प्रयागराज : कोरोना की दूसरी लहर की वजह से हजारों बच्चों के ऊपर से मां-बाप का साया उठ गया है. ऐसे में देशवासियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो आगे आकर ऐसे बच्चों के भविष्य को संवारने को लेकर किसी तरह का योगदान करें. महामारी की इसी त्रासदी को देखते हुए इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने पहल करते हुए यूनिवर्सिटी में अनाथ हो चुके बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का इंतजाम किया है. जिन बच्चों के मां-बाप की मौत कोरोना महामारी की वजह से हो गयी है, उन्हें विश्वविद्यालय में फ्री एडमिशन देने के साथ उनकी फीस भी माफ रहेगी. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्हें किसी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनकी पढ़ाई का सारा खर्च विश्वविद्यालय वहन करेगा. इसके साथ ही यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले किसी छात्र-छात्रा के माता-पिता की भी मौत कोरोना की वजह से हुई है, तो उसे भी नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी.
सुपर न्यूमरी कोटा के तहत होगा एडमिशन
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कोरोना की वजह से जिन बच्चों ने मां-बाप को खोया है, उनका एडमिशन सुपर न्यूमरी कोटा के तहत किया जाएगा. इसके लिए कक्षाओं में तय सीट के अलावा सुपर न्यूमरी कोटा के तहत सीट बढ़ायी जाएगी और उन बढ़ी हुई सीटों पर अनाथ हुए बच्चों का एडमिशन किया जाएगा. इस कोटे से एडमिशन पाने वाले अभ्यर्थियों की फीस के साथ ही एकेडमिक चार्ज भी नहीं लिया जाएगा.
ऐसे मिलेगा एडमिशन
कोरोना की वजह से जिन छात्रों के माता-पिता दोनों की मौत हुई है, उन छात्रों को जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाणपत्र की कॉपी लगानी होगी. इस कोटे में एडमिशन के लिए वहीं डेथ सर्टिफिकेट मान्य होंगे, जिस पर मृत्यु की वजह कोरोना लिखी होगी. इसके अलावा स्नातक स्तर पर प्रवेश के लिए 12वीं पास का प्रमाणपत्र व परास्नातक के लिए स्नातक डिग्री होनी चाहिए. माता-पिता दोनों को कोरोना की वजह से खोने वाले छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए, इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की तरफ से ये पहल की गयी है. इसके अलावा इसी तरह की व्यवस्था उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में भी की गयी है.
'अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लेने को आगे आएं लोग'
इसके साथ ही इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक पहल और की जा रही है. इसके तहत कोरोना की वजह से अनाथ हुए छात्र छात्राओं की पढ़ाई से संबंधित जिम्मेदारी उठाने के लिए समाज के लोग आगे आ सकते हैं. अर्न वैल्यू लर्न होस्टिंग की जिम्मेदारी लेकर बेसहारा हुए छात्रों की पढ़ाई के दूसरे खर्च को लोग वहन करने के लिए आगे आ सकते हैं. बेसहारा छात्र-छात्राओं के होस्टिंग की जिम्मेदारी लेने वाले लोग उन छात्रों के पढ़ाई से जुड़े खर्च को उठा सकते हैं. इसके बदले छात्र की गार्जियनशिप दी जा सकती है, और वो छात्र अपनी पढ़ाई से जुड़ी समस्याओं के बारे में उनसे बात करके सलाह ले सकता है.
'आपदा के इस काल में एक दूसरे की करें मदद'
यूनिवर्सिटी की जन संपर्क अधिकारी प्रोफेसर जया कपूर का कहना है कि ये ऐसा बुरा वक्त आया है कि हर किसी को एक दूसरे का साथ देना चाहिए. कोरोना की वजह से आयी तबाही के बाद हम दूसरों की मदद करके उनके जीवन में आयी परेशानियों को दूर कर सकते हैं. इसलिए इस वक्त सभी सक्षम व्यक्तियों को सामने आकर दूसरों की मदद करनी चाहिए.