प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ कैंटोनमेंट केंद्रीय सरकारी अस्पताल में साढ़े 23 लाख रुपये के दवा खरीद घोटाले (Meerut Medicine Procurement Scam) में पशुधन निरीक्षक मोहम्मद अली जफर और फार्मासिस्ट/ कंपाउंडर कम स्टोर कीपर सुशील कुमार के खिलाफ दाखिल चार्ज शीट और सीबीआई कोर्ट से जारी सम्मन रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.
याचियों का नाम मेरठ कैंट स्थित केंद्रीय अस्पताल में दवाओं की खरीद में हुई गड़बड़ी की जांच में सामने आया था. मोहम्मद अली जफर के पास केंद्रीय अस्पताल के अधीक्षक का भी प्रभार था. उस दौरान 23 लाख, 46 हजार, 436 रुपये की दवाओं की खरीदारी में गड़बड़ी मिली थी. सीबीआई ने जांच की, तो गड़बड़ी सही पाई गई. सीबीआई ने मामले में एंटी करप्शन एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की.
विवेचना के दौरान याचियों का नाम सामने आया. सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने चार्ज शीट पर संज्ञान लेते हुए याचियों को सम्मन जारी किया है. सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से कहा गया कि कैंटोनमेंट बोर्ड स्वायत्तशासी निकाय है, इसलिए सीबीआई कार्रवाई नहीं कर सकती.
जबकि सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश एवं एडवोकेट संजय यादव ने तर्क दिया कि दोनों विभाग केंद्र सरकार के अधीन हैं. इसलिए सीबीआई को कार्रवाई करने का अधिकार है. कोर्ट ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता के तर्कों को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Allahabad High Court Order) गुरुवार को दिया गया.
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