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शिक्षक से मंत्री तक का है बनारस के दयाशंकर मिश्र का राजनीतिक सफर, दो बार कटा टिकट फिर भी बन गए मंत्री

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Published : Mar 25, 2022, 9:24 PM IST

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दयाशंकर मिश्र

लखनऊ में योगी 2.0 का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ. योगी मंत्रिमंडल में वाराणसी के बीजेपी नेता दयाशंकर मिश्र को जगह दी गई है.

वाराणसी. लखनऊ में योगी 2.0 का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कुल 52 मंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों में बनारस एक ऐसा नाम है जो शायद चर्चा में ही नहीं था. न ही विधायक, न ही विधान परिषद के सदस्य होने के बावजूद योगी मंत्रिमंडल में वाराणसी के बीजेपी नेता दयाशंकर मिश्र को जगह दी गई है.

दयाशंकर मिश्र

दयाशंकर मिश्र ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली है जो काशी के ब्राह्मणवादी समीकरण के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि दयाशंकर मिश्र वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा से आते हैं और पहले कांग्रेस से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है.

दयाशंकर मिश्र ने 2014 में जब भाजपा में शामिल हुए थे तो 2017 में टिकट मिलने की उम्मीद पर पानी फिरा और फिर 2022 में भी जब टिकट कटा तो वह मायूस हो गए लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिणी विधानसभा से जीत कर आए डॉ. नीलकंठ तिवारी जो पिछली सरकार में मंत्री भी थे, उनको मंत्रिमंडल में शामिल न कर दक्षिणी विधानसभा से बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले डॉक्टर दयाशंकर मिश्र को मंत्रिमंडल में जगह दी है. यह निश्चित तौर पर दक्षिण विधानसभा में नाराज चल रहे लोगों को बैलेंस करने की एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है.

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दयाशंकर मिश्र

दयाशंकर मिश्र वैसे तो मध्यमेश्वर यानी विशेश्वरगंज इलाके के रहने वाले हैं लेकिन इन दिनों वह महमूरगंज इलाके में परिवार के साथ रहते हैं. उनके परिवार में इस वक्त सभी लोग बाहर ही थे लेकिन घर में बड़े भाई जटाशंकर मिश्र और कुछ सदस्य के साथ उनके पुराने मित्र भी मौजूद थे. ETV Bharat ने इस खास मौके पर दयाशंकर मिश्र के घर पहुंचकर परिजनों के साथ इस खुशी को साझा किया.

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परिवार में खुशी का माहौल था. हालांकि होली बीत गई है लेकिन परिवार जन एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर इस खास दिन की बधाई देते दिखाई दिए. दयाशंकर मिश्र के बड़े भाई जटाशंकर मिश्र ने कहा कि राजनीति में कोई नहीं जानता कब किसको मौका मिलेगा. भावुक होकर उन्होंने अपने भाई को आशीर्वाद देते हुए जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए कहा.

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वहीं, दयाशंकर मिश्र के बचपन के मित्र अखिल अग्रवाल अपने बचपन के मित्र की इस उपलब्धि से बेहद खुश नजर आए. उनका कहना था कि बचपन से हम दोनों साथ थे. इस मौके का हम सभी को इंतजार था. आज जब 2 बार टिकट कटने के बाद दयाशंकर मिश्र को मंत्री पद मिला तो लगा जैसे वर्षों पुरानी मुराद पूरी हो गई.

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घर की महिलाएं भी इस दिन का इंतजार बरसों से कर रहीं थीं. आज सभी को वह खुशी मिली जो शायद होली के मौके पर भी नहीं थी. गौरतलब है कि दयाशंकर मिश्र शिक्षक हैं और शिक्षक से मंत्री तक का सफर बेहद ही कठिन रहा है. साल 2007 और 2012 में कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा से दयाशंकर मिश्र ने चुनाव लड़ा था. बहुत कम वोट के अंतर से वाह हारे थे. 2014 लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान वाराणसी पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी.

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डॉ. दयाशंकर मिश्र ने हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद बीएचयू से बीएससी, एमएससी और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज में प्रवक्ता जीव विज्ञान के पद पर कार्य किया. राजकुमार इंटर कॉलेज भुजना में प्राचार्य पद पर कार्य किया. वर्तमान में डीएवी इंटर कॉलेज में प्राचार्य के पद पर कार्य कर रहे हैं.

दयाशंकर मिश्र दयालु की वाराणसी में चर्चित ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है. शहर दक्षिणी में इनका मजबूत हिसाब किताब देखते हुए कांग्रेस के टिकट पर यह दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इन्हें जीत हासिल नहीं हुई थी. उन्होंने 2017 में बीजेपी की योगी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री के रूप में एक अलग पहचान बनाई. इनको योगी सरकार-1 में पूर्वांचल विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र जीवन से राजनीति में किया प्रवेश

उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से बॉटनी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से उन्होंने राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया. शुरुआती दौर में कांग्रेस का दामन थाम कर उन्होंने राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई. दयाशंकर मिश्र दयालु के बारे में यह कहा जाता है कि वह जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं. किसी भी व्यक्ति को मुसीबत के समय मदद करना और किसी के सुख-दुख में खड़ा होना, दयाशंकर मिश्र दयालु को और नेताओं से अलग बनाता है.

यही वजह है कि इस बार भी दक्षिणी विधानसभा में टिकट बंटवारे को लेकर इनके नाम की चर्चा तेजी से की जा रही थी. हालांकि बाद में डॉक्टर नीलकंठ तिवारी को ही बीजेपी ने टिकट दिया लेकिन दक्षिणी के मजबूत ब्राम्हण चेहरा होने की वजह से बीजेपी इस बार नीलकंठ को हटाकर दयाशंकर मिश्र दयालु को दक्षिणी से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मंत्री पद देकर इस क्षेत्र के ब्राह्मणों को मैंनेज करने की कोशिश की है.

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डॉक्टर दयाशंकर मिश्र के परिवार में एक बेटा व एक बेटी है. वर्तमान में दयाशंकर मिश्र दयालु का बेटा अनिमेष मिश्र अमेरिका में कार्यरत है. पत्नी सुकन्या मिश्रा हाउसवाइफ हैं और उनकी बेटी अतुल्या मिश्रा एमबीबीएस कर रहीं हैं. वाराणसी से दयाशंकर मिश्र दयालु का मंत्री बनाया जाना चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है.

इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है कि दयाशंकर मिश्र दयालु उस दक्षिण विधानसभा में काफी मजबूत जनाधार रखते हैं जहां से इस बार बीजेपी के डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बड़ी मुश्किल से जीत हासिल की है. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी दूसरी बार जीते हैं और योगी मंत्रिमंडल के पहले कार्यकाल में पर्यटन और धर्मार्थ कार्य मंत्री रह चुके हैं. हालांकि इस बार बीजेपी को इस विधानसभा सीट से डॉ. नीलकंठ तिवारी को लेकर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. शायद यही वजह है कि इस क्षेत्र के नाराज ब्राह्मणों को साधने के लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है.

फिलहाल बिना विधायक व बिना एमएलसी हुए डॉ. दयाशंकर मिश्र को बीजेपी ने जिस तरह से मंत्री पद देकर बनारस के दक्षिणी विधानसभा में बीजेपी के जीत चुके विधायक डॉक्टर नीलकंठ तिवारी से नाराज जनता को बैलेंस करने की कोशिश की है, वह 2024 के लोकसभा चुनाव की मजबूत रणनीति के तौर पर देखा जा सकता है.

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