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फिर सुनाई देगी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक घड़ी की टिक-टिक

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Published : Oct 11, 2020, 10:00 AM IST

बीते दो दशकों से बंद पड़ी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक घड़ी की टिक-टिक सुनाई देगी. घड़ी को सही कराने की जिम्‍मेदारी इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) को दी गई है.

फिर चलेगी इलाहाबाद विश्वविद्यालय सीनेट हॉल की घड़ी.
फिर चलेगी इलाहाबाद विश्वविद्यालय सीनेट हॉल की घड़ी.

प्रयागराज: करीब दो दशक (1999) से अधिक समय से बंद पड़ी इलाहाबाद विश्वविद्यालय सीनेट हाल की घड़ी अब दोबारा फिर से चलेगी. इसके लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से प्रयास किया गया है. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है. इसके लिए दिल्ली स्थित इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर हॉट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटेक) को बनवाने का जिम्मा दिया गया है, जो इसे दुरुस्त करवाएगा.

बता दें कि इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल के ऊपरी हिस्से में उत्तर पूर्व के मध्य में बने गुंबद पर घड़ी लगाई गई है. यह न सिर्फ विश्वविद्यालय का आकर्षण है बल्कि अपनी खूबियों से यह लोगों को आकर्षित भी करती है. स्कोर इंग्लैंड की जेजी बैचलर सन एंड कंपनी के जरिए वर्ष 1912 में सीनेट हॉल के ऊपर बने गुंबद में लगाया गया था. इस घड़ी की बड़ी सुई 6 फीट 3 इंच लंबी और छोटी सुई 5 फीट लंबी है. साल 1972 में यह बंद हो गई तो उस समय पास के ही कटरा इलाके से एक पुराने कारीगर ने इसे ठीक किया था, लेकिन 1999 में यह घड़ी फिर बंद हो गई. यह बहुत दिनों तक नहीं चली. बाद में इसे ठीक करने के लिए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के मैकेनिकल डिपार्टमेंट ने भी बनाने का प्रयास किया था, लेकिन सफल नहीं हो सका.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एन के शुक्ल ने बताया कि इसे ठीक करवाने के लिए कार्यवाहक कुलपति की अगुवाई में एक करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है. इसे मंत्रालय भेजा जा रहा है. इसे ठीक करवाने का जिम्मा इंटैक को दिया गया है.

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