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Monkeypox को लेकर अस्पतालों में बेड आरक्षित, ये हैं रोग के लक्षण और बचने के उपाय

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Published : Aug 3, 2022, 4:40 PM IST

Monkeypox
Monkeypox

वाराणसी में मंकीपॉक्स को लेकर सरकार ने निजी व अस्पताल के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. आखिर यह रोग कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या हैं और रोग से बचने के उपाय क्या हैं, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

प्रयागराजः तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स को लेकर योगी सरकार गंभीर है. वर्तमान में देश के दक्षिण प्रान्तों में इस रोग के मरीज मिले हैं. इसको लेकर में वाराणसी के सभी सरकारी व निजी चिकित्सालयों एवं ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. साथ ही जनपद के सरकारी अस्पताल में 10-10 बेड आरक्षित किए गए हैं.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संदीप चौधरी ने बताया कि मंकीपॉक्स चेचक से मिलता-जुलता है. लेकिन यह कम गंभीर लक्षणों वाला एक वायरल जुनोटिक रोग है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के ऊष्ण कटिबंधी वर्षावन क्षेत्रों में होता है. विगत 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों या क्षेत्र की यात्रा करने वाला किसी भी आयु वर्ग का ऐसा कोई व्यक्ति जिसमें अस्पष्ट प्रकृति रैश, लिम्फ नोड में सूजन, बुखार, सिर दर्द, असामान्य कमजोरी आदि लक्षण पाये जाते हैं, तो इनकी सूचना लाईन लिस्ट नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ जिला सर्विलांस के ई मेल आईडी idspvaranasi@gmail.com पर अनिवार्य रूप से भेजें. गाइड लाइन के अनुसार उपचार तथा सैम्पल कलेक्शन कर दिए गये पते पर भिजवाना सुनिश्चित करें.

कोविड चिकित्सालयों में 10-10 बेड आरक्षित
सीएमओ ने बताया कि मंकीपॉक्स के रोगियों के उपचार के लिए जनपद के सभी सरकारी व निजी कोविड चिकित्सालयों में 10-10 बेड आरक्षित किए गए हैं. जिससे आवश्यकता पड़ने पर उनका प्रयोग मंकीपॉक्स के रोगियों के आईसोलेशन तथा उपचार के लिए किया जा सके. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति जिसमें इस रोग के लक्षण हों. कोई एपिडेमियोलॉजिकल लिंक भी उपस्थित हो, जैसे कि किसी रोगी के साथ सीधा संपर्क, स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिसने पीपीआई किट के रोगी की देखभाल की हो, रोगी के साथ यौन संपर्क, त्वचा या त्वचा के घाव के साथ सीधा सम्पर्क या रोगी के कपड़े, बिस्तर या बर्तन जैसे दूषित सामग्री के साथ सम्पर्क में रहा हो. उन्हें सतर्क रहकर त्वरित उपचार कराने की आवश्यकता है.


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रोगी को ऐसे करें आइसोलेट
सीएमओ डॉक्टर संदीप चौधरी ने कहा कि रोगी को आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए. आस-पास के व्यक्तियों के एक्सपोजर को रोकने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरती जानी चाहिए. रोगी की नाक और मुंह पर सर्जिकल मास्क लगाना चाहिए. रोगी की त्वचा के घावों को एक चादर अथवा गाउन से ढक कर रखना चाहिए. प्रभावित व्यक्तियों को त्वचा के लीजन्स के सभी कृष्ट खत्म हो जाने तक इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड व्यक्तियों और गर्भवती के साथ निकट संपर्क से बचना चाहिए. आइसोलेशन की सावधानियां तब तक जारी रखनी चाहिए, जब तक कि सभी घाव ठीक न हो जाएं और त्वचा की एक नयी परत न बन जाये.

ये है संक्रमण निवारक उपाय

  • जिन रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है. उन्हें संकमण निवारक उपाय अपनाते हुए घर पर ही रोग प्रबंधन किया जा सकता है.
  • मरीजों को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कमरे या क्षेत्र में रखा जाना चाहिए. परिवार के स्वस्थ्य सदस्यों को रोगी के साथ संपर्क सीमित रखना चाहिए.
  • आवश्यक चिकित्सीय देखभाल के अतिरिक्त रोगी को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.
  • किसी भी आगन्तुक को घर पर आगमन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
  • रोगियों को विशेष रूप से ऐसे रोगी जिन्हें श्वसन तंत्र संबंधी लक्षण है जैसे- खांसी, सांस लेने में तकलीफ, गले में खरास इत्यादि तो सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए. यदि यह संभव नहीं है, तो रोगी की उपस्थिति में घर के अन्य सदस्यों को सर्जिकल मास्क पहनने चाहिए.
  • किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने वाले किसी भी सामग्री जैसे बिस्तर इत्यादि के सम्पर्क में आने से बचें.
  • संक्रमित मरीजों का दूसरे से अलग आइसोलेट कर रखें.
  • संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद साबुन से हाथ धोने या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का ध्यान रखें.

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मंकीपॉक्स के सामान्य लक्षण

  • अस्पष्ट प्रकृति रैश
  • बुखार
  • लिम्फ नोड (लसीका पात्र) में सूजन
  • सिर दर्द
  • थकावट व असामान्य कमजोरी
  • मांसपेसियों में दर्द
  • ठंड लगना या पसीना आना
  • गले में खराश और खांसी

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