पीएम-सीएम को जान से मारने की धमकी देने वाले आरोपी को मिली जमानत

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Published : Dec 2, 2021, 12:33 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 10:54 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.

जमानत की अर्जी देने वाले याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर कॉल पर कहा था कि पीएम और सीएम के सार्वजनिक बयानों के कारण वह उन्हें मार कर जेल जाना चाहता है. इस फोन कॉल के आधार पर, जांच की गई और कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर को आरोपी के पास से बरामद किया गया था.

लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सलमान उर्फ ​​अरमान चौधरी नाम के एक शख्स को जमानत दे दी है. जिसने कथित तौर पर उत्तर प्रदेश पुलिस के आपातकालीन सेवा नंबर पर कॉल कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी दी थी.

जमानत की अर्जी देने वाले याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर कॉल पर कहा था कि पीएम और सीएम के सार्वजनिक बयानों के कारण वह उन्हें मार कर जेल जाना चाहता है. इस फोन कॉल के आधार पर, जांच की गई और कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर को आरोपी के पास से बरामद किया गया. इसके बाद, पूरे मामले में आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), 507 (एक गुमनाम माध्यम के जरिए आपराधिक धमकी), 505 (1) (बी) (सार्वजनिक शरारत वाले बयान) और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

यह देखते हुए कि आईपीसी की धारा 506 और 507 के तहत आवेदक के खिलाफ एक अपराध बनाया जा सकता है, न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उसकी जमानत मंजूर कर ली कि वह 31 अगस्त, 2021 से जेल में है और यह साबित करने के लिए कुछ नहीं है कि जमानत के बाद वह केस पर विपरीत प्रभाव डालेगा.

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने दलील देते हुए कहा कि एफआईआर में दर्ज आरोपों के अनुसार, धारा 506 और 507 के तहत इसे एक अपराध बनाया गया है. हालांकि, यह मजिस्ट्रेट द्वारा मुकदमा चलाए जाने योग्य है और एक जमानती अपराध है, इसलिए याचिकाकर्ता की जमानत की अर्जी मंजूर की जाए.

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साथ ही वकील ने यह भी तर्क दिया कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों से कोई भी अपराध आईपीसी की धारा 505 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत नहीं बनता है. हालांकि, एजीए ने इसका विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वार किए गए अपराध की प्रकृति समाज के ताने-बाने के लिए खतरा है. उसने देश के निर्वाचित प्रतिनिधि को धमकी दी है, इसलिए उसे सख्त सजा दी जाए

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एफआईआर में पहली नजर में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 और 507 के तहत एक अपराध बनाया जा सकता है. हालांकि, दोनों मामले जमानती हैं. याचिकाकर्ता 31, अगस्त, 2021 से जेल में है और यह बताने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि अगर उसकी जमानत मंजूर की जाती है तो, इसका केस पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इसलिए, याचिकाकर्ता जमानत का हकदार है.

Last Updated :Dec 2, 2021, 10:54 PM IST
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