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राज्य सरकार से कोर्ट ने पूछा, 'शिक्षाक्षेत्र में योगदान के आंकलन का क्या है मानक?'

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Published : Nov 20, 2019, 7:17 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा सवाल.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज दो सदस्यों की नियुक्ति योग्यता पर सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने सरकार को 27 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज के दो सदस्यों डॉ. हरवंश व डॉ. कृष्ण कुमार नियुक्ति योग्यता रखते हैं. सरकार ने किस मापदंड पर इनके शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान का आंकलन किया. कोर्ट ने सरकार को 27 नवम्बर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि दोनों विपक्षी सदस्य,10 वर्ष तक प्राचार्य का कार्य करने की निर्धारित अर्हता नहीं रखते. ऐसे में आयोग के सदस्य के रूप में इनकी नियुक्ति अवैध है.

राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि डॉ. हरवंश प्रोफेसर रहे हैं और डॉ. कृष्ण कुमार एसोसिएट प्रोफेसर रहे हैं. जिस पर कोर्ट ने यह पूछा कि किस मानक पर यह आंकलन किया गया कि ये प्रख्यात शिक्षाविद रहे हैं. आयोग की तरफ से अधिवक्ता बी. एन. सिंह ने पक्ष रखा. अगली सुनवाई 27 नवम्बर को होगी.

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आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति योग्यता को चुनौती

राज्य सरकार से कोर्ट ने पूछा शिक्षाक्षेत्र में योगदान के आंकलन का क्या है मानक

प्रयागराज 20 नवम्बर 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज के दो सदस्यों डॉ हरवंश व् डॉ कृष्ण कुमार  नियुक्ति योग्यता रखते है।और सरकार ने किस मापदंड पर इनके शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान का आंकलन किया। कोर्ट ने सरकार को 27 नवम्बर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति व् अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि दोनों विपक्षी सदस्य,10 वर्ष  तक प्राचार्य का कार्य करने की  निर्धारित अर्हता नही रखते।ऐसे में आयोग के सदस्य के रूप में इनकी नियुक्ति अवैध है। रद्द किया जाय।जब कि राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि डॉ हरवंश प्रोफेसर रहे है और डॉ कृष्ण कुमार एसोसिएट प्रोफेसर रहे है।इनके रिसर्च पत्रिकाओं में छपे है।ये प्रख्यात शिक्षा विद है।जिसपर कोर्ट ने यह पूछा कि किस मानक पर यह आंकलन किया गया कि ये प्रख्यात शिक्षा विद रहे है।आयोग की तरफ से अधिवक्ता बी एन सिंह ने पक्ष रखा।अगली सुनवाई 27 नवम्बर को होगी।
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