ETV Bharat / state

बनारस के लिए CM योगी ने देखा था जो सपना, जानिए क्यों टूट गया?

author img

By

Published : Jul 27, 2023, 7:08 PM IST

वाराणसी में पर्यटक को बेहतर सुविधाएं और हर श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन सही से कराने के लिए सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) आदित्यनाथ ने भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान (beggary free campaign varanasi) की शुरुआत की थी. शुरुआत में ऐसा लगा कि सच में यह योजना सफल होगी. लेकिन, 3 महीने के अंदर ही योजना अर्श से फर्श पर आकर गिर गई. जानिए इसका कारण

Etv Bharat
Etv Bharat

भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान को लेकर समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति ने दी जानकारी

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी आने वाले हर पर्यटक को बेहतर सुविधाएं और हर श्रद्धालुओं को बिना किसी टेंशन के भगवान के दर्शन करवाने की प्लानिंग सरकार कर रही है. इसी प्लानिंग के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी के शहर बनारस से भिक्षावृत्ति मुक्त करने का सपना देखा था और अभियान शुरू कर लागू करने की योजना बनाई. खासतौर पर उन शहरों में जहां पर्यटकों की संख्या ज्यादा है. वहां, भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान को तेजी से शुरू करते हुए भिक्षावृत्ति करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ देकर उनकी जिंदगी बदलने का काम शुरू हुआ. शुरुआत में तो ऐसा लगा कि सच में यह योजना सफल हो गई. लेकिन 3 महीने के अंदर ही योजना अर्श से फर्श पर आकर गिर चुकी है. एक बार फिर से शहर के अलग-अलग इलाकों, मंदिरों और गंगा घाटों पर भिक्षावृत्ति कर रहे लोग बड़ी संख्या में दिखने लगे हैं.

etv bharat
भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान 2 चरण में चला
जी-20 सम्मेलन के दौरान दिया था आदेशः दरअसल, अप्रैल के महीने में जब वाराणसी में जी-20 सम्मेलन की शुरुआत होने वाली थी. तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी से भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान शुरू करने की वकालत की. आदेश हुआ कि जल्द से जल्द गंगा घाटों से लेकर मंदिरों और स्टेशन से लेकर अन्य जगहों पर घूमने वाले भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों की धरपकड़ शुरू की जाए. पुलिस से लेकर नगर निगम के अलावा समाज कल्याण विभाग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों सरकारी योजनाओं से जोड़कर या तो लाभान्वित कर उनके घर का पता लगाकर घर भेजने की शुरुआत भी हुई. 3 महीने के अंदर 146 भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों की पहल करते हुए उनको इस काम से हटाने की कवायद हुई और कुछ को घर भेजा गया. कुछ को सरकारी योजनाओं के तहत पेंशन का लाभ दिया गया, लेकिन कुछ चाहकर भी इस अभियान से लाभान्वित नहीं हो पाए.

146 भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों को रेस्क्यू कियाः इस बारे में इस अभियान को लीड कर रहे समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति का कहना है कि इस अभियान की शुरुआत अप्रैल के महीने में की गई थी. अभियान ने रफ्तार पकड़ी और इसे दो चरणों में चलाते हुए पहले चरण में अप्रैल से मई और फिर जून तक 146 भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों को रेस्क्यू किया गया. इनकी काउंसलिंग की गई और 6 टीमें बनाकर अभियान को आगे बढ़ाने में काम भी किया जा रहा है. हालांकि अभियान अभी थोड़ा धीमा जरूर हो गया है. लेकिन, अगस्त में जी-20 सम्मेलन से पहले एक बार फिर से यह अभियान रफ्तार पकड़ेगा. अधिकारी का कहना है कि 146 लोगों को रेस्क्यू करके इस दलदल से बाहर निकालने की कोशिश की थी. उनमें से 59 वाराणसी के ही रहने वाले थे. जिनके घरों की शिनाख्त करके उन्हें वापस उनके घर भेजा गया. जबकि 27 लोग ऐसे थे, जिनकी उम्र 60 वर्ष से ज्यादा थी. जिनको वृद्धावस्था पेंशन का लाभ देने के लिए इस योजना से जोड़ा गया. एक ऐसा भी दिव्यांग मिला था, जिसे पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त सेकंड फेज में 96 लोगों को भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान के तहत रेस्क्यू करके 39 को वाराणसी में उनके घर तक भेजा गया. जो शेष बचे लोग थे, उन्हें एक एनजीओ की मदद से शेल्टर होम में रखने का काम किया गया. जहां उनको जीविकोपार्जन के लिए तरह-तरह की चीजों की ट्रेनिंग दी जा रही है.

इसे भी पढ़े-UP Madarsa Education Board Result 2023 : मुंशी-मौलवी, आलिम, कामिल व फाजिल की परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित


क्यों हुआ अभियान फेल: समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति का कहना है कि इस अभियान के जरिए लोगों को बड़ी राहत देने के लिए भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों की धरपकड़ शुरू की गई थी, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को भी परेशानी ना हो. लेकिन, कुछ चीजें पुरानी और अंग्रेजों के समय की होने की वजह से इस अभियान को सफलता मिलने में दिक्कत आ रही है. प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट पुराने नियमों के तहत संचालित हो रहा है. जिनको अब ऑपरेट करना मुश्किल है. इसमें 25 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है. साथ ही भिक्षावृत्ति के अपराधीकरण को असंवैधानिक करार दे दिया गया है. इसके लिए हर राज्य अपने हिसाब से कानून भी बनाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि रेस्क्यू करने के बाद इन भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों को रखना मुश्किल होता है, क्योंकि यह हमेशा समाज के उस निचले तबके से बिलॉन्ग करते हैं जहां ना योजनाओं का लाभ ये लोग लेते हैं और ना ही चीजों को समझने की कोशिश करते हैं. जिसकी वजह से रेस्क्यू के बाद यह गाली गलौज और मारपीट में भी उतारू हो आते हैं. इसके अलावा यह बिना किए पैसे कमाने की वजह से कोई काम नहीं करना चाहते हैं. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इनको रेस्क्यू करने के बाद कहां रखा जाए यह बहुत बड़ी दिक्कत है. क्योंकि पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं भी भिक्षावृत्ति कर रहे लोगों को रखने के लिए कोई शेल्टर होम स्थाई तौर पर नहीं बनाए गए हैं. अस्थाई तौर पर नगर निगम में यह व्यवस्था होती है. लेकिन, उसके बाद इन्हें एक निर्धारित वक्त तक वापस या तो उनके घर भेजना होता है या किसी अन्य काम पर लगाना होता है, जो नियम के मुताबिक जरूरी है. इसलिए दिक्कतें तमाम है. जिसकी वजह से यह अभियान फेल हो गया है.

यह भी पढे़-आगरा में घूस लेते ट्रैफिक पुलिस का वीडियो वायरल, सिपाही निलंबित और होमगार्ड भी नपा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.