इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, न्यूनतम वेतन से कम भुगतान का मतलब जबरन मजदूरी कराना

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Published : Oct 10, 2021, 10:37 PM IST

Updated : Oct 10, 2021, 10:46 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, न्यूनतम वेतन से कम भुगतान का मतलब जबरन मजदूरी कराना

कोर्ट ने याची को 15 जून 2001 से दी गई राशि की कटौती कर न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. साथ ही 2016 की नियमावली के अंतर्गत निदेशक एमडीआइ हास्पिटल प्रयागराज को चार माह में सेवा नियमित करने पर निर्णय लेने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने तुफैल अहमद अंसारी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार पिछले 20 साल से 450 रुपये प्रतिमाह देकर जबरन श्रम लेकर शोषण कैसे कर सकती है? सरकारी वकील ने कहा कि एक जुलाई 1992 के शासनादेश के तहत यह कार्य लिया जा रहा है और माना कि न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार की बात मान ली जाय तो कोर्ट भी दैनिक कर्मी का लंबे समय तक शोषित होने की दोषी होगी. कोर्ट ने कहा 450 रुपये प्रतिमाह वेतन देना जबरन मजदूरी कराना है. यह संविधान के अनुच्छेद-23 का खुला उल्लंघन है.

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कोर्ट ने याची को 15 जून 2001 से दी गई राशि की कटौती कर न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. साथ ही 2016 की नियमावली के अंतर्गत निदेशक एमडीआइ हास्पिटल प्रयागराज को चार माह में सेवा नियमित करने पर निर्णय लेने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने तुफैल अहमद अंसारी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

याची कहार के कार्य के लिए 2001 से कार्यरत है. सेवा नियमित करने की मांग में याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी केस के फैसले के तहत याची सेवा नियमित किये जाने का हकदार है. सेवा नियमावली 2016 में 31 दिसंबर 2001 के पहले से कार्यरत दैनिक कर्मचारियों को नियमित होने का अधिकार है. कहा कि सरकार इस संबंध में चार माह में निर्णय ले. तब तक न्यूनतम वेतन भुगतान किया जाय.

Last Updated :Oct 10, 2021, 10:46 PM IST
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