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उन्नाव: स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, जिला अस्पताल में अंधेरे में हो रहा इलाज

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Published : Oct 23, 2019, 5:16 PM IST

जिला अस्पताल में अंधेरे में हो रहा इलाज

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला अस्पताल में बिजली कट जाने पर जनरेटर की व्यवस्था होने के बाबजूद नहीं चलाया जाता है, जिसके चलते डॉक्टर, मरीज और कर्मचारी परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं.

उन्नाव: प्रदेश सरकार जहां बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लगातार प्रयास कर रही है. वहीं, जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सरकार की मंशा पर पलीता लगाती नजर आ रही है. दरअसल उमा शंकर दीक्षित जिला अस्पताल में बिजली कट जाने पर जनरेटर की व्यवस्था होने के बाबजूद नहीं चलाया जाता है. इसके चलते डॉक्टर, मरीज और कर्मचारी परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं.

जिला अस्पताल में अंधेरे में हो रहा इलाज.

इमरजेंसी में बिजली कट जाने के बाद जहां डॉक्टर मरीजों का इलाज अंधेरे में करते हैं. वहीं, अस्पताल के कर्मचारी भी मोबाइल टॉर्च की रोशनी से काम चलाते हैं. बता दें कि जिला अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था की गई है, लेकिन अस्पताल में मौजूद जनरेटर की व्यवस्था के बावजूद जनरेटर को नहीं चलाया जाता है.

जनरेटर न चलाकर डीजल की बचत की जाती है. आरोप है कि स्वास्थ्य प्रशासन की मिलीभगत से अस्पताल के कर्मचारी डीजल चोरी करके बेच देते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य प्रशासन की मिली भगत से डीजल चोरी का खेल खेला जा रहा है. फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.

अस्पताल में बिजली के जाने पर जनरेटर की व्यवस्था का इंतजाम किया गया है. लेकिन बिजली केजाने के बावजूद जनरेटर नहीं चलाया जाता है. जनरेटर में किसी प्रकार की खराबी भी नहीं है.
डॉ. आशीष सक्सेना, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर

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Intro: उत्तर प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन उन्नाव का स्वास्थ्य विभाग सरकार की मंशा को पलीता लगाने का काम कर रहा है। पूरा मामला उन्नाव के उमा शंकर दीक्षित जिला अस्पताल का है। जहां के अस्पताल के एमरजेंसी ब्लॉक में डॉक्टर अंधेरे में मरीजो का इलाज करने के लिए मजबूर हैं। ब्लॉक में तैनात डॉक्टर और अन्य कर्मी मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में काम करने को मजबूर हैं। बिजली न आने पर जनरेटर की व्यवस्था होने के बाद भी घंटो तक जनरेटर नही चलाया जाता है।

Body:ख़बर उन्नाव से है जहां जिला अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टर मोबाइल की रोशनी में इलाज करने को मजबूर हो रहे है ।बिजली के जाने पर डॉक्टर को ईलाज के दौरान खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है और इससे मरीज को भी समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल जिला अस्पताल की बिजली के जाने पर जनरेटर की व्यवस्था की गई है लेकिन अस्पताल में मौजूद जनरेटर की व्यवस्था के बावजूद जनरेटर को नही चलाया जाता है और जनरेटर न चलाकर डीजल की बचत की जाती है । स्वास्थ्य प्रशासन की मिली भगत से अस्पताल के कर्मचारी डीजल चोरी करके बेचा जाता है । वही जब इस पूरे मामले में इमरजेंसी के डॉक्टर से बात की गई तो उनका कहना है कि अस्पताल में बिजली के जाने पर जनरेटर की व्यवस्था का इंतजाम किया गया है लेकिन अस्पताल में बिजली के घंटो जाने के बावजूद जनरेटर को नही चलाया जाता है और न ही जनरेटर में किसी प्रकार की खराबी की समस्या है ।यह पहली बार नही है इससे पहले भी अस्पताल में बिजली जाने पर अक्सर जनरेटर को नही चलाते है । ऐसे में सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य प्रशासन की मिली भगत से डीजल चोरी का खेल खेला जा रहा है ..यदि हा तो फिर उनके खिलाफ कार्यवाही क्यो नही की जा रही है । डीजल की चोरी करके मोबाइल की रोशनी में मरीजो का इलाज करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है क्या..?

बाइट-डॉ आशीष सक्सेना (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) उन्नावConclusion:
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