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क्या मंत्री जी के ईगो ने छीन ली कुर्सी या फिर कुछ और है वजह...पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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Published : Mar 28, 2022, 1:33 PM IST

varanasi  varanasi latest news  etv bharat up news  मंत्री जी के ईगो ने छीन ली कुर्सी  BJP replaced former minister  Dr. Neelkanth Tiwari  Dayashankar Mishra  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव  यूपी विधानसभा चुनाव  डॉ. नीलकंठ तिवारी  मंत्री दयाशंकर मिश्र
varanasi varanasi latest news etv bharat up news मंत्री जी के ईगो ने छीन ली कुर्सी BJP replaced former minister Dr. Neelkanth Tiwari Dayashankar Mishra उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव यूपी विधानसभा चुनाव डॉ. नीलकंठ तिवारी मंत्री दयाशंकर मिश्र

यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की. इसके साथ ही इकाना स्टेडियम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण किया. हालांकि, इस बार मंत्रिमंडल में कई पुराने मंत्रियों को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी, जिसमें से एक नाम धर्मार्थ कार्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. नीलकंठ तिवारी का भी रहा.

वाराणसी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की. इसके साथ ही इकाना स्टेडियम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण किया. हालांकि, इस बार मंत्रिमंडल में कई पुराने मंत्रियों को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी, जिसमें से एक नाम धर्मार्थ कार्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. नीलकंठ तिवारी का भी रहा. नीलकंठ तिवारी भाजपा का वो नाम हैं, जिसके जरिए भाजपा पूर्वांचल में ब्राह्मणों को साध रही थी. इसके साथ ही वाराणसी की सियासत को भी अपने पाले में कर रही थी. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस बार पार्टी ने डॉ. नीलकंठ तिवारी की जगह एक नए ब्राह्मण चेहरों को जगह दी.

बता दें कि वाराणसी पूर्वांचल के सियासत का बड़ा केंद्र हो गया है और हर सियासी दल यहां डेरा डालकर बनारस के साथ पूरे पूर्वांचल को जीतने की कोशिश करता हैं. भाजपा भी इसी राह पर है और इसी को देखते हुए बनारस से तीन मंत्रियों को 2017 के मंत्रिमंडल में शामिल भी किया गया. जिसमें से एक नाम डॉ. नीलकंठ तिवारी का रहा. डॉ. नीलकंठ तिवारी बनारस के पहले विधायक थे, जिसे मंत्री पद दिया गया. सरकार ने उन्हें धर्मार्थ कार्य विभाग दिया इसके साथ ही काशी विश्वनाथ धाम व अयोध्या परिक्षेत्र की जिम्मेदारी भी दी. लेकिन इस बार मंत्री जी के हाथ से कुर्सी छिटक गई और मंत्रिमंडल में एक नए ब्राह्मण चेहरे दयाशंकर मिश्र दयालु को शामिल किया गया.

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इसका एक बड़ा कारण नीलकंठ तिवारी के स्वभाव व जनता की नाराजगी को माना जा रहा है.इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि जिस तरीके से चुनाव के ठीक पहले मंत्री जी का ईगो ट्रेंड किया था, जनता उनके स्वभाव से नाराज थी.चुनाव में ये दिखा भी बेहद मुश्किल से दक्षिण की सीट निकल पायी,उसका यह परिणाम रहा कि इस बार भाजपा ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा है,उनके जगह एक नए सर्वमान्य चेहरे को तवज्जो दी है. जिसने बैक डोर से भाजपा का मजबूती से साथ दिया हैं.

दक्षिणी किले को मजबूत करने में जुटेगी भाजपा: गौरतलब हो कि बनारस को जीतने के लिए खासकर दक्षिण में अपनी मजबूत दावेदारी के लिए एक ब्राह्मण चेहरे की जरूरत होती है और भाजपा ने इसी को देखते हुए दयाशंकर मिश्र को बतौर मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल किया है. इसी के जरिए भाजपा अपने दक्षिणी किले को भी मजबूत करने की कवायद में लग जाएगी. क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में काफी मशक्कत के बाद दक्षिणी को नीलकंठ तिवारी जीत सके थे और उन्होंने बराबर का टक्कर दे रहे समाजवादी पार्टी के नेता किशन दीक्षित को हराया था.

चूंकि इस बार क्षेत्र के लोग डॉ. नीलकंठ तिवारी से उनके व्यवहार व कामकाज के तरीके को लेकर के काफी नाराज थे. जिसके बाद भाजपा ने बतौर ब्राह्मण चेहरा दयाशंकर मिश्र को सामने रखा. क्योंकि भाजपा का दक्षिणी किला वह क्षेत्र है, जहां से भाजपा पूरे देश-विदेश को एक बड़ा संदेश देती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ धाम खिड़कियां घाट इसी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीलकंठ व्यवहार के कारण जनता के मन में हुई उनकी के प्रति नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने दयाशंकर मिश्र को सामने रखकर के एक सर्वमान्य चेहरे को सामने रखा है. क्योंकि दयाशंकर मिश्र बनारस के सर्वमान्य चेहरों में से एक है.

यदि भाजपा ऐसा नहीं करती तो भविष्य में उसे एक बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा भले ही 2017 और 22 में उन्हें भाजपा की तरफ से टिकट नहीं मिला. लेकिन उनकी मेहनत कम नहीं हुई और इसी मेहनत का परिणाम है कि इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 2027 में बीजेपी इसी चेहरे पर दक्षिणी में जोर आजमाइश कर सकती है.

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