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अपहरण-हत्या मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट से MP पुलिस के सिपाही की जमानत अर्जी खारिज

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Published : Aug 27, 2021, 3:47 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पुलिस अभिरक्षा में मौत के आरोपी शहडोल जनपद (मध्य प्रदेश Madhya Pradesh) के पुलिस कांस्टेबल शेर अली की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस का दायित्व कानून व्यवस्था बनाए रखने का है. आरोपी की रिहाई की गई तो मुकदमे का विचारण प्रभावित हो सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पुलिस अभिरक्षा में मौत के आरोपी शहडोल पुलिस (मध्य प्रदेश पुलिस Madhya Pradesh Police) के कांस्टेबल शेर अली की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस का दायित्व कानून व्यवस्था बनाए रखने का है. पुलिस अभिरक्षा में मारपीट और टार्चर के बाद मौत सभ्य समाज के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी घटनाओं को लेकर नाराजगी जताई है. ऐसे में आरोपी की रिहाई की गई तो मुकदमे का विचारण प्रभावित हो सकता है. कोर्ट ने कांस्टेबल शेर अली को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया.

यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने शहडोल पुलिस कांस्टेबल शेर अली की अर्जी पर दिया है. मालूम हो कि वाराणसी के संजय कुमार गुप्ता ने अदालत के आदेश से शहडोल पुलिस पर अपने पिता गोरखनाथ उर्फ ओम प्रकाश गुप्ता का अपहरण कर हत्या करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें दारोगा शंखधर द्विवेदी, शेर अली, दिग्विजय पांडेय, जगत सिंह, आर राजन, सुरेश प्रसाद अग्रवाल, महेश चंद्र अग्रवाल और कुमार गेस्ट हाउस में ठहरे एक अज्ञात व्यक्ति को आरोपित बनाया गया है. वाराणसी के लंका थाने में दर्ज प्राथमिकी में शहडोल पुलिस पर अपहरण कर हत्या करने का आरोप लगाया गया है. पुलिस घर से गोरखनाथ को पकड़कर ले गई थी. शिकायतकर्ता वाराणसी के थानों में पता लगाने को भटकता रहा. इस संबंध में एसएसपी से भी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

दो मार्च 1997 को फूलपुर पुलिस ने बताया कि शहडोल कोतवाली से सूचना आई है कि ओम प्रकाश गुप्ता की मौत हो गई है.इसके बाद घरवाले शहडोल ग्ए। पुलिस ने परिवार के लोगों को ओमप्रकाश का शव वाराणसी नहीं ले जाने दिया. वाराणसी आने पर संजय कुमार ने पुलिस को जानकारी दी. मगर, तब भी पुलिस ने केस नहीं लिखा. ऐसे में उन्होंने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट के आदेश पर जांच पुलिस से हटाकर एसआइएस (अब इसका नाम एसआइबी यानी विशेष जांच शाखा) को सौंपी गई. एसआइबी ने 23 अक्टूबर 1998 को फाइनल रिपोर्ट पेश की. शिकायतकर्ता की आपत्ति पर सीजेएम वाराणसी ने पुलिस रिपोर्ट अस्वीकार करते हुए पांच जून 2007 को अभियुक्तों को सम्मन जारी किया. हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया. आरोपी बचने के लिए अदालतों के चक्कर लगाते रहे.

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शिकायतकर्ता का आरोप है कि कोतवाली में मौत के बाद पिता गोरखनाथ को अस्पताल ले जाया गया, जहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर चोटें बतायी गईं. हालांकि, याची कांस्टेबल शेर अली का कहना था कि गोरखनाथ को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सीने में दर्द होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी मौत नैसर्गिक हुई थी.

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