिक गलियारों में चुनाव जीतने के लिए सत्ता पक्ष के लिए इस तरह के खेल नए नहीं हैं. सत्ता पक्ष इस तरह के चुनावी खेल हमेशा से खेलता रहा है. 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस से दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़े थे, तब सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोलने वाले बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर ने भी बनारस से निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का एलान किया था. उस समय समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक दांव चलते हुए संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर तेज बहादुर का नाम आखिरी वक्त में घोषित कर दिया था. उस समय भी दो सेट में तेज बहादुर का पर्चा दाखिल हुआ था, लेकिन तब भी पर्चे में तमाम खामियां बताकर उस वक्त के जिला निर्वाचन अधिकारी ने पर्चा खारिज कर दिया. जिसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था. विपक्ष ने तब भी चुनाव आयोग और प्रशासन पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया था.

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2017 में भी हुआ यही 'खेला'
इतना ही नहीं 2017 में भी बीजेपी की ऐसी ही एक चाल देखने को मिली थी. इस बार मौका था बीजेपी के प्रदेश में सत्ता हासिल करने के बाद बनारस की जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट में फेरबदल का. यहां समाजवादी जवादी पार्टी की प्रत्याशी के तौर पर जीतकर आई अपराजिता सोनकर के खिलाफ बीजेपी पहले तो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई और जब अविश्वास प्रस्ताव फेल हो गया तो महज नौ दिन के अंदर ही बीजेपी ने अपराजिता को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. जिसके बाद सपा को यहां भी मुंह की खानी पड़ी. बीजेपी ने यहां भी बड़ा खेल कर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने पार्टी के कार्यकर्ता को बैठाकर सपा को राजनीति में करारी मात दे दी.

शनिवार देर रात हुए इस राजनैतिक 'खेला' को लेकर सपा समर्थकों ने जमकर हंगामा किया. इस दौरान सपा नेता मनोज राय ने कोर्ट जाने की बात भी कही है. अब देखने वाली बात यह होगी कि सपा इस मामले में क्या करती है.

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