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अधिवक्ता ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दायर किया परिवाद, सनातम धर्म का किया अपमान

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 11:02 PM IST

Updated : Nov 24, 2023, 6:13 AM IST

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा

उन्नाव में अधिवक्ता ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (SP leader Swami Prasad Maurya) के खिलाफ परिवाद दायर किया है. जिसमें सनातन धर्म का अपमान करने पर वाद दायर कर मुकदमा दर्ज कराने (Complaint filed against SP leader Swami Prasad Maurya) की मांग की है.

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उन्नाव में दायर हुआ परिवाद

उन्नाव: यूपी में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर एक बयान अपलोड किया है. इसमें उन्होंने हिंदू धर्म के अस्तित्व को लेकर ब्राह्मण जाति के प्रति अपमानजनक और घृणास्पद बयान दिया है. इसको लेकर ब्राह्मणों में विरोध देखने को मिल रहा है. इससे क्षुब्ध होकर उन्नाव शहर क्षेत्र के रहने वाले एक अधिवक्ता ने आईजीआरएस कर शिकायत की थी. कार्रवाई न होने पर गुरुवार को उन्नाव के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां 156 (3) के तहत वाद दायर कर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.

उन्नाव शहर कोतवाली क्षेत्र के सिविल लाइंस मोहल्ले में रहने वाले अधिवक्ता आदित्य कुमार त्रिपाठी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां धारा 156 (3) के तहत वाद दायर करते हुए बताया कि समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिन्दू धर्म के आस्तित्व को नकारते हुए ब्राह्मण जाति के प्रति अपमानजनक बयान दिया था. इसकी सत्यता परखने के लिए प्रार्थी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के ऑथराइज्ड ट्वीटर हैंडल को चेक किया. जिस पर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा लिखित रूप से और वीडियो के माध्यम से घृणास्पद बयान पढ़ने व देखने को मिला, जिससे प्रार्थी का मन अत्यंत आहत हुआ. अभियुक्त द्वारा दिए गए बयान से जन सामान्य के मन में जातीय विभेद उत्पन्न हो रहा है. सामाजिक समरसता को खतरे में डाला गया है, जिसकी वजह से लोगों के मन में जाति को लेकर एक दूसरे के प्रति विभेद और जातीय हिंसा हो सकती है.

प्रार्थी ब्राह्मण जाति का होने के साथ सनातन हिन्दू धर्म को मानने और विश्वाश रखने वाला व्यक्ति है. अभियुक्त द्वारा किया गया कृत्य घृणा उत्पन्न करने वाला बयान है, जिसे गम्भीरता से लिया जाना चाहिए. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कुछ समय पूर्व ही राज्यों को निर्देश दिया गया है कि बिना शिकायतकर्ता के स्वतः संज्ञान लें. घृणास्पद बयान देने वाले व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई की जाए.

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Last Updated :Nov 24, 2023, 6:13 AM IST
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