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ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण प्रकरण : अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दाखिल की निगरानी याचिका

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Published : Jul 5, 2021, 11:36 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 12:31 AM IST

ज्ञानवापी मस्जिद
ज्ञानवापी मस्जिद

याचिका में कहा गया है कि ज्ञानवापी मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं था. सर्वेक्षण के लिए मस्जिद की खुदाई करने से पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन होगा. ज्योतिर्लिंग अपनी जगह पर सुरक्षित है. वहां वर्तमान में मंदिर है.

वाराणसी : चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर प्रकरण मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने कोर्ट में निगरानी याचिका दाखिल की है. सोमवार को मसाजिद ने पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश के खिलाफ जिला जज ओम प्रकाश त्रिपाठी की अदालत में याचिका दाखिल की.

बताते चलें कि बीते 8 अप्रैल 2021 को फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण संबंधी आदेश जारी किया था. इस आदेश के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 30 जून 2021 को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दाखिल की थी. अब जिला जज की अदालत ने दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तिथि नियत की है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को सौंपी थी जिम्मेंदारी

ज्ञानवापी मामले में सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल 2021 को फैसला सुनाते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जिम्मेंदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी. कोर्ट ने इस मामले पर 5 लोगों की टीम बनाकर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था.

इसमें मुस्लिम पक्ष से भी 2 लोगों को शामिल करने का आदेश दिया था. सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सर्वे का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने विवादित स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने, खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था.

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जुलाई को होगी अगली सुनवाई

ज्ञानवापी प्रकरण मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 9 जुलाई की तारीख तय की है. कोर्ट ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दाखिल निगरानी याचिका और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद द्वारा दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई की थी.

यह है पूरा मामला

आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इस विवादित ढांचे के नीचे ज्योतिर्लिंग है. यही नहीं, ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी प्रदर्शित हैं. दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था. फिर इसके अवशेषों से मस्जिद बनवाई, जिसे मंदिर की जमीन के एक हिस्से पर ज्ञानवापसी मस्जिद के रूप में जाना जाता है.

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में 1991 में वाराणसी कोर्ट में मुकदमा दाखिल हुआ था. इस याचिका कि जरिए ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी गई लेकिन कुछ ही दिनों बाद मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर मौके पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया.

ज्ञानवापी मस्जिद का ASI करेगी सर्वेक्षण

हालांकि, स्टे ऑर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और फैसले के बाद 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई. अब वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के ASI द्वारा सर्वेक्षण करने की मंजूरी दी गई है. इस आदेश में खास यह है कि सर्वे करने वाली टीम 5 सदस्यों की होगी जिसमें 2 अल्पसंख्यक समुदाय के जबकि 3 अन्य होंगे. इस टीम को भी एक एक्सपर्ट की ओर से मॉनिटर किया जाएगा. जो किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुरातत्व विषय के वैज्ञानिक होंगे. ASI को उत्तर प्रदेश के पुरातत्व विभाग मदद करेगी.

अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की ये है दलील

इस संबंध में प्रतिवादी पक्ष (ज्ञानवापी मस्जिद) अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से प्रतिवाद दाखिल पत्र दाखिल किया गया. इसमें दावा किया गया कि यहां विश्वनाथ मंदिर कभी था ही नहीं. औरंगजेब ने उसे कभी तोड़ा ही नहीं जबकि मस्जिद अनंत काल से कायम है. उन्होंने अपने परिवाद पत्र में यह भी माना कि कम से कम 1669 से यह ढांचा यहीं कायम चला आ रहा है.

Last Updated :Jul 6, 2021, 12:31 AM IST
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