ETV Bharat / state

जानिए, आखिर क्यों मिर्जापुर की छानबे विधानसभा में आदिवासियों और दलितों का वोट प्रत्याशियों को लुभाता है...

author img

By

Published : Dec 5, 2021, 7:06 PM IST

मिर्जापुर की छानबे विधानसभा.
मिर्जापुर की छानबे विधानसभा.

मिर्जापुर की छानबे विधानसभा में आदिवासी और दलितों का वोट काफी अहम है. यहां का चुनावी समीकरण इसी वोट बैंक के इर्दगिर्द रहता है. चलिए जानते हैं डेमोग्राफी रिपोर्ट के बारे में...

मिर्जापुर : मिर्जापुर जिले की पांच विधानसभाओ में छानबे विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है. शुरू से ही यह सुरक्षित सीट रही है. हालांकि सन् 1962 से 1974 तक यह सीट सामान्य घोषित की गई थी, इसके बाद इसे फिर से सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया.

आदिवासी और दलित बाहुल्य वाली इस विधानसभा के विकास की बात करें तो यह अभी भी काफी पिछड़ी हुई है. आदिवासी और दलितों के अलावा सवर्ण और पिछड़े मतदाता इस सीट को प्रभावित करते हैं. वर्तमान में इस सीट से अपना दल (एस)से राहुल प्रकाश कोल विधायक है.



यहां पर सबसे अधिक कांग्रेस सात बार, बसपा चार बार ,जनसंघ और जनता दल दो-दो बार, बीजेपी- सपा और अपना दल (एस) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. आजादी के बाद से अब तक 18 बार विधानसभा का चुनाव हुआ है लेकिन इस सीट से कोई विधायक अभी तक मंत्री नहीं बन सका है. यही कारण है कि यह विधानसभा पिछड़ी हुई है.

मिर्जापुर की छानबे विधानसभा में आदिवासियों और दलितों का वोट अहम स्थान रखता है.

मिर्जापुर की छानबे विधानसभा मध्य प्रदेश बॉर्डर से सटी हुई है. पांच विधानसभाओं में यह विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है. विकास खंड हलिया, लालगंज के साथ छानबे विकास खंड के कुछ गांव इस विधानसभा के हिस्से हैं.

ये रहीं समस्याएं

  • कई गांवों में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है
  • पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
  • सिंचाई के लिए भी पानी की किल्लत है.
  • आदिवासी इलाकों में सड़क और बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं.
  • रोजगार न होने से युवाओं को दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है.


कौन कब रहा विधायक

  • 1952 में अजीत इमाम (कांग्रेस)
  • 1957 में अजीत इमाम (कांग्रेस)
  • 1962 में अजीत इमाम (कांग्रेस)
  • 1967 में स्वामी ब्रह्मानंद (जनसंघ)
  • 1969 में श्रीनिवास प्रताप (जनसंघ)
  • 1974 में पुरुषोत्तम (कांग्रेस)
  • 1977 में पुरुषोत्तम (कांग्रेस)
  • 1980 में पुरुषोत्तम(कांग्रेस)
  • 1985 में भगवती प्रसाद चौधरी (कांग्रेस)
  • 1989 में कालीचरण (जनता दल)
  • 1991 में दुलारे लाल (जनता दल)
  • 1993 में श्री राम भारती (बसपा)
  • 1996 भाई लाल कोल (भाजपा)
  • 2002 में पकौड़ी लाल कोल (बसपा)
  • 2004 श्री राम भारतीय (बसपा)
  • 2007 में सूर्यभान (बसपा)
  • 2012 में भाई लाल कोल (सपा)
  • 2017 में राहुल प्रकाश कोल, अपना दल (एस)


    जातिगत आंकड़े ये रहे
  • कोल- 57000
  • दलित- 50,000
  • ब्राह्मण- 22000
  • यादव- 22000
  • मुस्लिम- 18000
  • मौर्य- 15000
  • क्षत्रिय - 15000
  • पटेल-14000
  • पाल- 9000
  • प्रजापति- 8000
  • विश्वकर्मा-4000
  • चौहान-1000
  • कनौजिया- 1500
  • नाई- 2000
  • सोनकर- 12000
  • गौड़-300
  • बनिया-16000
  • मुसहर,धैकर- 800
  • नट बहेलिया- 500
  • पासी-35000
  • निषाद मल्लाह बिंद- 57000
  • चौरसिया 3500

ये भी पढ़ेंः सीएम योगी बोले- अब तक भाई-बहन और बुआ-बबुआ की जोड़ी कर क्या रही थी...पढे़ं पूरी खबर

वोटरों पर एक नजर

पुरुष वोटर

194764

महिला वोटर

173506

कुल वोटर 368321

2017 के चुनाव में राहुल प्रकाश कोल ने दर्ज की थी जीत

2017 के विधानसभा चुनाव में सांसद पकौड़ी लाल कोल के बेटे राहुल प्रकाश कोल ने बीजेपी के गठबंधन से जीत दर्ज की थी. वह अपना दल (एस) के प्रत्याशी थे. राहुल प्रकाश कोल को 1,07,007 वोट और बसपा के धनेश्वर गौतम को 43,539 वोट मिले थे. सपा से भाई लाल कोल को 37,108 मत ही मिले थे.



ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.