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सुलतानपुर में गैर हाजिर मिले 16 शिक्षकों ने नौकरी बचाने के लिए लिया निर्वाचन ड्यूटी का सहारा

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Published : May 18, 2023, 4:02 PM IST

सुलतानपुर में निरीक्षण के दौरान कई शिक्षक अनुपस्थित मिले थे
सुलतानपुर में निरीक्षण के दौरान कई शिक्षक अनुपस्थित मिले थे

सुलतानपुर में निरीक्षण के दौरान कई शिक्षक अनुपस्थित मिले थे. इनके खिलाफ एसडीएम ने डीएम को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेज दी थी. अब इन शिक्षकों ने नौकरी बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं.

सुलतानपुर में निरीक्षण के दौरान कई शिक्षक अनुपस्थित मिले थे.

सुलतानपुर : जिले में एसडीएम के निरीक्षण में 16 शिक्षक गैर हाजिर मिले थे. इसकी रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम ने डीएम को कार्रवाई के लिए भेज दी थी. इन शिक्षकों की गर्दन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. शिक्षकों ने नौकरी बचाने के लिए अलग दांव खेल दिया है. अब वे खुद को निर्वाचन ड्यूटी में व्यस्त बताकर बचाव कर रहे हैं. डीएम ने इसकी सत्यता की जांच के आदेश दे दिए हैं.

जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि मामला बल्दीराय तहसील क्षेत्र का है. स्थानीय लोगों की मदद से गोपनीय रिपोर्ट मिली थी कि प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक नहीं आते हैं. इसके बाद एसडीएम बल्दीराय/मजिस्ट्रेट महेंद्र कुमार श्रीवास्तव को पूरे मामले की जांच सौंपी गई थी. निरीक्षण में प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों के 16 शिक्षक ड्यूटी से नदारद पाए गए थे. इसकी रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम ने भेजी थी. इस बीच गैर हाजिर रहे शिक्षकों ने दूसरा पैंतरा चल दिया है. वे स्वयं को निर्वाचन ड्यूटी में व्यस्त होने की बात कह रहे हैं. पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका चतुर्वेदी को ड्यूटी की जांच करने के आदेश दिए गए हैं. यह पता लगाने को कहा गया है कि यह लोग वाकई में निर्वाचन ड्यूटी में थे या केवल बहाना बना रहे हैं. दोबारा जांच टीम गठित हाेने से शिक्षकों में भी खलबली मची हुई है.

डीएम ने बताया कि शिक्षा विभाग की जांच कराने का प्लान तैयार किया गया था. इसमें एसडीएम को जांच अधिकारी के रूप में नामित किया गया था. उन्होंने 21 प्राथमिक विद्यालयों की जांच की थी. इसमें 16 शिक्षक गैरहाजिर पाए गए थे. बता दें कि रसूख रखने वाले शिक्षक अमूमन प्राथमिक विद्यालयों में ड्यूटी पर जाना पसंद नहीं करते हैं. सूत्रों के मुताबिक सुविधा शुल्क खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से शिक्षा विभाग के आला अफसरों तक पहुंचाते हैं. उन्हें ₹15000 खर्च करने पड़ते हैं. इससे उनकी नौकरी बची रहती है. इससे प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था बेहद खराब चल रही है.

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