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व्यापक गड़बड़ी पर चयन प्रक्रिया निरस्त करना सरकार का सही फैसला : हाईकोर्ट

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Published : Apr 8, 2022, 10:57 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हैंडलूम एवं टेक्स्टाइल विभाग में 2015 में हुई ग्रुप सी के 152 पदों की भर्ती में व्यापक गड़बड़ी के चलते राज्य सरकार द्वारा चयन प्रक्रिया निरस्त करने को सही करार दिया है. खंडपीठ ने कहा कि 152 चयनितों में से एक तिहाई 47 लोगों के चयन में जांच में गड़बड़ी पाई गई.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हैंडलूम एवं टेक्स्टाइल विभाग में 2015 में हुई ग्रुप सी के 152 पदों की भर्ती में व्यापक गड़बड़ी के चलते राज्य सरकार द्वारा चयन प्रक्रिया निरस्त करने को सही करार दिया है. सरकार के आदेश को रद्द कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के एकलपीठ के फैसले को रद्द कर दिया है.

खंडपीठ ने कहा है कि 152 चयनित में से एक तिहाई 47 लोगों के चयन में जांच में गड़बड़ी पाई गई. नियमानुसार परीक्षा व साक्षात्कार से चयन के बजाय केवल साक्षात्कार से चयन किया गया. उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UP Subordinate Services Selection Commission) ने नियमों की अनदेखी की. कोर्ट ने कहा कि चयन होने मात्र से किसी को नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता. किसी चयनित की नियुक्ति नहीं की जा सकी थी. राज्य सरकार ने उचित ही चयन में अनियमितता को देखते हुए इस प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया है. अपील पर अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह और प्रणव कुमार गांगुली ने सरकार की तरफ से बहस की. मालूम हो कि हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग कानपुर में ग्रुप सी के 152 पदों की आयोग ने भर्ती निकाली. 2014 की नियमावली के अनुसार परीक्षा व साक्षात्कार से चयन किया जाना था. परीक्षा में 40 व साक्षात्कार में 25 अंक दिए जाने थे. किंतु आयोग ने केवल साक्षात्कार से चयन कर लिया और परिणाम घोषित कर दिया.

नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए. इसी बीच शिकायत की विजिलेंस जांच में व्यापक अनियमितता का खुलासा हुआ. राज्य सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया निरस्त कर दी जिसे चयनित अभ्यर्थियों ने चुनौती दी. एकलपीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए चयन निरस्त करने के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया. याचियों को नियुक्ति का निर्देश दिया जिसे राज्य सरकार ने अपील में चुनौती दी. अभ्यर्थियों का कहना था कि 2015 की नियमावली में परीक्षा या साक्षात्कार किसी से चयन हो सकता है. इसलिए चयन में गड़बड़ी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचियों ने स्वयं स्वीकार किया कि उनके चयन में 2015 के नियम लागू नहीं हैं. एक तिहाई पदों के चयन में गड़बड़ी पाई गई है. ऐसे में सरकार का फैसला सही है.

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