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Allahabadi Amrud: आखिर लाल क्यों होते हैं इलाहाबादी अमरूद, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 17, 2023, 2:11 PM IST

Updated : Dec 18, 2023, 6:15 AM IST

इलाहाबादी अमरूद (Allahabadi Amrud) की पहचान आज भी दुनिया में है. संगम नगरी के दोआब क्षेत्र की मिट्टी में पैदा होने वाले इस अमरूद का स्वाद ही इसे खास बनाता है. सेब की तरह लाल दिखने वाले इस खास अमरूद को सेबिया कहा जाता है. आइये जानते हैं अमरूद के बारे में...

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मुख्य उद्यान विशेषज्ञ के साथ ही शहरी और विक्रेता ने बताया.

प्रयागराजः संगम नगरी प्रयागराज की पहचान एक तरफ जहां विश्व प्रसिद्ध संगम है. वहीं, दूसरी पहचान इलाहाबादी अमरूद भी है. यहां का अमरूद बाहर से सेब की तरह लाल दिखता है तो दूसरा अमरूद काटने पर अंदर से लाल दिखता है. अंदर और बाहर से लाल दिखने वाले इस अमरूद का स्वाद में चीनी जैसे मीठा होता है, लेकिन इस मिठास की वजह भी गंगा और यमुना नदी बतायी जाती है. इस बारे में मुख्य उद्यान अधीक्षक कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि इलाहाबादी अमरूद की विशेषता गंगा यमुना नदी के बीच के दोआब क्षेत्र और उसके ऊपर से गुजर रही विषुवत रेखा की वजह है. यहां का अमरूद अंदर और बाहर से लाल होने के बाद भी खूब मीठा होता है.

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इलाहाबादी अमरूद.


देश में इलाहाबादी अमरूद की है अलग पहचान
संगम नगरी का यह इलाहाबादी अमरूद देश दुनिया में लाल रंग और मिठास की वजह से अपनी अलग पहचान रखता है. गंगा यमुना के बीच की धरती पर पैदा होने वाला यह इलाहाबादी अमरूद यहां की मिट्टी की वजह से अंदर और बाहर से लाल रंग का होता है. लाल रंग का दिखने और स्वाद में मीठा होने की वजह से इस अमरूद की डिमांड देश भर में ही नहीं है बल्कि दुनिया भर में है. प्रयागराज के बाजार में इन अमरूदों को खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है. प्रयागराज में बिकने वाले इस अमरूद को लोग खरीदकर दूसरे राज्यों और प्रदेशों में रहने वाले लोगों को भी भेजते हैं. यही नहीं बहुत से लोग इस अमरूद को उपहार के रूप में भी ले जाकर देते हैं. इसी के साथ ठंड के मौसम में अमरूद की बिक्री से दुकानदारों की भी अच्छी कमाई भी होती है.

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इलाहाबादी अमरूद बेचते दुकानदार.


लाल रंग और मिठास की क्या है वजह
इस इलाहाबादी अमरूद की प्रजातियों के बारे में मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि प्रयागराज में गंगा यमुना के बीच का जो दोआब का इलाका है, उस इलाके में पैदा होने वाले अमरूद अंदर और बाहर से लाल रंग का होता है. इसके अलावा गंगा यमुना के दोआब इलाके के बीच की धरती में पानी का स्तर नीचे है और बरसात बहुत ज्यादा न होने की वजह से अमरूद की विशेष प्रजाति पैदा होती है. उन्होंने बताया कि गंगा यमुना के दोआब वाले इस क्षेत्र के ऊपर से विषुवत रेखा गुजरती है, उसी क्षेत्र के अमरूदों का रंग अंदर और बाहर लाल होता है साथ ही मिठास भी ज्यादा होती है.

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मुख्य उद्यान अधीक्षक कृष्ण मोहन चौधरी ने अमरूद के बारे में बताया.

140 रुपये किलो में बिकता है अमरूद
मुख्य उद्यान विशेषज्ञ ने बताया् कि संगम नगरी में पैदा होने वाले इस अमरूद की विशेषता यह है कि अमरूद की एक प्रजाति जो बाहर से देखने में लाल होती है जिसको सुर्खा या सेबिया अमरूद कहा जाता है. सेब के जैसा बाहर से लाल दिखने की वजह से ही इसको सेबिया अमरुद कहा जाता है. इसी तरह अमरूद की दूसरी प्रजाति होती है जो अमरूद बाहर से देखने में सफेद होता है, जबकि उसको जब काटा जाता है तो वो अंदर से लाल रंग का दिखता है. साथ ही अमरूद के अन्य हिस्से बाहर से देखने में हरा होता है. इसे काटने पर यह अंदर से सफेद ही दिखता है. बाजार में इस सामान्य अमरूद की कीमत 40 रुपये प्रति किलो है. वहीं, सुर्खा और सफेदा अमरूद 140 रुपये किलो तक बिकता है.

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इलाहाबादी अमरूद लाल सुर्खा और सफेदा



कौशांबी में होती है इस अमरूद की प्रजाति
मुख्य उद्यान अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज के साथ ही कौशांबी जिले में भी इस अमरूद की पैदावार होती है. उन्होंने बताया कि 5 हजार हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में अमरूद की खेती होती है. इस अमरूद की पैदावार के लिए 4 हजार हेक्टेयर जमीन कौशांबी जिले में है, जबकि एक हजार हेक्टेयर से अधिक का क्षेत्र प्रयागराज में पड़ता है. उन्होंने बताया कि करीब 20 साल पहले तक कौशांबी और प्रयागराज जिला एक ही था, इस वजह से इस अमरूद को इलाहाबादी अमरूद के नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया कि 6 हजार टन अमरूद प्रयागराज में और 35 हजार टन तक अमरूद कौशांबी में पैदा होता है. हालांकि इस साल प्रयागराज और कौशांबी में देर से बरसात होने की वजह से पैदावार कुछ कम होने का अनुमान है. यह इलाहाबादी अमरूद जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है वैसे-वैसे इसकी साइज और मिठास बढ़ती जाती है. हालांकि पाला पड़ने का अमरूद पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है.



एक्सपोर्ट क्वालिटी का बनाए जाने का प्रयास
मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि प्रयागराज के इस अमरूद को एक्सपोर्ट क्वालिटी का बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही अमरूद को बेहतर फल तैयार करने के लिए बाग में लगे अमरूदों के फ्रूट बैगिंग के जरिये पैक किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि फ्रूट बैगिंग के जरिये अमरूद का रंग ज्यादा सफेद और ज्यादा चमक दार होता है. इसी के साथ अमरूद की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. साथ ही किसानों को अमरूद की ज्यादा पैदावार के लिए अल्ट्रा डेंसिटी फार्मिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. जिससे कि किसान कम जगह में ज्यादा फल पैदा कर सकेंगे और उनकी कमाई भी बढ़ेगी.

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Last Updated : Dec 18, 2023, 6:15 AM IST
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