कोरोनाकाल के बाद बदली कोरांव विधानसभा की सियासी समीकरण

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Published : Dec 3, 2021, 6:59 AM IST

विधायक राजमणि कोल

2007 में अस्तित्व में आई प्रयागराज की कोरांव विधानसभा सीट (Koraon assembly) पर आदिवासी मतदाता निर्णायक (Tribal Voter Decisive) की भूमिका में हैं. इससे पहले कोरांव मेजा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था. आदिवासी बाहुल्य इस विधानसभा में 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा नेता राजबली जैसल को जीत मिली थी. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कमल खिला और राजमणि कोल विधायक बने.

प्रयागराज: साल 2007 में अस्तित्व में आई प्रयागराज की कोरांव विधानसभा सीट (Koraon assembly) पर आदिवासी मतदाता निर्णायक (Tribal Voter Decisive) की भूमिका में हैं. इससे पहले कोरांव मेजा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था. आदिवासी बाहुल्य इस विधानसभा में 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा नेता राजबली जैसल को जीत मिली थी. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कमल खिला और राजमणि कोल विधायक बने. भाजपा उम्मीदवार राजमणि कोल (BJP candidate Rajamani Kol) को जहां 1 लाख 427 वोट मिले थे. वहीं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस के रामकृपाल रहे, जिन्हें 46 हजार 731 वोट मिले थे. राजमणि कोल ने 53 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करने के साथ ही जिले में सबसे ज्यादा मत हासिल किया था.

कोरांव विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. यहां पर अदिवासी के साथ ही ब्राह्मण और दलित मतदाता (Brahmin and Dalit voters) भी बड़ी संख्या में हैं. विधानसभा के बनने के बाद कोरांव से जहां पहली और दूसरी बार राजबली जैसल विधायक चुने गए. वहीं, 2017 के चुनाव में आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह से राजमणि कोल को जनता ने अपना विधायक चुना. अब राजमणि कोल के साथ ही पूर्व विधायक राजबली जैसल और पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे राम कृपाल भी 2022 के चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं.

विधायक राजमणि कोल
विधायक राजमणि कोल

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कोरांव इलाके में होती है गेंहू और धान की खेती

कोरांव विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई कल-कारखाना नहीं है. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जहां पर मैदानी इलाके के साथ ही पहाड़ी और पथरीले क्षेत्र भी हैं. यहां के लोग किसानी के अलावा मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं. इस इलाके में आज भी लोगों के सामने पानी की समस्या है. गर्मी के दिनों में तो लोगों के सामने पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाती है. सरकार और विधायक के तमाम प्रयासों के बावजूद यह आदिवासी बाहुल्य इलाका अब भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो सका है. इलाके में विकास के तमाम कार्य कराए गए हैं. उसके बावजूद समाज के सबसे पिछड़े लोगों तक सभी सरकारी योजनायें नहीं पहुंच सकी हैं.

मतदाताओं की संख्या व जातीय आंकड़े

कोरांव विधानसभा में कुल 3 लाख 33 हजार 449 मतदाता हैं. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 80 हजार 541 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 1 लाख 52 हजार 889 है. इसके साथ ही 19 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां पर जातियों के आंकड़े का अनुमान कुछ इस तरह से है.

क्षेत्र के जातिगत आंकड़े

  • 80000 आदिवासी
  • 50000 पटेल
  • 60000 ब्राह्मण
  • 30000 कुशवाहा मौर्या
  • 40000 दलित
  • 18000 वैश्य
  • 14000 मुस्लिम
  • 8000 यादव
  • 15000 पाल
  • 9000 ठाकुर
  • 9000 अन्य

मौजूदा विधायक की चुनौतियां

पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर राजमणि कोल विधायक बने हैं. राजमणि कोल पेशे से शिक्षक रहे हैं. लगभग 53 साल के राजमणि कोल ने परास्नातक तक की शिक्षा हासिल की है. राजमणि कोल तीन दशक से भाजपा से जुड़े हुए हैं. इलाके में मिलन सार व्यक्ति के रूप में राजमणि कोल की पहचान है. लेकिन 2022 के चुनाव में इसी सीट से चुनाव जीतना उनके लिए पिछले चुनाव की तरह आसान नहीं होगा. क्योंकि इस इलाके में भी कोरोना काल के बाद बढ़ी मंहगाई और बेरोजगारी से जनता परेशान हैं. इसके साथ ही जनता विधानसभा क्षेत्र के कुछ इलाके में समुचित विकास न होने का आरोप भी लगा रही है. जिससे 2022 का चुनाव जीत पाना उतना आसान नहीं होगा.

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