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पिछले दो माह में नैनी जेल में हेपेटाइटिस बी के सात संक्रमित मिले

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Published : Jul 28, 2021, 9:53 PM IST

प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में पिछले दो माह के दौरान हेपिटाइटिस-बी के सात मरीज मिले हैं. जल्द ही इनका वायरल लोड लखनऊ स्थित केजीएमयू मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा, जहां से संक्रमण की सही स्थिति का पता लगने के बाद इन्हें ट्रीटमेंट दिया जाएगा.

hepatitis b
हेपेटाइटिस-बी

प्रयागराज : नैनी सेंट्रल जेल में पिछले दो माह के दौरान स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कैदियों की जांच के दौरान सात हेपेटाइटिस-बी के मरीज मिले हैं. जल्द ही इनका वायरल लोड लखनऊ स्थित केजीएमयू मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा, जहां से संक्रमण की सही स्थिति का पता लगने के बाद इन्हें ट्रीटमेंट दिया जाएगा.

प्रयागराज में हेपेटाइटिस-बी के मरीजों की पुष्टि

विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान हेपिटाइटिस कंट्रोल कार्यक्रम के प्रभारी अधिकारी औपर डॉ. एके तिवारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मई और जून में चार दिनों तक नैनी जेल में बंद कैदियों की जांच चिकित्सकों के द्वारा कराई गई थी. 4 दिनों में लगभग 400 कैदियो के सैंपल हेपेटाइटिस-बी के लक्षणों के आधार पर लिए गए थे, जिसमें कुल 7 एक्टिव केस हेपेटाइटिस बी के मिले हैं.

जिले के अन्य अस्पतालों में लगभग 1300 लोगों की जांच की गई, जिसमें कुल 11 हेपेटाइटिस बी के पॉजिटिव पाए गए. नोडल अधिकारी डॉ. एके तिवारी ने बताया कि जनपद में पाए गए सकरी मामलों का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है. इनके वायरल लोड की जांच की तैयारी पूरी कर ली गई है. जल्द ही लखनऊ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में इनका सैंपल भेज कर जांच कराई जाएगी और रिपोर्ट आने पर इनका इलाज शुरू किया जाएगा. हेपेटाइटिस बी से संक्रमित सभी मरीजों का इलाज निशुल्क है. वह सरकार के द्वारा अस्पताल में इसकी सुविधा भी मुहैया कराई गई है.

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डॉक्टर एके तिवारी ने बताया कि यह किसी को पीलिया निरंतर ज्वर भूख न लगना गहरे रंग का मूत्र यकृत में दर्द जैसे लक्षण आ रहे हैं तो उन्हें तुरंत हेपेटाइटिस बी की जांच करानी चाहिए. इसके लिए प्रयागराज के तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय ऑथर ग्रामीण क्षेत्रों में निकटवर्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में हेपिटाइटिस जांच केंद्र एमटीसी बनाए गए हैं. हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण उपयोग में लाई गई सिरिंज का प्रयोग करने असुरक्षित यौन संबंध वह नशे की सूर्य को साझा करने से अधिक फैलता है. साथ ही साथ टैटू एवं नाक कान इत्यादि छेदने के लिए संक्रमित हुई सुई का उपयोग से भी हेपिटाइटिस बी का खतरा बढ़ जाता है.

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