ETV Bharat / state

Tulsi Vivah 2021 Puja Vidhi, Muhurat: कब है तुलसी विवाह, जानिए पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त

इस दिन तुलसी ​जी का विवाह शालीग्राम से किया जाता है. महिलाएं मां लक्ष्मी के नाम का व्रत रखती हैं क्योंकि विष्णु जी को तुलसी अतिप्रिय है और शालीग्राम, विष्णु जी का ही रूप हैं. तुलसी विवाह के दिन सुबह ब्रह्म मु​हुर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें.

Tulsi Vivah 2021 Puja Vidhi, Muhurat: कब है तुलसी विवाह, जानिए पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त
Tulsi Vivah 2021 Puja Vidhi, Muhurat: कब है तुलसी विवाह, जानिए पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त
author img

By

Published : Nov 14, 2021, 4:32 PM IST

Updated : Nov 14, 2021, 5:18 PM IST

प्रयागराज : हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के विवाह का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जागृत होते हैं.

हिंदु धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से तुलसी विवाह करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा के साथ-साथ उसके सुख समृद्धि में भी वृद्धि होती है. तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन ​किया जाता है. हिंदु धर्म के अनुसार इस दिन से ही शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है. जानते हैं कि इस बार कब है तुलसी विवाह और क्या है शुभ मुहूर्त व पूजन विधि.

Tulsi Vivah 2021 Puja Vidhi, Muhurat: कब है तुलसी विवाह, जानिए पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त


पूजा विधि तुलसी विवाह

इस दिन तुलसी ​जी का विवाह शालीग्राम से किया जाता है. महिलाएं मां लक्ष्मी के नाम का व्रत रखती हैं क्योंकि विष्णु जी को तुलसी अतिप्रिय है और शालीग्राम, विष्णु जी का ही रूप हैं. तुलसी विवाह के दिन सुबह ब्रह्म मु​हुर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें.

इसके बाद भगवान विष्णु की अराधाना करें. मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को फल और फूल का भोग लगाएं. कहा जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरूर अर्पित करनी चाहिए क्योंकि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते.

शाम को विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें. एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी जी और माता लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है. रात में तुलसी व शालीग्राम का विवाह रचाएं.


तुलसी विवाह 2021 शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 05 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 16 नवंबर की शाम 07 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.

पूजा विधि का तरीका और विधि

लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं. गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें.
दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालीग्राम को स्थापित करें. दोनों चौकियों पर गन्ने से मंडप सजाना चाहिए. अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें. अब शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें.

तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं. चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का शृंगार करें. इसके बाद सावधानी से चौकी समेत शालीग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा करनी चाहिए. पूजन पूर्ण होने के बाद देवी तुलसी व शालीग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें. पूजा संपन्न होने के बाद सभी में प्रसाद वितरित करें.

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालीग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि इस दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है. भगवान विष्णु के योग निद्रा से उठने के साथ ही इस दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

तुलसी स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

प्रयागराज : हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के विवाह का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जागृत होते हैं.

हिंदु धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से तुलसी विवाह करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा के साथ-साथ उसके सुख समृद्धि में भी वृद्धि होती है. तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन ​किया जाता है. हिंदु धर्म के अनुसार इस दिन से ही शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है. जानते हैं कि इस बार कब है तुलसी विवाह और क्या है शुभ मुहूर्त व पूजन विधि.

Tulsi Vivah 2021 Puja Vidhi, Muhurat: कब है तुलसी विवाह, जानिए पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त


पूजा विधि तुलसी विवाह

इस दिन तुलसी ​जी का विवाह शालीग्राम से किया जाता है. महिलाएं मां लक्ष्मी के नाम का व्रत रखती हैं क्योंकि विष्णु जी को तुलसी अतिप्रिय है और शालीग्राम, विष्णु जी का ही रूप हैं. तुलसी विवाह के दिन सुबह ब्रह्म मु​हुर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें.

इसके बाद भगवान विष्णु की अराधाना करें. मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को फल और फूल का भोग लगाएं. कहा जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरूर अर्पित करनी चाहिए क्योंकि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते.

शाम को विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें. एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी जी और माता लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है. रात में तुलसी व शालीग्राम का विवाह रचाएं.


तुलसी विवाह 2021 शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 05 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 16 नवंबर की शाम 07 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.

पूजा विधि का तरीका और विधि

लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं. गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें.
दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालीग्राम को स्थापित करें. दोनों चौकियों पर गन्ने से मंडप सजाना चाहिए. अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें. अब शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें.

तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं. चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का शृंगार करें. इसके बाद सावधानी से चौकी समेत शालीग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा करनी चाहिए. पूजन पूर्ण होने के बाद देवी तुलसी व शालीग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें. पूजा संपन्न होने के बाद सभी में प्रसाद वितरित करें.

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालीग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि इस दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है. भगवान विष्णु के योग निद्रा से उठने के साथ ही इस दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

तुलसी स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

Last Updated : Nov 14, 2021, 5:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.