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सोनभद्र में बांस बनेगा ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति का आधार

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Published : Jan 26, 2021, 1:27 PM IST

यूपी के सोनभद्र में प्रशासन के सहयोग से ग्रामीण बांस से बने उत्पादों का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण अब सूप, डलिया, खिलौने जैसे उत्पादों के साथ-साथ अब बांस से बने शोपीस, सजावटी सामान, कप सर्विस ट्रे, बांस का सोफा और बेड समेत अन्य सामान बना रहे हैं.

बांस से बने उत्पाद.
बांस से बने उत्पाद.

सोनभद्र: स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बनने का प्रधानमंत्री का मंत्र सोनभद्र जैसे पिछड़े और आदिवासी जिले में भी दिखना शुरू हो गया है. सोनभद्र में रहने वाले आदिवासियों द्वारा परंपरागत तौर पर बनाए जाने वाले बांस के उत्पाद में सिर्फ बाजार का रूप ले रहे हैं, बल्कि विदेशों से भी अब इनकी मांग आनी शुरू हो गई है. कोविड-19 की आपदा में अवसर की तलाश करते हुए जिला प्रशासन ने आजीविका मिशन के तहत ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर बांस के उत्पादों को मशीनों से प्रस्तुत करने का काम शुरू कराया गया. जिससे बांस के उत्पादों की मांग न सिर्फ देश में हो रही है, बल्कि विदेशों से भी इसके लिए आर्डर आ रहे हैं.

ग्रामीण बांस से तरह-तरह के बना रहे उत्पाद

प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण बांस से तरह-तरह के बना रहे उत्पाद
कोविड-19 जैसी आपदा के समय जिला प्रशासन की पहल से ग्रामीण आदिवासियों को जो कि बांस का परंपरागत कार्य सदियों से करते आ रहे हैं, प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया था. प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण अब सूप, डलिया, खिलौने जैसे उत्पादों के साथ-साथ अब बांस से बने शोपीस, सजावटी सामान, कप सर्विस ट्रे, बांस का सोफा और बेड समेत अन्य सामान बना रहे हैं. चोपन ब्लॉक के पटवध गांव के दस से अधिक ग्रामीण इस समय बांस का सामान बनाने में लगे हुए हैं. धरिकार जाति के ये ग्रामीण पीढ़ियों से बांस का सामान बनाते रहे हैं. प्रशिक्षण के बाद अब इनके बनाए हुए आधुनिक सामानों की मांग स्थानीय बाजार के साथ-साथ देश और विदेश में भी हो रही है. जिससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ भी मिल रहा है.

बांस से बने उत्पाद.
बांस से बने उत्पाद.

महाराष्ट्र से आए ट्रेनर और कंसल्टेंट सिखा रहे सजावटी सामान बनाने का हुनर
परंपरागत रूप से बांस का सामान बनाने वाले इन ग्रामीणों को प्रशिक्षण महाराष्ट्र से आए ट्रेनर अभिषेक पाटिल दे रहे हैं. अभिषेक पाटिल ने बताया कि मशीनों के माध्यम से इनके सामानों की गुणवत्ता निकाली जाएगी. इससे देश और विदेश में इनकी डिमांड हो सके और उन्हें बाजार मिल सके. उन्होंने बताया कि सामानों को बनाने से पहले उसका ट्रीटमेंट किया जाता है, जिससे वह लंबे समय तक प्रयोग में आ सके और टिकाऊ रहे.

विदेश से भी मिल रहे ऑर्डर
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक ने बताया कि महिला स्वयं समूह के परिजनों को बांस का सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे उनकी आर्थिक उन्नति हो सके. इनके लिए स्थानीय बाजार के साथ-साथ देश और विदेश में भी आर्डर लेने का प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीण आदिवासियों के उत्पादों को सोन बाजार नामक ऐप पर प्रदर्शित किया जाता है. जिससे देश और विदेश से ऑर्डर मिल रहे हैं. अभी हाल में ही अमेरिका से भी एक आर्डर मिला है, जिसे पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.

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