ETV Bharat / state

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिनः देवी कुष्मांडा की दर्शन से दूर होते हैं भय और संकट, इस मंत्र से होती हैं प्रसन्न

author img

By

Published : Apr 5, 2022, 6:44 AM IST

Updated : Apr 5, 2022, 6:54 AM IST

मां शक्ति की आराधना का महापर्व है नवरात्रि, इन 9 दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा का विधान है. आज चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन माता के कुष्मांडा रूप की पूजा की जाती है. देवी कुष्मांडा सुखमय जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

etv bharat
कुष्मांडा देवी

वाराणसी: मां शक्ति की आराधना का महापर्व है नवरात्रि, इन 9 दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा का विधान है. आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. प्रथम दिन माता शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी और तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजन करने के बाद आज चौथे दिन माता के कुष्मांडा रूप की पूजा की जाती है. माता के पूजन का विधान बिल्कुल साधारण है. माता का यह स्वरूप सृष्टि की संरचना को दर्शाता है. कहते हैं कि मां के स्वरूप का दर्शन करने मात्र से भय का नाश होता है. देवी को प्रसन्न करने के लिए कोहड़े की बलि दी जाती है. पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता कुष्मांडा की कैसे पूजा करें और उन्हें कैसे प्रसन्न करें.

पंडित पवन त्रिपाठी का कहना हैं कि कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं. इसमें देवी अस्त्र-शस्त्र के साथ सभी सिद्धियों को देने वाली माला हाथ में लिए हैं. मां के पास इन सबसे अलग एक कलश भी है, जो कि अमृतयुक्त है. सिंह पर सवार मां के इस रूप की आराधना मात्र से ही भय और डर से मुक्ति मिल जाती है.

उन्होंने आगे बताया कि देवी कुष्मांडा सुखमय जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. माता के इस स्वरूप का मतलब है ब्रह्मांड को पैदा करने वाली. यानी ब्रह्मांड निर्माता, शास्त्रों में वर्णित है कि कुष्मांडा देवी ने अपने उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था. इसी वजह से देवी के इस रूप को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है.

यह भी पढ़ें- काशी के इस अनोखे मंदिर का कीजिए दर्शन, जहां एक ही विग्रह में विराजमान हैं मां दुर्गा के नौ रूप


माता के इस स्वरूप को आदि शक्ति देवी के रूप में भी पूजा जाता है, क्योंकि माता ने ही सृष्टि की रचना की है. जब सारा ब्रह्मांड अंधेरे में डूबा हुआ था तब माता ने ब्रह्मांड की रचना कर चारों तरफ उजाला फैलाया था. माता का यह स्वरूप सूर्य लोक में निवास करता है. देवी कुष्मांडा के पूजन अर्चन का विधान कुछ अलग है.

देवियों के सामने बलि देने की पुरानी परंपरा है, माना जाता है कि देवी बलि से खुश होती हैं. यह बलि नरियल या किसी अन्य रूप में भी हो सकती है, लेकिन कुष्मांडा देवी को प्रसन्न करने के लिए कोहड़े की बलि दी जाती है. कोहड़ा माता रानी को पसंद है. इसकी बलि देने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरसती है. इसके साथ ही माता को लाल गुड़हल के फूल की माला चढ़ाई जाती है. नारियल भी माता को अति प्रिय है. इसके अलावा माता रानी को मालपुआ चढ़ाकर उसे दान देना चाहिए. माता को लाल चुनरी के साथ लाल चूड़ियां भी अर्पित की जाती है.

ये है आराधना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेवच।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated :Apr 5, 2022, 6:54 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.