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हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में 2015 की स्टेनोग्राफर भर्ती को वैध करार दिया

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Published : Apr 19, 2021, 7:23 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने द्वितीय व तृतीय चरण की परीक्षा रद्द कर नये सिरे से परीक्षा कराने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है. कहा कि भर्ती प्रक्रिया नियमावली 2013 के अनुसार पूरी की गयी. उसमें अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है. पिछले पांच वर्ष से कार्यरत चयनितों के कार्य के खिलाफ किसी जिले से भी शिकायत नहीं है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लिपिक स्टेनोग्राफर भर्ती 2015 को वैध करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है तो कुछ अभ्यर्थियों की टाइप टेस्ट के टाइप फांट को लेकर की गयी शिकायत के आधार पर नये सिरे से टेस्ट लेने का आदेश नहीं दिया जा सकता.

एकल पीठ का आदेश को रद्द

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने द्वितीय व तृतीय चरण की परीक्षा रद्द कर नये सिरे से कराने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है. कहा कि भर्ती प्रक्रिया नियमावली 2013 के अनुसार पूरी की गयी. उसमें अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है. पिछले पांच वर्ष से कार्यरत चयनितों के कार्य के खिलाफ किसी जिले से भी शिकायत नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव (अब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश) तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया की खंडपीठ ने निशांत यादव व 28 अन्य, रूपेश कुमार व 133अन्य, शिव प्रताप सिंह व 12 अन्य व नीलम सेन व 162 अन्य की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया है. इसमें एकलपीठ के नये सिरे से टाइप टेस्ट कराने के आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी थी.

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क्या है मामला

हाईकोर्ट ने 2014 में अधीनस्थ अदालतों में लिपिक व स्टेनोग्राफर के 2341 पद विज्ञापित किये. 2015 में लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का टाइप टेस्ट लिया गया. लिखित परीक्षा पर कोई आपत्ति नहीं की गई. केवल स्टेनोग्राफर के टाइप टेस्ट के फांट बदलने पर आपत्ति की गयी. मंगल फांट से टेस्ट लिया गया था.

पांच अभ्यर्थियों ने यह कहते हुए याचिका दायर की कि उन्होंने क्रुति देव फांट में तैयारी की थी. अचानक मंगल फांट में टेस्ट लेने से उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला. इससे प्रतियोगिता में समान अवसर के मूल अधिकारों का हनन हुआ. याचियों का कहना था कि 2220 लोगों ने टाइप टेस्ट दिया और 2369 लोगों को सफल घोषित किया गया है.

शून्य व माइनस अंक पाने वाले भी चयनित हुए

परीक्षा में शून्य व माइनस अंक पाने वाले भी चयनित हुए जिसे एकल पीठ ने सही नहीं माना. स्टेज दो व तीन की परीक्षा रद्द कर नये सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश दिया. इसे विशेष अपील में चुनौती दी गयी थी. अपीलार्थियों का कहना था कि विज्ञापन में ही मंगल फांट से टाइप टेस्ट की सूचना थी.

सभी ने मंगल फांट में टेस्ट दिया है. किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया. भर्ती नियमावली में कट ऑफ मार्क नहीं था. इसलिए लिखित व टाइप टेस्ट की मेरिट से चयन किया जाना नियमानुसार है.

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चयन में धांधली का आरोप नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि चयन में धांधली का आरोप नहीं लगाया गया है. ऐसे में परीक्षा रद्द कर नये सिरे से परीक्षा नहीं ली जा सकती. वे पांच साल से कार्यरत हैं. कार्य भी संतोषजनक है. हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 के चयन में 2019 के कट ऑफ अंक रखने के प्रस्ताव लागू नहीं किये जा सकते. भर्ती में नियमों का उल्लंघन नहींं किया गया है.

मंगल फांट सभी के लिए था. याची विपक्षियों के सिवा अन्य किसी ने शिकायत नहीं की. केवल कुछ अभ्यर्थियों की शिकायत पर नियमानुसार किए गए चयन को रद्द नहीं किया जा सकता. एकल पीठ ने भी किस फांट में परीक्षा ली जाय, इस बात को चयन कमेटी पर छोडं दिया है.

क्रुति देव फांट से टेस्ट लेने का आदेश नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि क्रुति देव फांट से टेस्ट लेने का आदेश नहीं है. एकलपीठ ने 2019 के प्रस्ताव को 2015 के चयन में लागू कर गलती की है. चयन नियमानुसार किया गया है. ऐसे में चयन का एक भाग रद्द करना सही नहीं कहा जा सकता. विशेष अपील पर वरिष्ठ अधिवक्तागण शैलेंद्र, एचएन सिंह, राधाकांत ओझा, अनिल भूषण आदि व हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशीष मिश्र ने बहस की.

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