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ऐसा क्या हो गया कि किसान खुद ही खेतों में टमाटर बर्बाद करने लगे

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Published : May 18, 2021, 7:11 PM IST

कोरोना के कारण लॉकडाउन ने मुरादाबाद के किसानों की कमर तोड़ दी है. सबसे अधिक परेशान टमाटर की खेती करने वाले किसान हैं, जो उचित कीमत नहीं मिलने के कारण फसल को खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं.

मुरादाबाद
मुरादाबाद

मुरादाबाद : कोरोना के कारण पूरे उत्तरप्रदेश में लॉकडाउन लगा है. सब्जी मंडियों में सब्जियां लेकर किसान जा रहे हैं मगर वहां खरीदार नहीं मिल रहे हैं. जो खरीदार आ रहे हैं, वह भी फसल की सही कीमत नहीं दे रहे हैं. हालत यह है कि थोक मंडी में टमाटर दो रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इस कीमत से किसानों को मंडी तक टमाटर पहुंचाने की कीमत नहीं मिल पा रही है. इस हालात में टमाटर की खेती करने वाले किसानों ने फसल को सड़ने के लिए खेतों में ही छोड़ दिया है.

किसान का हाल

मुरादाबाद जिला टमाटर की खेती के लिए मशहूर है. यहां से अन्य जिलों के अलावा दिल्ली तक टमाटर की सप्लाई होती है. पिछले लॉकडाउन के दौरान भी यहां के टमाटर की खेती करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. 2020 में भी अच्छी फसल हुई थी मगर लॉकडाउन के कारण के कारण तीन-से चार रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ा था. 2021 में भी मुरादाबाद के किसानों ने 350 हेक्टर जमीन पर टमाटर की खेती की. जिले के मझोला, पाकबड़ा, कुन्दरकी, मूंढापांडे और छजलैट क्षेत्र में टमाटर की अच्छी फसल भी हुई. किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें टमाटर की सही कीमत मिलेगी. इस बीच कोरोना की दूसरी लहर के कारण प्रदेश में दोबारा लॉकडाउन लग गया. हालांकि इस दौरान शर्तों के साथ थोक मंडी खुल रही है मगर खरीदार नहीं मिलने से टमाटर का सही रेट नहीं मिल पा रहा है.

किसान का हाल
किसान का हाल

किसान कर्मवीर और अमर सिंह ने बताया कि मंडी में 20 से 21 किलो टमाटर मात्र 40 से 45 रुपये ही बिक रहा है. इससे टमाटर को तोड़ने और मंडी तक लाने का किराया भी नहीं निकल पा रहा है. मझोला थाना क्षेत्र के किसान चेतराम, रमेश, जयवती आदि ने बताया कि टमाटर की फसल के लिए खेत तैयार करने से लेकर उसे बांधने आदि में मजदूरों की मदद लेनी पड़ती है. फसल के लिए महंगी खाद, कीटनाशक, सिंचाई आदि में भी काफी पैसे खर्च होते हैं. टमाटर को तोड़कर मंडी तक ले जाने में ही 200 से 300 रुपया खर्च हो जाता है. अगर किसानों को मंडी तक आने का खर्च भी नहीं मिलेगा तो वह टमाटर बेचे ही क्यों?

किसानों का कहना है कि मंडी में उचित दाम नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है. टमाटर की खेती के लिए जिन लोगों ने जमीन ठेके पर ली थी, वह भूमि मालिकों को भी उनकी रकम नहीं दे पा रहे है. समय से ठेके का पैसा नहीं देने पर ब्याज भी देना पड़ेगा. मंडी में जहां किसान अपने टमाटर को दो -ढाई रुपये किलो बेच कर जा रहे हैं, वहीं रेहड़ी और ठेलों पर टमाटर 7 से 10 रुपये किलो बिक रहा है.

खेत में ही उजाड़नी पड़ी पूरी फसल
टमाटर को तोड़ने की मजदूरी 300 रुपये प्रति व्यक्ति देनी पड़ती है. इसके आलवा उसे तीन रुपये के पॉलीथिन में पैक किया जाता है. मंडी तक ले जाने में 7 से 10 रुपये प्रति पॉलीथिन का अतिरिक्त खर्च होता है. मंडी में टैक्स अलग से देना पड़ता है. मंडी में 20-21 किलो टमाटर 40 रुपये में बिकता है. अगर आप हिसाब लगाएं तो इससे टमाटर को तोड़ने और उसे मंडी तक ले जाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है, इसलिए मैंने और मेरे भाई अमर सिंह ने पूरी फसल खेत में ही उजाड़ दी.

- कर्मवीर सिंह, किसान, मझोला थाना क्षेत्र

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दिल्ली और प्रदेश में लॉकडाउन से कीमत कम हुई
इस बार किसानों के टमाटर की फसल की अच्छी पैदावार रही है. कोरोना कर्फ्यू के दौरान दो-तीन दिन तक किसानों को टमाटर का काफी अच्छा दाम मिला था. यहां का काफी टमाटर दिल्ली की मंडियों में भी जाता है. लेकिन लॉक डाउन की वजह टमाटर बाहर की मंडियों में नहीं जा रहा है. यही कारण है कि किसानों को उनकी फसल का सही दाम नही मिल पा रहा है.

- सुनील कुमार , जिला उद्यान अधिकारी, मुरादाबाद

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