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मिर्जापुर के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ी, कई स्कूलों में एडमिशन लेने की जगह नहीं

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Published : May 13, 2022, 7:19 PM IST

Updated : May 14, 2022, 12:50 PM IST

मिर्जापुर के सरकारी स्कूलों में छात्र भारी संख्या में दाखिला ले रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि अब किसी भी मायने में सरकारी स्कूल प्राइवेट से कम नहीं हैं. वहीं, यूडीआईएसई (Unified District Information System for Education) की सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या घट गई है. फिर भी बच्चों का रुझान इन स्कूलों की ओर ज्यादा है.

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सरकारी स्कूलों में छात्रों का रूझान

मिर्जापुर : यूडीआईएसई (Unified District Information System for Education) की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में सरकारी स्कूलों की संख्या में कमी हुई है. हालांकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूल बंद हुए हैं. इसके बावजूद जनपद के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ गई है. यहां के सरकारी स्कूलों में छात्र बढ़-चढ़कर एडमिशन ले रहे हैं. हालात ये हैं कि कई सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए सीटें नहीं बचीं हैं.

मिर्जापुर के सरकारी स्कूलों का हाल बताते संवाददाता.

अभिभावक अपने बच्चों के नाम प्राइवेट स्कूल से कटवाकर उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि अब सरकारी स्कूल किसी भी मायने में प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है. इन स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ व्यवस्था भी अच्छी है.

सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए भरमार
मिर्जापुर के मझवां का सरकारी स्कूल.

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सरकारी स्कूलों में बच्चों का रुझान बढ़ा : यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) 2018-19 की रिपोर्ट का डेटा आया है. यूडीआईएसई हर साल स्कूलों से संबंधित डेटा उपलब्ध कराती है. इसके अनुसार देशभर में सरकारी स्कूलों की संख्या में कमी आई है जबकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ है. फिर भी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बड़ी है. अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं. कई विद्यालय लक्ष्य से ऊपर एडमिशन ले चुके हैं तो कई स्कूलों में अब बैठने तक की जगह नहीं बची है. शिक्षक अब एडमिशन लेने में हाथ खड़ा कर रहे हैं. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूल बंद हुए हैं. यूपी में सितंबर 2018 में सरकारी स्कूलों की संख्या 1,63,142 थी. अब वह घटकर सितंबर 2020 में यह संख्या 137068 रह गयी है.

सरकारी स्कूलों में अच्छी सुविधाऐं
सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती टीचर.
प्राइवेट स्कूलों से कम नहीं सरकारी स्कूल: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में यह आता है कि जर्जर बिल्डिंग होगी, अध्यापक रोज आते नहीं होंगे और न ही पढ़ाई होती होगी. हालांकि मिर्जापुर जनपद के एक नहीं कई ऐसे विद्यालय हैं जो किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं प्राइमरी स्कूल बरैनी, कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय कछवां की जहां शिक्षकों के अथक प्रयास से स्कूल की तस्वीर बदल गई है. विद्यालय की रंग बिरंगी दीवारें, बच्चों के पढ़ने के लिए बेंच व डेस्क से लेकर स्मार्ट टीवी प्रोजेक्टर तक यहां उपलब्ध हैं. विद्यालय पूरी तरह हाईटेक है. डाइनिंग सेट बनाया गया है जहां बच्चे इकट्ठा होकर खाना खाते हैं. व्यवस्थित रूप से बैठकर बढ़ते बच्चों को देखकर हर किसी को लगता है कि यह कोई प्राइवेट स्कूल है. शिक्षा की गुणवत्ता की वजह से अब इस जैसे स्कूलों की अलग पहचान बन चुकी है.

जिले में स्कूलों की स्थिति: प्रदेश भर में स्कूल चलो अभियान के तहत अभिभावकों और छात्रों को जागरुक किया जा रहा है. मिर्जापुर जनपद में बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम प्रसाद के निर्देश पर शिक्षक अभिभावकों से मिलकर उनके बच्चों का विद्यालयों में दाखिला करा रहे हैं. जिले के ज्यादातर विद्यालयों को जो लक्ष्य दिया गया है, वह भी पूरा कर लिया गया है. कुछ विद्यालय तो लक्ष्य से ऊपर चल रहे हैं. जिले में कुल 1806 परिषदीय विद्यालय हैं. इसमें से 398 कम्पोजिट विद्यालय, 1200 प्राथमिक विद्यालय, 208 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. शिक्षकों की बात करें तो यहां पर कुल 4600 शिक्षक है. 663 अनुदेशक, 2574 शिक्षामित्र भी पढ़ाते हैं.

मिर्जापुर के सरकारी स्कूल में छात्रों की संख्या में इजाफा
मिर्जापुर में मझवां का प्राइमरी स्कूल.
सरकारी स्कूलों में अच्छी सुविधाएं उपलब्ध: प्रदेश सरकार प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा, कपड़ा, भोजन, जूता के साथ किताबें दे रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई में भी गुणवत्ता आई है जिसके वजह से आज अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से नाम कटवा कर सरकारी स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं. प्राथमिक विद्यालय बरैनी के प्रधानाध्यापक धीरज कुमार पांडेय ने बताया कि हम लोग जब यहां पढ़ाने आए थे तो बहुत स्थिति खराब थी. लगातार मेहनत करने से पढ़ाई भी अच्छी हुई है और अधिकारियों, ग्राम प्रधानों के साथ अन्य लोगों के सहयोग से स्कूल में सारी व्यवस्था करा दी गई है. इसके वजह से बच्चों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है.

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Last Updated : May 14, 2022, 12:50 PM IST
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