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...ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार, माता-पिता को तराजू में बिठाकर पूरी कर रहे कांवड़ यात्रा

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Published : Jul 27, 2019, 4:48 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जब शहर वासियों ने दो पुत्रों के कन्धों पर माता-पिता को देखा तो सतयुग के श्रवण कुमार की कहानी याद आ गई. अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दोनों को टोकरी में बैठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर जलाभिषेक के लिए जा रहे हैं.

कलयुग में भी हैं श्रवण कुमार.

मुजफ्फरनगर: हरियाणा के पानीपत के रहने वाले दो भाई पप्पन और सतेंद्र अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करने के लिए हरिद्वार से गंगा जल लेकर श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता को अपने कंधे पर तराजू रूपी कांवड़ में बिठाकर कांवड़ यात्रा पूरी कर रहे हैं. इस अद्भुत नजारे को देख नगरवासी भी आश्चर्यचकित हैं. लोग इन्हें कलयुग के श्रवण कुमार कह रहे हैं.

कलयुग में भी हैं श्रवण कुमार.

श्रवण कुमार की कहानी आज की पीढ़ी को सिर्फ ज्ञान ही नहीं बांट रही है. कौन सोच सकता है कि सतयुग के श्रवण कुमार के जैसा इस कलयुग में भी श्रवण कुमार हो सकता है. शायद आपने भी नहीं सोचा होगा कि सतयुग के श्रवण कुमार जैसे पुत्र भी कलयुग में पैदा हो सकते हैं.

शिव भक्त सतेंद्र और पप्पन के माता-पिता की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगा जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. श्रवण बने दोनों बेटे अपने माता-पिता दोनों को तराजू रूपी कांवड़ में बैठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने रोजाना कोसों पैदल चल रहे हैं.

आज भले ही बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान रख पाने में पिछड़ रहे हों, लेकिन इन दोनों भाइयों का अपने माता-पिता के प्रति ये भाव देखकर उन बच्चों के लिए ये प्रेरणा का काम जरूर करेगा, जो अपने माता-पिता के प्रति अपने आदर्शों को भूलकर आधुनिक युग में जी रहे हैं. ये नजारा वाकई श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहा है.

Intro:मुजफ्फरनगर: कलयुग के श्रवण कुमार
मुजफ्फरनगर। सतयुग के श्रवण कुमार की कहानी किताबो से आज की पीढ़ी को ज्ञान बांट रही है ।कौन सोच सकता है कि सतयुग के श्रवण कुमार को जैसा इस कलयुग में भी श्रवण कुमार हो सकता है कभी आपने भी नही सोचा होगा कि सतयुग के श्रवण कुमार जैसे पुत्र भी कलयुग में पैदा हो सकता है जो अपने माता पिता की इच्छा पुरी करने के लिए दोनो को टोकरी में बैठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर आया है। शिव भक्त सतेंद्र व पप्पन के माता पिता की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगा जल लेकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करे । अपने माता पिता को घुमाने के लिए श्रवण बना दोनों बेटे अपने माता और पिता दोनों को टोकरी में बैठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने में लगे हैं।

Body:ये दोनों है कलयुग के श्रवण कुमार जो आज त्रेता युग के उस श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहे है जो अपने अंधे माता-पिता की आखों का तारा था। हरियाणा के पानीपत के रहने वाले दो भाई पप्पन और सतेंद्र अपने मां-बाप की मनोकामना पूरी करने के लिए हरिद्वार से गंगा जल लेकर श्रवण कुमार की तरह अपने माता- पिता को अपने कंधे पर तराजू रूपी कांवड़ में बिठाकर कांवड़ यात्रा पूरी कर रहे हैं । इस अद्भुत नजारे को देख नगरवासी भी आश्चर्यचकित रह गए हैं। अपने कंधों पर वृद्ध मां-बाप के बोझ को उठाए ये दोनो भाई कलयुग के श्रवण कुमार हैं जो अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे है, वाकई में ये नजारा श्रवण कुमार की याद ताज़ा कर रहा है। Conclusion:आज भले ही बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान रख पाने में पिछड़ रहे हों, लेकिन इन दोनों भाइयो का अपने माता-पिता के प्रति ये भाव देखकर उन बच्चों के लिए ये प्रेरणा का काम करेगा, जो अपने माता-पिता के प्रति अपने आदर्शों को भूलकर आधुनिक युग में जी रहे हैं।


BYTE=सतेंद्र (कलयुग का श्रवण कुमार शिव भक्त)
BYTE=रिश्वती(माँ)
BYTE=सुक्कन(पिता)
BYTE=पप्पन(कलयुग श्रवण कुमार शिवभक्त )

अंकित मित्तल
9719007272
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