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बिकरू कांड के आरोपी अमर दुबे की नाबालिग पत्नी खुशी दुबे की जमानत अर्जी खारिज

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Published : Jul 17, 2021, 12:25 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 4:32 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर के बिकरू कांड में आरोपी मृतक बदमाश अमर दुबे की नव विवाहिता नाबालिग खुशी दुबे को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि खुशी सहित अन्य महिलाओं ने न केवल जघन्य आपराधिक घटना में सक्रिय भूमिका निभाई, अपितु  पुरुष अपराधियों को उकसाया कि कोई भी पुलिस वाला जीवित बच कर जाने न पाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर के बिकरू कांड में आरोपी मृतक बदमाश अमर दुबे की नाबालिग पत्नी खुशी दुबे को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि खुशी सहित अन्य महिलाओं ने न केवल जघन्य आपराधिक घटना में सक्रिय भूमिका निभाई, अपितु पुरुष अपराधियों को उकसाया कि कोई भी पुलिस वाला जीवित बच कर जाने न पाए. इतना ही नहीं वह बाल संरक्षण गृह में संवासिनियों को धमकी दे रही कि किसी का भी अपहरण करवा सकती है.

कोर्ट ने कहा कि नाबालिग होने मात्र से किसी को जमानत पाने का हक नहीं मिल जाता. खुशी का अपराध सामान्य नहीं, 8 पुलिस वालों की हत्या हुई, 6 पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए. चश्मदीद पुलिस वालों के बयानों ने इसकी सक्रिय भूमिका स्पष्ट की है. ऐसी घटना न केवल समाज वरन सरकार को दहशत में डालने वाली है. यदि जमानत दी गई तो लोगों का कानून पर से विश्वास डिगेगा और न्याय व्यवस्था विफल हो जाएगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने दोनों पक्षों की लंबी बहस व कानूनी पहलुओं और फैसलों का परिशीलन करते हुए दिया है. खुशी की तरफ से अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्र का कहना था कि 3 जुलाई 2020 की जघन्य घटना के कुछ दिन पहले ही खुशी की शादी मुठभेड़ में मृत अमर दुबे से हुई थी. वह किसी गैंग की सदस्य नहीं है. वह निर्दोष है. उसे पुलिस द्वारा फंसाया गया है. नाबालिग लड़की को नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से खतरा है.

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अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर हमला किया गया. जिसमें अपराधियों के फायर करने से 8 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई, और 6 गंभीर रूप से घायल हुए. आरोपी 16 साल की है. उसे अपराध की समझ है. संरक्षण गृह में 48 संवासिनियों को धमकी देकर भयभीत कर रही है. एक 7 साल की बच्ची को पकड़ लिया. भय व्याप्त हो गया. पूछने पर कहा नहलाने ले जा रही. अधीक्षक ने भी शिकायत की है.

घायल पुलिस कर्मियों के बयान हैं, जिसमें खुशी सहित कई महिलाओं ने मुठभेड़ में न केवल सक्रिय भूमिका निभाई, वरन पुरुषों को उकसाया कि कोई पुलिस जीवित न बचने पाए. इसने हमले में पति का साथ दिया. पुलिस को घेर लिया कि जाने न पाए. छिपे पुलिस अधिकारी पर फायर करा रही थी. अभी भी अपराधियों के संपर्क में हैं. कोर्ट ने कहा कि बाल संरक्षण गृह बाल अपराधियों को सुधारने के लिए है. किन्तु जिसकी आपराधिक मानसिकता बनाते रखने के लिए नहीं. ऐसी मानसिकता वाली को जमानत पर रिहा करने से न्याय विफल होगा. किशोर न्याय बोर्ड और कानपुर देहात की अधीनस्थ अदालत द्वारा खुशी को जमानत न देने के आदेशों को कोर्ट ने सही माना और पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी है.

Last Updated : Jul 17, 2021, 4:32 PM IST
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