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मीट फैक्ट्री में अफसरों की छापेमारी में मिली खामियां, भरे गए नमूने

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Published : Oct 30, 2022, 4:10 PM IST

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मीट फैक्ट्री

यूपी के शामली में प्रशासन ने मीट फैक्ट्री में छापेमारी की. इस दौरान भारी अनियमितताएं मिलने पर संचालक फाजिल कुरैशी को व्यवस्था दुरूस्त करने के निर्देश दिए गए. साथ ही, प्रदूषण के ग्राफ को देखते हुए पानी के नमूने भी लिए गए.

शामली: जिले के कैराना में स्थित मीट फैक्ट्री में मानकों के खिलाफ पशुओं का वध करने व प्रदूषण बढ़ने से बीमारियां फैलने की शिकायत हुई थी. इसके बाद एसडीएम ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर, खाद्य सुरक्षा विभाग, पशु चिकित्सा विभाग व अग्निशमन विभाग के साथ फैक्ट्री में छापेमारी की. जांच-पड़ताल के दौरान फैक्ट्री में भारी अनियमितताएं मिलीं, जिस पर अधिकारियों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए संचालक फाजिल कुरैशी को व्यवस्था दुरुस्त करने और तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. इसके अलावा फैक्ट्री से पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवाए गए हैं.

एसडीएम शिवप्रकाश यादव

कैराना कोतवाली क्षेत्र के कांधला रोड पर मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट फैक्ट्री) का संचालन होता है. फैक्ट्री में मानकों के विरुद्ध पशुओं का वध करने और प्रदूषण फैलने से बीमारियां फैलने की शिकायत हुई थी. इसके बाद कैराना एसडीएम शिवप्रकाश यादव, सीओ अमरदीप मौर्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर से एईई विपुल कुमार, जिला अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशवंत सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुनील कुमार ने मीट फैक्ट्री में छापेमारी की.

यहां अधिकारियों ने पानी की सप्लाई, प्लांट से बाहर जाने वाले पानी के साथ ही पशुओं के खून के निस्तारण के बारे में जानकारी की. टीम ने फैक्ट्री में कटान होने वाले पशुओं की संख्या व उनके स्वास्थ्य की जांच के बारे में भी जांच की. साथ ही, हड्डियों के गलाने, साफ-सफाई, आग से बचाव के उपकरण आदि के बारे में जांच की गई. टीम ने पशुओं के अवशेष निस्तारण की व्यवस्था भी परखी.

इसके अलावा टीम ने पशुओं के फैक्ट्री के अंदर आने वाले मार्ग के सीसीटीवी कैमरे खंगाले, ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं कम उम्र का पशु तो कटान के लिए नहीं लाया जा रहा है. इसके अलावा पशुओं की एंट्री के रजिस्टर आदि की भी जांच की. जांच के दौरान मीट फैक्ट्री परिसर में गंदगी मिलने पर अधिकारियों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की और संचालक को सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने के निर्देश दिए. वहीं, मीट फैक्ट्री में ट्रीट होने वाले पानी के सैंपल भी लिए गए, जिन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवाया गया है.

दुर्गंध इतनी कि अफसरों ने ढक लिए मुंह
मीट फैक्ट्री की दुर्गंध नाक में दम करती है, जिस समय अधिकरी मीट फैक्ट्री में जांच-पड़ताल कर रहे थे, तब वहां सांस लेना बड़ी मुश्किल हो रहा था. इसी के चलते अधिकारियों के साथ-साथ टीम के सदस्यों ने अपने मुंह पर मास्क लगाकर ढक लिया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अधिकारी मीट फैक्ट्री में बगैर मास्क लगाए जांच नहीं कर सकते हैं, तो प्लांट से उठती दुर्गंध से आसपास में बसे लोगों को कितनी परेशानी होती होगी. यह भी सत्य है कि मीट फैक्ट्री के प्रदूषण से लंबे समय से त्रस्त आमजन को शिकायतों के बावजूद निजात नहीं मिल पा रही है.

तो क्या बगैर एनओसी चल रही मीट फैक्ट्री ?
अधिकारियों की जांच के दौरान मीट फैक्ट्री संचालक और वर्करों में हड़कंप मचा रहा. इस दौरान अधिकारियों ने एनओसी और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, तो संचालक मौके पर उपरोक्त दस्तावेज मुहैया नहीं करा सका. वहीं, मीट फैक्ट्री की एनओसी को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं भी होती नजर आई. कहीं ऐसा न हो कि पुरानी एनओसी पर ही मीट फैक्ट्री का संचालन हो रहा हो या फिर एनओसी की समयावधि पूरी हो गई हो. कुछ भी हो, अधिकारियों के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी.

आखिर क्यों बंद मिले सीसीटीवी कैमरे ?
मीट फैक्ट्री में जांच के दौरान अधिकारियों को कई खामियां मिली हैं. यहां अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली है, जिसमें शनिवार सुबह सात बजे से पहले के सीसीटीवी कैमरे बंद मिले. अधिकारियों के पूछने पर मीट फैक्ट्री संचालक बगले ताकने लगा और गोलमोल जवाब देकर खुद के बचाव करने के प्रयास करता नजर आया. सवाल यह उठता है कि आखिर सीसीटीवी कैमरे बंद कर मीट फैक्ट्री में कौनसा कार्य किया जाता है. वैसे भी मीट फैक्ट्री में मानकों के विरुद्ध पशुओं का कटान करने के आरोप लगते रहे हैं. मृत पशुओं के कटान का मामला भी चर्चाओं में रहा है.

कार्रवाई कम खानापूर्ति हुई ज्यादा, कैसे मिले निजात
लंबे समय से मीट फैक्ट्री से त्रस्त लोग आवाज उठाते रहे हैं. कुछ परिवारों ने पलायन करने के लिए 'यह मकान बिकाऊ है' भी लिखवाया था. इसके अलावा कई बार लिखित शिकायत भी हुई. अब जब अधिकारी मीट फैक्ट्री में जांच को पहुंचे, तो वहां खामियों की भरमार मिली, लेकिन इसके बावजूद भी कार्रवाई कम खानापूर्ति ज्यादा होती नजर आई. मीट फैक्ट्री संचालक मौके पर संबंधित दस्तावेज नहीं दिखा सका, फिर भी प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में जनता को मीट फैक्ट्री के प्रदूषण से कैसे निजात मिलेगी, यह समझ से परे है.

क्या कहते हैं एसडीएम?
एसडीएम शिवप्रकाश यादव ने बताया कि उनके द्वारा विभिन्न विभागों के साथ मीट फैक्ट्री में जांच-पड़ताल की गई है. संचालक फाजिल कुरैशी को तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. अनियमितताओं के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

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