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कोरोना वायरस की कुंडली: ग्रहों के दुर्योग से वायरस बना खतरनाक

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Published : May 27, 2021, 2:23 PM IST

ज्‍योतिषाचार्य ने तैयार की  कोरोना वायरस की कुंडली.
ज्‍योतिषाचार्य ने तैयार की कोरोना वायरस की कुंडली.

काशी के ज्‍योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने कोरोना वायरस की कुंडली (Coronavirus horoscope) तैयार कर ज्‍योतिषीय गणना(Astrology calculation) की रूपरेखा पेश कर इसकी भयावहता को समझाने की कोशिश की है. ज्‍योतिषाचार्य के अनुसार मिथुन राशि के दुर्योग में जन्मा कोरोना वायरस, राहु के प्रभाव के चलते ही तरह-तरह के रूप बदल रहा है.

वाराणसी: महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) ने भारत सहित विश्वपटल पर मौत का तांडव मचा रखा है. मौत की सुनामी का अंत कब, कहां और कैसे होगा, इसकी सटीक दवा कब उपलब्ध होगी ये प्रश्न संपूर्ण विश्व के आम जनमानस के लिए एक पहेली बनकर रह गया है. हालांकि कई देशों ने वैक्सीन (vaccine) इजात कर ली है, लेकिन शत-प्रतिशत लाभ की गारंटी कोई नहीं ले रहा है. फिर भी सभी देश युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन (Vaccination) कार्य को करवा रहे हैं. हालांकि पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले इस संक्रमण का निदान और उसके प्रभाव को जानने के लिए काशी के विद्वान ने कोरोना वायरस की जन्मकुंडली (birth horoscope) ही तैयार कर ली है.

ज्‍योतिषाचार्य से समझें ग्रहों का खेल.

खास बात यह है कि कोरोना वायरस की जन्मकुंडली में इसके उत्पत्ति के जन्म स्थान, पहले केस की जन्मतिथि के साथ अलग-अलग ग्रहों की मौजूदगी और वायरस पूरी कहानी(coronavirus story) को बयां कर रही है. सबसे अहम हो जाता है इस वायरस की कुंडली में मौजूद ग्रहों के योग से अमुक संक्रमण व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों के योग का मिलान करना. ग्रहों की चाल से ज्योतिष गणना(Astrology calculation) और बचाव के तरीकों से इस वायरस के असर को कम करने का प्रयास किया जा सकता है. साथ ही कुंडली के आधार पर वायरस की बहुत सी जानकारियां भी ज्योतिष पक्ष के जरिए बाहर आ रही हैं, क्या है ये आप भी जानिए.

पहले केस को जन्मतिथि मानकर बनी कुंडली
कोविड-19 वायरस की जन्मकुंडली बनाने वाले काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी हैं. पंडित द्विवेदी का कहना है कि कोरोना संक्रमण का पहला केस 17 नवंबर 2019 को चीन के हुबई प्रांत की राजधानी वुहान में सामने आया था. हालांकि चीन अधिकारिक तौर पर दिसंबर 2019 में इसकी पुष्टि की थी. दुनिया में कोरोना वायरस के पहले मरीज के तौर पर चीन की 57 साल की एक महिला की पहचान हुई थी. वो चीन(China) के वुहान में सी फूड मार्केट में झींगा बेचती थी. इसका नाम वोई गूइजियान है. इसलिए देखा जाए तो कोरोना की पहली लहर आयी थी तो पश्चिम के देशों में भारी तबाही मची थी. वहीं दूसरी लहर में सर्वाधिक तबाही भारत में मचा रखी है. दूसरी लहर समाप्त भी अभी नहीं हुई है कि तीसरी लहर ने भी दस्तक दे दी.

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क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र, कुंडली पर
कोरोना की जन्मराशि की कुंडली को देखा जाए तो मिथुन राशि के दुर्योग में जन्मा ये कोरोना वायरस, राशि लग्न में ही चन्द्रमा राहु का ग्रहण योग क्रियान्वित हो रहा है. सप्तम भाव में बृहस्पति, शनि और केतु की युति इन तीनों ग्रहों की लग्न पर पूर्ण दृष्टि पड़ रही है. देखा जाए तो कोरोना के लग्न में राहु-चन्द्र की युति ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह मानते हैं. वहीं कोरोना भी अदृश्य है. ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप एवं क्रूर ग्रह माना जाता है, जिसका स्वभाव रंग बदलने वाला है. इसमें एक्सीडेंट कारक, अचानक घटना-दुर्घटना को देना, जिसका पता लगा पाना बड़ा ही कठिन होता है. अर्थात कोरोना राहु के प्रभाव के चलते ही तरह-तरह का रूप बदल रहा है. वहीं चन्द्रमा के साथ होने से ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को फेफड़े तथा सर्दी-जुकाम खांसी का कारक माना गया है.

इसलिए कोरोना ने फेफड़े गला, कान और आंख पर ही अपना प्रभाव दिखा रहा है. चूंकि राहु छाया ग्रह है, इसलिए कोरोना भी अदृश्य है. राहु ही संक्रमण का सबसे बड़ा कारक ग्रह होता है. संक्रमण की गति और तेज तब हो जाती है, जब राहु पर शनि की दृष्टि हो. हालांकि कोरोना की जन्मराशि पर राहु, चन्द्र, शनि, बृहस्पति और केतु इन पांचों ग्रह का प्रभाव है.

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कुंडली में पांच ग्रहों का दुर्योग
इन पांच ग्रहों के दुर्योग से कोरोना वायरस के तमाम बदलते रूप दिख रहे हैं. वहीं विश्वपटल पर फैलने का सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस की कुंडली में बुद्ध जो पंचम भाव में मंगल के साथ बैठा हुआ है. जैसा की मंगल पृथ्वी पुत्र उसके साथ बुद्ध के बैठने से ही यह धरती पर तेजी से फैल रहा है. देखा जाए तो ज्योतिष शास्त्र में कुंडली निर्माण के साथ ही निदान भी सुनिश्चित हो जाता है.

पीड़ित संग कोरोना की कुंडली अब निदान संभव
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कोरोना का प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा देखने को मिलेगा, जिनकी कुंडली में राहु, शनि, केतु और बृहस्पति की अशुभ दशा है. अर्थात इन चारो ग्रह कुंडली की द्वितीय भाव, षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव को इनमें से कोई ग्रह वर्तमान में प्रभावित कर रहे हों. गोचर में भी जिन लोगों की कुंडली में चारो ग्रह अशुभ भाव में संचरण कर रहे हों, उनके भी कोरोना संक्रमित होने की आशंका बनी रहेगी.

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ज्योतिषीय गणना से निदान भी है संभव
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के निदान में शत-प्रतिशत गारंटी तो नहीं दी जा सकती, लेकिन इस ज्योतिषीय निदान को नकारा भी नहीं जा सकता. आयुर्वेद में वर्णित है कि वायरस के निदान से पहले ग्रहों का ज्योतिष निदान करके करें, जिसके लाभ शत-प्रतिशत होने की संभावना बढ़ जाती है. ज्योतिष निदान में कोरोना वायरस की कुंडली के साथ कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति की कुंडली हो तो बहुत हद तक संक्रमण को कम किया जा सकता है. फिर भी कोरोना पीड़ित व्यक्ति के उपाय के तौर पर मोती व गोमेद एक साथ धारण करने से शरीर में संक्रमण की गति कमजोर होगी. शनि के लिए छायादान बृहस्पति के लिए पीली वस्तु का दान करना चाहिए. राहु मंत्र के साथ महामृत्युंजय मंत्र, दुर्गा सप्तशती रोगनाशक मंत्र के साथ ही भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से कोरोना वायरस पीड़ितों को लाभ मिलेगा, जिनको कोरोना होने की आशंका हो तो वो भी करें तो निश्चित रूप से लाभ होता नजर आएगा.

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