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वाराणसी में बाढ़ का प्रकोप: हजारों एकड़ फसल बर्बाद, किसान परेशान

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Published : Sep 17, 2021, 10:18 AM IST

वाराणसी में हर साल बाढ़ से परेशान किसानों ने विधानसभा चुनाव का बाहिष्कार करने का फैसला लिया है. किसानों का साफ तौर पर कहना है की तटबन्ध नहीं तो वोट नहीं.

वाराणसी में बाढ़ का प्रकोप
वाराणसी में बाढ़ का प्रकोप

वाराणसी: विधानसभा चुनाव के पहले हर साल बाढ़ से परेशान किसानों ने मतदान बाहिष्कार करने का फैसला लिया है. किसानों का साफ तौर पर कहना है की तटबन्ध नहीं तो वोट नहीं. इसके कारण चुनाव के पहले ही चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. मामला जिले के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के रमना गांव का है. जहां बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है. इसके कारण हजारों एकड़ विभिन्न प्रकार की सब्जी की फसल तबाह हो गई. रमना क्षेत्र से निकलने वाली सब्जी बनारस ही नहीं उससे सटे जिलों में भी भेजी जाती है. किसानों की बात करें तो उनका कहना है तटबंध नहीं बनने से 2013, 16, 19 अब 21 में फसल नष्ट हो गई है. 2022 विधानसभा चुनाव के पहले अगर रमना टिकरी क्षेत्र में तटबन्ध नहीं बना तो हम लोग मतदान का बहिष्कार करने को बाध्य होंगे.

जिले में बाढ़ के आधिकतम लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है, जिससे किसान भी अछूते नहीं हैं. किसान की बात करें तो वाराणसी के रमना क्षेत्र में हजारों एकड़ में खेती करने वाले किसानों की पूरी फसल तबाह हो गई है. इसमें से कुछ किसान खेती करने के लिए 20-25 हजार रुपये साल रेहनी पर खेती लेकर करते हैं. उनको इस बार के कारण दोहरी मार पड़ी है. किसान जगत नारायण ने बताया कि बाढ़ आने से रमना क्षेत्र में 12 सौ एकड़ में हर प्रकार की सब्जी की खेती की जाती है. इसमें सेम, नेनुहा, करेला, बोड़ा, टमाटर, बैगन, लगभग सभी प्रकार की सब्जी की फसल की जाती है. जगत नारायण ने बताया कि 80 प्रतिशत फसल तबाह हो गई है. किसानों को किसी प्रकार की कोई मदद सरकार से नहीं मिलती है. किसान किसी तरह कर्ज लेकर अपना काम चला रहे हैं.

वाराणसी में बाढ़ का प्रकोप

किसान अच्छेलाल शर्मा ने बताया की 10 बिस्सा खेत में सेम लगाता हूँ, जिसमें 10-15 हजार रुपया की लगात आती है. जिसमें लागत के डेढ़ लाख कर नुकसान हुआ है. सबसे कर्ज लेकर काम किया जा रहा है. लगभग हर तीसरे साल में बाढ़ आता है. बाढ़ जब आता है तो तटबन्ध बनाने की बात कही जाती है. बाढ़ जाने के बाद ठंडे बस्ते में चला जाता है. सरकार से हमारी मांग है कि सामनेघाट से तारापुर तक तटबन्ध नहीं बना तो रोहनिया क्षेत्र स्थित रमनावासी वोट नहीं देंगे. अच्छेलाल ने आगे कहा की तटबन्ध नहीं तो वोट नहीं.

रमना के प्रधानपति अमित पटेल ने बताया कि रमना क्षेत्र में बाढ़ के कारण हजारों एकड़ फसल डूब चुकी है. यहां 2013, 16, 19 और अब 2021 में बाढ़ आई है, जो किसानों को बार-बार झेलनी पड़ती है. यहां हजारों एकड़ में सेम, करेला, नेनुआ, कद्दू, लौकी, टमाटर एवं अनेक प्रकार की सब्जी पैदा की जाती है. रमना क्षेत्र में किसान खेती पर ही निर्भर हैं. यहां पर किसान रेहनी मजदूरी पर खेती लेकर करता है. वह 15-20 हजार रुपये महीने पर रेहनी पर खेती करता है.

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अमित पटेल ने बताया कि सरकार से बार-बार मांग की जा रही है कि तटबन्ध बनवाने का काम किया जाए. हजारों एकड़ फसल जो डूबकर बर्बाद हुई है उसमें सबसे ज्यादा नुकसान किसानों का हुआ है. 50 हजार रुपये बीघा खर्चा आता है. सरकार की तरफ से झाड़ वाली खेती पर एक रुपये मुआवजा नहीं दिया जाता है. इस बार रमना किसानों ने ठानी है कि 2022 में चुनाव होगा तो बहिष्कार किया जाएगा. रमना, नरोत्तमपुर, टिकरी, मुड़ाडीह एक हो गया है. गंगा के तट पर जितने गांव हैं ये आंदोलन में शामिल होंगे.

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