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Mukhtar Ansari Case : नंद किशोर रूंगटा ने ही कराई थी कोल मंडी में मुख्तार की एंट्री, फिर उसी का किया अपहरण

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Published : Apr 29, 2023, 8:21 PM IST

गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में दोषी करार देते हुए 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जबकि सांसद भाई अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई गई. आइए जानते हैं इनके अपराधिक कहानियों के बारे में..

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मुख्तार

चंदौलीः नंद किशोर रूंगटा और कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े मामले में फाइल चार्ट किए गए गैंगस्टर एक्ट के मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में दोषी करार देते हुए 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जबकि सांसद भाई अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन इस फैसले की धुरी एशिया की सबसे बड़ी कोल मंडी चंदासी रही.

माफियाओं की फेहरिस्त में मुख्तार अंसारी का नाम रहा प्रमुख
कोयला के काले कारोबार में होने वाली मोटी कमाई के लिए चंदासी मंडी शुरु से ही चर्चा में रहा है. कोयले के बड़े स्तर पर कारोबार के चलते यहां एक समय तक माफियाओं की वसूली होती थी. धीरे-धीरे दौर बदला और रंगदारी का तौर तरीका बदल गया. बदले वक्त के साथ माफिया और व्यापारियों का मंडी में गठजोड़ बन गया. बड़े माफिया कई व्यापारियों के जरिये मंडी में अपने रुपये लगाते थे. माफियाओं की फेहरिस्त में मुख्तार अंसारी का नाम काफी प्रमुख रहा है. मोटी कमाई के चलते कोल मंडी में कई बार गैंगवार भी हुआ.

नंद किशोर रूंगटा ने ही मुख्तार की चंदासी कोल मंडी में कराई थी एंट्री
जानकारों की मानें तो 90 के दशक में मुख्तार अंसारी में कोयले के काले कारोबार में एंट्री हुई. इसमें सिंगरौली स्थित खदान से निकलने वाले कोयले की ट्रांसर्पोटिंग पर रंगदारी वूसलना शुरु कर दिया. खदान से निकलकर फैक्ट्रियों को जाने वाले कोयले पर वह वसूली करता था. धीरे-धीरे उसकी निगाह चंदासी कोल मंडी पर पड़ी. वहीं, कोल मंडी के बड़े व्यवसाइयों की आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने मुख्तार को मंडी तक ले आने का मार्ग प्रशस्त किया.

कहा तो यह भी जाता है की खुद नंद किशोर रूंगटा ने ही मुख्तार की चंदासी कोल मंडी में एंट्री करवाई थी, जो बाद में भष्मासुर साबित हुआ. इसके बाद मुख्तार को यहां नोटो की भरमार दिखाई दी, उसने यहां अपना सिक्का जमाना शुरु कर दिया. धीरे-धीरे मुख्तार के कब्जे में मंडी आ गई थी. यहां तक बिलिंग का काम करने वालों से प्रतिटन के हिसाब से रंगदारी वसूली जाती थी. बेहिसाब दौलत की चकाचौंध से कई अन्य गैंग भी पनपे और गैंगवार भी हुआ.

1997 में मुख्तार का मंडी पर पूरी तरह हुआ वर्चस्व
इस बीच तत्कालीन कोयले के सबसे बड़े व्यवसाइयों में से एक वर्ष 1997 में नंद किशोर रूंगटा अपहरण और हत्याकांड में मुख्तार का नाम आने के बाद उसका मंडी पर पूरी तरह से वर्चस्व हो गया था. हालांकी इस हाई प्रोफाइल मामले में सीबीआई की कोर्ट मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था, लेकिन यह योगी सरकार आने के बाद यह मामला एक बार फिर खुला और मुख्तार को उसके अंजाम तक पहुंचाया गया.

2007 में मुख्तार और अफजाल अंसारी के खिलाफ दर्ज हुआ गैंगस्टर का मुकदमा
दरअसल, साल 2007 में मुख्तार और अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस केस में 2005 में हुई कृष्णानंद राय की हत्या और नंद किशोर रुंगटा अपहरण मामले को आधारा बनाया गया था. विधायक मुख्तार अंसारी ने विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष व कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कराया था. बताया जाता है कि 5 करोड़ की फिरौती के लिए मुख्तार ने अपने गुर्गे पांच लाख के इनामी अताउर रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर को इस वारदात को अंजाम देने के लिए लगाया था.

नंद किशोर रूंगटा को चाय में पिलाया था नशीला पदार्थ
यह मामला वर्ष 1997 में भेलूपुर थाना क्षेत्र की जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाले कोयला कारोबारी के घर बाबू खुद हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर गया था. घर में बिजनेस डील को लेकर बातचीत के दौरान इनामी बाबू चाय पीने व दस्तावेज दिखाने के बहाने उन्हें घर से बाहर ले गया. इस दौरान कार में बैठाकर कुछ देर तक उसने नंद किशोर रूंगटा को घुमाया. कोयला कारोबार से जुड़े फर्जी दस्तावेज भी दिखाए. इसके बाद चाय पिलाई. चाय में नशीला पदार्थ मिला होने के कारण नंदकिशोर सुधबुध खो बैठे.

5 करोड़ रुपये की मांगी फिरौती
इसके बाद 22 जनवरी 1997 को उनके घर फोन कर परिवारीजन को उनके अपहरण की जानकारी देते हुए 5 करोड़ रुपये की पेशकश की. जानकारों का कहना है कि इसमें डेढ़ करोड़ की पहली किश्त दे भी दी गई. लेकिन बावजूद उनका कहीं पता नहीं चला. जानकारों की माने तो उनकी हत्या कर शव को ठिकाने लगा दिया गया था. लेकिन परिवार को आज तक उनका शव भी नहीं मिला.

अताउर रहमान का रहा बड़ा हाथ
नंद किशोर रूंगटा का 22 जनवरी, 1997 को अपहरण हुआ था. इसके बाद गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थानांतर्गत महरुपुर गांव निवासी अताउर रहमान उर्फ बाबू भाग कर नेपाल चला गया. इस मामले की सीबीआई जांच भी हुई थी, लेकिन अताउर रहमान उनके हाथ नहीं लगा. मुख्तार ने नेपाल से उसे बुलाकर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में भी लगाया. बताते हैं कि अताउर रहमान ने ही सभी शूटरों का इंतजाम किया था.

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