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भदोही: 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना' फिर से दिला पाएगी कालीन नगरी को खोई पहचान

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Published : Mar 14, 2020, 11:56 AM IST

यूपी के भदोही के कालीन उद्योग को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का लाभ मिल रहा है. कालीन नगरी में कारपेट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को इसका लाभ प्रत्यक्ष तौर पर मिल रहा है. इस योजना के तहत 1 हजार से अधिक लोग अब तक लाभान्वित हो चुके हैं.

कालीन नगरी को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का मिल रहा लाभ.
कालीन नगरी को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का मिल रहा लाभ.

भदोही: प्रदेश भर में चलाई जा रही वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का जिले में भी कारपेट इंडस्ट्री को इसका बड़ा लाभ मिला है. यह योजना प्रदेश के हर जिले में चलाई जा रही है, ताकि हर जिले को अपने स्पेसिफिक कारोबार में नई पहचान मिल पाए. उद्योग से जुड़े छोटे बड़े कारोबारियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह योजना चलाई जा रही है. इसी के तहत कालीन नगरी भदोही में कारपेट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को इसका लाभ प्रत्यक्ष तौर पर मिल रहा है. इस योजना के तहत 1 हजार से अधिक लोग अब तक लाभान्वित हो चुके हैं.

कालीन नगरी को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का मिल रहा लाभ.

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत छोटे कालीन कारोबारियों को मिल रही मदद
जिले का कालीन पूरे विश्व में अपनी बुनाई के लिए प्रसिद्ध है. यहां के बने हस्त निर्मित कालीन की मांग पूरे विश्व में है. कालीनों के लिए मशहूर भदोही जिला में छोटे-छोटे कारोबारी जिनके पास पैसे नहीं थे. वह कालीन का काम छोड़कर किसी और काम को करने में लग गए थे. तमाम छोटे व्यापारी जिनकी माली हालत सही नहीं थी. वह कालीन की बुनाई छोड़ चुके थे, लेकिन वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत कई ऐसे छोटे-छोटे कालीन कारोबारी है, जो इस योजना के तहत लोन लेकर फिर से अपना काम शुरू कर दिया है.

बड़ी संख्या में अन्य लोगों को रोजगार भी मिल रहा है
जिले के तमाम इलाकों में छोटे कारोबारियों ने योजना से मिले लाभ के जरिए कई क्षेत्रों में कालीन के रूम स्थापित किए हैं. इन लोगों को तो लाभ हो ही रहा है साथ-साथ उन्होंने बड़ी संख्या में अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है. जनपद के चोरी के रहने वाले प्रवीण वर्मा का तकरीबन 1 साल पहले अपने परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कालीन की बुनाई का काम पूरी तरह से प्रभावित हुआ था. उन्होंने अपने काम को बंद करने का फैसला लिया था. ऐसे में सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के विषय में इनको जानकारी मिली और उन्होंने इस योजना के तहत 25 लाख रुपये प्राप्त किए और फिर से अपना खुद का बुनाई का रूम चालू करवा दिया है. साथ ही साथ उनके यहां 2 दर्जन से अधिक लोग काम भी कर रहे हैं.

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इस योजना के तहत 2018-19 में 205 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. जिसमें से 168 करोड़ रुपये 38 लाभार्थियों को वितरित किए गए थे. वहीं 2019-20 में 203 करोड़ रूपये सुकृत हुए थे, जिसमें 33 लाभार्थियों को 134 करोड़ रुपए वितरित हो चुके हैं. इसके अलावा इस योजना के तहत भी लोगों में लगने वाले कारपेट फेयर में कई निर्यातक जाते हैं. उन निर्यातकों को एयर टिकट में 75 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है. साथ ही स्टॉल लगाने के लिए भी उनकी अलग से मदद की जाती है.

एक कारपेट एक्सपोर्टर को साल में 9 लाख कारपेट फेयर में जाने के लिए मुहैया कराती है सरकार
एक कारपेट एक्सपोर्टर को साल में 9 लाख सरकार कारपेट फेयर में जाने के लिए मुहैया कराती है. इसके अलावा जो छोटे कारोबारी हैं और देश के ही विभिन्न इलाकों में फेरी लगाकर अपने उत्पाद को बेच रहे हैं. उनके लिए भी इस योजना के तहत मदद की जा रही है. योजना के माध्यम से 450 लाभार्थियों को टूल किट वितरित किया गया और उनको 6 महीने की प्रशिक्षण दी गई. विश्वकर्मा सन्मान योजना के तहत लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है तथा उन्हें टेक्निकल काम करने के लिए उपकरण भी दिए जा रहे हैं. इसमें बुनाई का सामान उन्हें दिया जा रहा है 350 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है और हस्तशिल्प योजना के तहत 60 से 70 लोगों को भी लाभ दिया जा चुका है.

क्या है वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना
हर जिले में अपने उत्पाद के लिए उसे एक नई पहचान देने के लिए यह योजना 2 साल पहले प्रदेश सरकार ने चलाई थी. भदोही अपने कालीनोंं के लिए जाना जाता है. इसलिए इस योजना में कालीन को प्रमुखता दी गई है. इस योजना के तहत जिला जिस उत्पाद के लिए मशहूर होता है. उस कारोबार को बढ़ाने के लिए सरकार सूक्ष्म स्तर पर कारोबारियों की मदद करती है. इस योजना के अंदर 3 योजनाएं और संचालित हो रही है. इस योजना के तहत कारीगरों को प्रशिक्षण छोटे बड़े कारोबारियों को कारोबार करने के लिए बैंक द्वारा लोन तथा उन्हें कारोबार फैलाने के लिए सरकार सब्सिडी मुहैया करा रही है.

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