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कांशीराम आवास आवंटन घोटाला, रिटायर्ड एडीएम शीतला प्रसाद समेत अन्य की जमानत याचिका खारिज

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Published : Jan 7, 2023, 7:41 AM IST

चंदौली में कांशीराम आवास आवंटन घोटाले के आरोपियों की जमानत को अपर जिला जज प्रथम की कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अब वह अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे, ताकि उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिल सके.

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कांशीराम आवास

चंदौलीः कांशीराम आवास आवंटन घोटाले में गिरफ्तार रिटायर्ड एडीएम शीतला प्रसाद व अंबेडकर नगर जिले के भीटी तहसील में तैनात उप जिलाधिकारी सुनील कुमार बरनवाल की जमानत शुक्रवार को अपर जिला जज प्रथम की कोर्ट से खारिज हो गयी. अब वह अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे, ताकि उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिल सके. इसके अलावा सैयदराजा इलाके के दो अन्य आरोपियों की भी जमानत खारिज हो गई.

दरअसल, काशीराम आवास आवंटन में हुए घोटाले के आरोपियों की जमानत को लेकर दोनों पक्षों के वकील व समर्थक दोपहर से लेकर शाम तक कचहरी में डटे रहे. वकीलों की तरफ दी गई तमाम दलीलें भी उन्हें जमानत नहीं दिला सकी. इसके बाद शाम को कोर्ट के फैसले के बाद सबके हाथ मायूसी लगी. आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई. इस मामले में 52 लोग आरोपी बनाए गए थे, जिसमें एडीएम, एसडीएम, ईओ समेत एक दर्जन लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. वहीं, कुछ लोगों के खिलाफ 82 सीआरपीसी के तहत कुर्की की नोटिस चस्पा किए जाने की कार्रवाई होने के बाद अब आरोपी कोर्ट में सरेंडर किया.

बता दें कि काशीराम आवास आवंटन घोटाले को लेकर क्षेत्र के चंद्रमोहन सिंह ने 2013 में चंदौली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस के बार-बार फाइनल रिपोर्ट लगाने के बाद और आरोपियों पर कार्रवाई न होने से चंद्रमोहन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली. लंबे जद्दोजहद के बाद हाईकोर्ट ने आरोपियों के गिरफ्तारी का आदेश एसपी चंदौली को दिया. इसके बाद पुलिस ने इस प्रकरण में कार्रवाई शुरू करते हुए आरोपी अधिकारियों समेत अन्य लोगों की गिरफ्तारी कर कोर्ट में पेश किया.

नगर पंचायत और सदर तहसील के कर्मचारियों की मिलीभगत से कांशीराम आवास योजना में आवासों के आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई. इस प्रकरण में जिला न्यायालय के साथ-साथ हाईकोर्ट के भी आदेशों की लगातार अवहेलना होती रही है. इस मामले के लगभग 11 साल बीत जाने के बाद पुलिस एक्टिव हुई है और कोर्ट के बार-बार दिशा निर्देश देने के बाद कार्रवाई शुरू हुई.

शिकायतकर्ता चंद्र मोहन सिंह का आरोप है कि नगर पंचायत के विभिन्न कर्मचारियों ने हीलाहवाली तथा तहसील के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके गलत और अवैध लोगों को आवास आवंटित कर दिया. शिकायत की गई तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने 40 आवासों के आवंटन को गलत पाया और उसे निरस्त करने का आदेश दे दिया, लेकिन जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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