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26 साल बाद एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला, सपा सरकार में मंत्री रहे जंग बहादुर सिंह को आजीवन कारावास

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Published : Jul 22, 2021, 3:40 PM IST

सपा सरकार में मंत्री रहे जंग बहादुर सिंह को आजीवन कारावास
सपा सरकार में मंत्री रहे जंग बहादुर सिंह को आजीवन कारावास

पंचायत चुनाव की रंजिश में हुई हत्या के मामले में सुल्तानपुर में बीते 26 साल से विचारण और विवेचना की प्रक्रिया चल रही थी. इस फैसले से पीड़ित परिवार की आंखों में खुशी के आंसू दिखाई दिए.

सुल्तानपुर : बसपा से चुनाव जीतकर समाजवादी पार्टी में राज्य भंडारण निगम विभाग के मंत्री रहे जंग बहादुर सिंह समेत चार को सुल्तानपुर जिला एवं सत्र न्यायालय एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

पंचायत चुनाव की रंजिश में हुई हत्या के मामले में सुल्तानपुर में बीते 26 साल से विचारण और विवेचना की प्रक्रिया चल रही थी. इस फैसले से पीड़ित परिवार की आंखों में खुशी के आंसू दिखाई दिए.

मामला मौजूदा अमेठी जिले के जामो थाना क्षेत्र के पूरब गौरा गांव से जुड़ा हुआ है. यहां स्थानीय निवासी राम उजागीर यादव ने अपने भाई राम प्रकाश यादव की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप था कि 30 जून 1995 को सपा सरकार में मंत्री रहे और तत्कालीन ब्लाॅक प्रमुख जंग बहादुर सिंह, उनके बेटे ददन सिंह, भांजे रमेश सिंह और समर बहादुर सिंह समेत हर्ष बहादुर सिंह ने गोली मारकर रामप्रकाश यादव की हत्या कर दी थी.

सपा सरकार में मंत्री रहे जंग बहादुर सिंह को आजीवन कारावास

पीड़ित परिवार की तहरीर पर इन लोगों के खिलाफ स्थानीय थाने में अभियोग पंजीकृत किया गया था. पहले इस मामले का विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम की अदालत में चल रहा था.

बीते 3 वर्ष की कई पेशियों में साक्षी राम उजागीर से जिरह नहीं हो पा रही थी. मामले में पूर्व मंत्री के भांजे रमेश सिंह ने जिला जज की अदालत में एफटीसी कोर्ट पर संदेह जताते हुए केस ट्रांसफर की अर्जी दी थी.

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उधर, उधर पीड़ित परिवार की तरफ से कई बार हत्या कराने की धमकी की जानकारी न्यायालय में दर्ज कराई गई थी. ट्रायल के दौरान हत्यारोपी दद्दन सिंह मौत हो गई थी. बताया जाता है कि इस समय जंग बहादुर सिंह भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय नेता के रूप में कार्य कर रहे हैं.

पत्नी बोली 26 साल बाद मिला इंसाफ

रामप्रकाश यादव की हत्या मामले में आए इस फैसले पर पीड़ित पत्नी शिव पत्ती ने कहा कि 26 साल बाद हमें न्याय मिला है. हमारे पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिसमें उनके बेटे और भांजे भी शामिल थे.

वहीं, इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता रविवंश सिंह ने बताया कि मामला 30 जून 1995 का है. प्रधानी का चुनाव चल रहा था. उस समय जंग बहादुर सिंह ब्लाॅक प्रमुख थे. पिछड़ा वर्ग का चुनाव था जिसमें जंग बहादुर सिंह का कैंडिडेट हार गया.

चुनाव जीतने के बाद रामप्रकाश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई जिसमें उनके भाई और पत्नी पीड़ित के रूप में सामने आए थे. 26 साल बाद न्यायालय का फैसला आया है जिससे न्यायालय पर उम्मीद जो कायम थी, वह सही साबित हुई है.

कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा ने प्रभावित किया था न्याय
अधिवक्ता रविवंश सिंह ने कहा कि उस समय जंग बहादुर सिंह सपा सरकार में मंत्री थे. तत्कालीन कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा द्वारा मुकदमे को काफी प्रभावित किया गया था.

बार-बार प्रशासन की तरफ से यह कहा जाता था कि जब आरोपपत्र में जंग बहादुर वर्मा का नाम निकाल दिया गया है तो दोबारा इन्हें केस में क्यों शामिल किया जा रहा है.

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