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रायबरेली: शहरी विकास को मुंह चिढ़ा रहा ध्वस्त सीवेज सिस्टम

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Published : Mar 28, 2019, 7:14 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: सड़कों पर बह रहा गन्दा पानी

रायबरेली में विकास को गति देने के दावे की पोल खुल है. बह रहा गंदी पानी और कच्ची सड़कें लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. इलाके में जन प्रतिनिधियों के होने के बावजूद भी विकास न के बराबर दिख रहा है.

रायबरेली : वर्षों से वीवीआईपी क्षेत्र का तमगा लिए रायबरेली में वैसे तो कई प्रदेश और देश स्तरीय प्रोजेक्ट्स को साकार रूप दिया जा चुका है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के नाम पर काफी कुछ ऐसा है, जिसे अधूरा ही कहा जाएगा. रायबरेली के विकास को गति देने का दावा करने वाले सत्तारूढ़ दल का ध्यान भी ऐसे कई मुद्दों पर नहीं गया और यदि गया भी तो उसे दरकिनार ही किया गया. शहरी विकास में वेस्ट मैनेजमेंट को दुरुस्त करने के बाद ही सही मायनों में विकसित नगरीय विकास की परिकल्पना की जा सकती है पर गांधी परिवार का गढ़ रहे इस क्षेत्र में इन सभी सुविधाओं का टोटा ही दिखता है.

ध्वस्त व्यवस्थाओं के बीच जीवन जीने को मजबूर लोगों के बीच अपने जनप्रतिनिधियों के लिए न केवल रोष है, बल्कि मूलभूत सुविधाओं के नाम पर लोगों को दिलासा व उम्मीद के अलावा कुछ न मिला. उसी का नतीजा है कि महिलाओं के लिए गंदे पानी के बीच जीवन जीने की मजबूरी के बाद भी विकास के सपने दिखाकर चुनाव के दौरान वोट बटोरने के सियासी हुनर को विकास के पैमाने पर बेपर्दा करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति जागृत हो चुकी है.

शहरी विकास को मुंह चिढ़ा रहा ध्वस्त सीवेज सिस्टम.

सत्ताशीर्ष में रहने के साथ ही मजबूत पकड़ का दावा करने वाले सियासी पार्टी के नेताओं को साकेत नगर जैसे शहरी क्षेत्रीय मोहल्लों की महिलाओं की अपील और दर्खास्त भले ही सुनाई न देती हो पर लोकतंत्र के इस महाकुंभ में महिलाएं विकास का ढिंढोरा पीटकर हर चुनाव में वोट बटोरने की राजनीति करने वालों को आयना दिखाने का कार्य जरुर करती हैं.

उत्तर प्रदेश जलनिगम के जिला प्रभारी व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जनार्दन सिंह ने बताया कि जनपद रायबरेली में अमृत योजना के अंतर्गत 18 एमएलडी का एसटीपी बनाया जा रहा है. वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान 49 करोड़ और 62 करोड़ के दो फेज में एस्टीमेट स्वीकृत हो चुके हैं. इसके अंतर्गत 18 एमएलडी के एसटीपी के अलावा 30 किमी सीवेज पाइपलाइन डाले जाने की योजना भी है और फिलहाल इसी पर काम चल रहा है.

Intro:शहरी विकास को चिढ़ा रही है ध्वस्त हुई सीवेज सिस्टम?

27 मार्च 2019 - रायबरेली

वर्षों से वीवीआईपी क्षेत्र का तमगा लिये रायबरेली में वैसे तो कई प्रदेश व देश स्तरीय प्रोजेक्ट्स को साकार रुप दिया जा चुका है पर मूलभूत सुविधाओं के नाम पर काफ़ी कुछ ऐसा है जिसे अधूरा ही करार दिया जाएगा।रायबरेली के विकास को गति देने का दावा करने वाले सत्तारूढ़ दल का ध्यान भी ऐसे कई मुद्दों पर नहीं गया और यदि गया भी तो उसे दरकिनार ही किया गया।शहरी विकास में वेस्ट मैनेजमेंट को दुरुस्त करने के बाद ही सही मायनों में विकसित नगरीय विकास की परिकल्पना की जा सकती है पर गांधी परिवार का गढ़ रहे इस क्षेत्र में इन सभी सुविधाओं का टोटा ही दिखता है।इसी पर पेश है हमारी स्पेशल कवरेज रिपोर्ट।







Body:रायबरेली के विकास को आयना दिखाती ग्राउंड कवरेज रिपोर्ट में ETV भारत संवाददाता से स्थानीय लोगों ने अपना दुख दर्द बयान कर आप बीती भी साझा की।ध्वस्त व्यवस्थाओं के बीच जीवन जीने को मजबूर लोगों के बीच अपने जनप्रतिनिधियों के लिए न केवल रोष है बल्कि मूलभूत सुविधाओं के नाम पर दिलासा व उम्मीद के अलावा कुछ न मिला।उसी का नतीजा है कि महिलाओं के लिए गंदे पानी के बीच जीवन जीने की मजबूरी के बाद भी विकास के सपने दिखाकर इलेक्शन के दौरान वोट बटोरने के सियासी हुनर को विकास के पैमाने पर बेपर्दा करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति जागृत हो चुकी है।


उत्तर प्रदेश जलनिगम के जिला प्रभारी व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जनार्दन सिंह ने बताया कि जनपद रायबरेली में अमृत योजना के अंतर्गत 18 एमएलडी का एसटीपी बनाया जा रहा है,वर्ष 2015-16 व 2016-17 के दौरान 49 करोड़ व 62 करोड़ के दो फेज में एस्टीमेट स्वीकृत हो चुके है जिसके अंतर्गत 18 एमएलडी के एसटीपी के अलावा 30 किमी सीवेज पाइपलाइन डाले जाने की योजना भी है और फ़िलहाल इसी पर काम चल रहा है वही फेज-3 के लिए 208 करोड़ का प्रपोजल शासन स्तर पर स्वीकृति के लिए अभी भी पेंडिंग है।जनार्दन सिंह ने दावा किया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को बनाएं जाने के कार्य की शुरुआत हो चुकी है संभवतः अगले 1-1.5 वर्षों में यह काम करना चालू कर देगा साथ ही ट्रीटमेंट प्लांट के काम के साथ ही सीवेज पाइप लाइन भी डाली जाएंगी।

सत्ताशीर्ष में रहने के साथ ही मजबूत पकड़ की दावा करने वाले सियासी पार्टी के नेताओं की नज़र में साकेत नगर जैसे शहरी क्षेत्रीय मोहल्लों की महिलाओं की अपील और दर्खास्त भले ही सुनाई न देती हो पर लोकतंत्र के इस महाकुंभ अपनी दैनिक स्थित को सुधारने में नाकाम रही महिलाएं सियासी पार्टियों द्वारा अपने किले व गढ़ों में विकास का ढिढोरा पीटकर कर हर चुनाव में वोट बटोरने की राजनीति करने वालों को आयना दिखाने का कार्य जरुर करती है।








विज़ुअल:संबंधित विज़ुअल व

बाइट: स्थानीय लोगों के व्यूज,

काउंटर बाइट:जनार्दन सिंह - एग्जीक्यूटिव इंजीनियर - जल निगम - रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034




Conclusion:
Last Updated :Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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