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23 साल पुराने एक मामले में बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर आरोप तय

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Published : Aug 24, 2021, 10:24 PM IST

बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर आरोप तय
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर आरोप तय

बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने धमकी देने के मामले आरोप तय कर दिया है. बांदा जेल में बंद मुख्तार पर गवाही देने से रोकने और बम से उड़ाने की धमकी देने का आरोप था.

प्रयागराजः बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने धमकी देने के मामले में आरोप तय कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए जज आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बाहुबली विधायक पर आरोप तय कर दिया है. इसी मामले में 13 अगस्त को कोर्ट ने मुख्तार की डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया था. मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोप तय किया है.

मुख्तार अंसारी पर 5 नवंबर 1997 की शाम को महावीर प्रसाद रूंगटा को फोन पर धमकाने का आरोप लगाया था. महावीर ने ये भी आरोप लगाया था कि मुख्तार अंसारी ने उनको परिवार समेत विस्फोटक से उड़ाने की धमकी दी थी. पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया है कि उसके भाई का अपहरण किया गया था और सवा करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गयी थी. इसके अलावा पुलिस ने शिकायत न करने और मामले की पैरवी न करने की भी धमकी दी थी. आलाधिकारियों से शिकायत के बाद इस मामले में वाराणसी के भेलूपुर थाना में मुकदमा दर्ज करवाया गया था.

एमपी-एमएलए कोर्ट
एमपी-एमएलए कोर्ट

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 5 नवम्बर 1997 को वाराणसी के भेलूपुर थाना में यह मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले के करीब 23 साल बाद मंगलवार को स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने धमकाने के मामले में आरोप तय कर दिया है. इस मामले में मुख्तार अंसारी की तरफ से उनके वकील ने 13 अगस्त को जो दलीलें दी थी कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता एडीजीसी राजेश गुप्ता के तर्कों को सुनने के बाद उसे खारिज करते हुए डिस्चार्ज एप्लिकेशन को भी खारिज कर दिया था. जिसके बाद मंगलवार को इस मामले की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपी मुख्तार अंसारी पर इस मामले में आरोप तय करने का फैसला सुनाया.

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कोर्ट में मुख्तार की तरफ से इस मामले में राजनैतिक रंजिश की वजह से फंसाये जाने का भी तर्क दिया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि इस मामले में टेलीफोन से धमकी देने का भी कोई गवाह व साक्ष्य नहीं है. ऑनलाइन हुई इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुख्तार को आरोप तय करने का अपना फैसला पढ़कर सुनाया.

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