प्रयागराजः संगम नगरी के माघ मेले में हजारों श्रद्धालु एक महीने का कल्पवास करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कल्पवास के लिए आने वाले अधिकतर बुजुर्गो को गंगा की रेती में कल्पवास से सेहत की चिंता से काफी हद तक राहत मिल जाती है. सालों से कल्पवास करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा की शरण में आने की वजह से उन्हें शारीरिक कष्टों से आराम मिल जाता है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि कल्पवास में आने के बाद श्रद्धालुओं का जीवन नियमित और संयमित हो जाता है. उनकी दिनचर्या में परिवर्तन होता है. जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों से आराम मिलता है.
![Kalpvas In Prayagraj](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-pra-01-kalpwas-se-aram-vis-byte-7209586_04022023154107_0402f_1675505467_311.jpg)
कल्पवास में सेहत में ऐसे होता है सुधारः प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के चेस्ट स्पेसिस्ट डॉक्टर डीएन केशरवानी ने बताया कि वो पिछले तीन सालों से मेला शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में कल्पवास के दौरान श्रद्धालुओं की दिनचर्या और खान-पान बदलने से सेहत में सुधार होता है. कल्पवासी सुबह शाम जल्दी उठते हैं. इनमें ज्यादातर कल्पवासी संगम और गंगा में स्नान करने के लिए पैदल जाते हैं. इसके अलावा एक समय भोजन करते हैं. तामसी भोजन का त्याग करके सादा बोजन ग्रहण करते हैं. जिससे कल्पवास के दौरान इनकी सेहत में सुधार होता है.
वहीं, डॉ. सुष्मिता का कहना है कि कल्पवासी तमाम तरह की चिंताओं को छोड़कर संगम की रेती पर एक माह का समय व्यतीत करते हैं. संगम किनारे संतो की वाणी से प्रवचन और ज्ञान के साथ सकारात्मक सोच वाली बातें सुनकर भी कल्पवासियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही शुगर ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों पर भी कंट्रोल होता है. कल्पवास के दौरान अधिकतर कल्पवासियों को कई तरह की बीमारियां नियंत्रित हो जाती हैं.
![Kalpvas In Prayagraj](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-pra-01-kalpwas-se-aram-vis-byte-7209586_04022023154107_0402f_1675505467_577.jpg)
कल्पवास करने आए रवींद्र नाथ शुक्ला ने बताया कि लोग जब वो घर छोड़कर माघ मेले में कल्पवास करने के लिए प्रकृति की गोद में आ जाते हैं तो उनकी बीमारी और तकलीफें मां गंगा हर लेती हैं. मां गंगा की कृपा से संयमित रहते हुए बिना किसी तकलीफ के एक महीने तक का कल्पवास पूरा कर लेते हैं. इस दौरान खान-पान पैदल चलना समय से खाना-पीना. सोना-जागने की एक नियमत दिनचर्या में लाने की वजह से उनके अंदर ऊर्जा बढ़ जाती है. जिस वजह से शरीर में जो बीमारियां रहती हैं उन सब पर नियंत्रण हो जाता है.
ये भी पढ़ेंः Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को इन चीजों का लगाएं भोग, इनके बिना अधूरी है पूजा