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वाराणसी में होगी राम मंदिर और नेपाल विवाद पर चर्चा, जुटेंगे देशभर के संत

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Published : Dec 26, 2020, 7:48 PM IST

अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले वाराणसी में 2 और 3 जनवरी को देशभर के बड़े साधु-संत जुट रहे हैं. इस दौरान देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी. शनिवार को कुछ साधु-संतों ने तैयारियों का जायजा लिया.

संत
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वाराणसीः काशी में 2 और 3 जनवरी को देशभर के साधु-संत जुट रहे हैं. श्रीराम मंदिर निर्माण, भारत नेपाल संबंध, विश्वनाथ कॉरिडोर, ज्ञानवापी जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा करेंगे. सभी संत अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले जुटेंगे. दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध महाविद्यालय में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

राम मंदिर निर्माण पर चर्चा
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर विशाल एवं भव्य मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए श्रीराम मंदिर निर्माण में देश भर के लोगों का अंशदान हो सके. इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में शनिवार से धन संकलन अभियान का शुभारंभ भी हो चुका है. इस विषय पर भी चर्चा होगी.

संत समागम पर चर्चा.

ये संत होंगे शामिल
अविचल दास महाराज, ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, निर्मल अखाड़े के महंत ज्ञानदेव सिंह, जगतगुरु रामानुजाचार्य, स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर, युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि, महामंडलेश्वर अलख गिरी, कालिका पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत, स्वामी हंसानन्द तीर्थ, स्वामी बाबा निर्मोही, महंत बलराम दास हठयोगी. वहीं संतों के साथ इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य रामयत्न शुक्ल शामिल होंगे.

दिया गया दायित्व
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर स्वामी बालक दास ने बताया कि 2 और 3 जनवरी को होने वाले संत समागम का जायजा लिया. ज्यादा संख्या में संतों को आना है. अखिल भारतीय संत समिति के बड़े-बड़े पदाधिकारी आएंगे. शंकराचार्य और महामंडलेश्वर आ रहे हैं. संत समिति पूरी तैयारी कर ली है और सबको सबका दायित्व दे दिया गया है. कैवल्य ज्ञान पीठ और अस्सी स्थित रामजानकी मठ में निवास की व्यवस्था की गई है.

नेपाल विवाद पर होगी चर्चा
बालक दास ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि में भव्य मंदिर निर्माण किया जाना है. इसके लिए हम चाहते हैं कि पूरा देश इसमें अंशदान करे. हम कथावाचकों की भी सहायता लेंगे ताकि वह कथा के माध्यम से लोगों में जनजागृति फैलाएं. नेपाल और भारत के संबंध में जो खटास हो रही है उसे संतों के माध्यम से शांत करने का प्रयास किया जाएगा.

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