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मासूम मूक बधिर से किया था दुष्कर्म, 24 दिनों में ही आया फैसला, मिली ये सजा

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Published : Feb 16, 2021, 3:48 AM IST

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक मूक-बधिर बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने 24 दिनों में ही मामले में फैसला सुनाया.

मासूम मूक बधिर से दुष्कर्म में आजीवन कारावास
मासूम मूक बधिर से दुष्कर्म में आजीवन कारावास

मिर्जापुर : जिले में विशेष न्यायाधीश ने 24 दिनों में ही ऐतिहासिक फैसला सुनाया. मिर्जापुर के मड़िहान थाना क्षेत्र के एक गांव में छह वर्षीय मूक-बधिर बच्ची से दुष्कर्म के मामले में सोमवार को सजा सुनाई गई. न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट अच्छे लाल सरोज ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. दोषी को मौत होने तक जेल में ही रहना पड़ेगा. कोर्ट ने दोषी पर एक लाख के अर्थदंड भी लगाया है.

मासूम मूक बधिर से दुष्कर्म में आजीवन कारावास

क्या था पूरा मामला
आरोपी राकेश यादव, 7 जनवरी 2020 को मड़िहान थाना क्षेत्र के मनगढ़वा जंगल में 6 वर्षीय मूक बधिर बच्ची को गोद में उठाकर ले गया. बच्ची के गायब होने पर परिजन उसकी खोज में जुट गए. गांव के ही दूसरे बच्चों से पता चला कि राकेश बच्ची को लेकर जंगल की ओर गया है. जंगल में पहुंचे परिजनों को खून से लथपथ सिसकती हुई बच्ची मिली. दोषी राकेश पीड़िता को छोड़कर फरार हो गया था. बच्ची की मां ने थाना मड़िहान में राकेश यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. विवेचक सीओ प्रभात राय ने न्यायालय में 19 जनवरी को आरोप पत्र प्रस्तुत किया. फिर विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत में सुनवाई शुरू हुई. पीड़िता, उसकी मां, मूक बधिर एक्सपर्ट और मेडिकल करने वाले डॉक्टर समेत 10 गवाह का परीक्षण कराया. न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने साक्ष्य, गवाहों के बयान और अधिवक्ताओं की दलील के आधार पर दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास के साथ एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

दो वर्ष अतिरिक्त सजा
मिर्जापुर विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट/अपर सत्र न्यायाधीश अच्छे लाल सरोज की अदालत ने 6 वर्षीय गूंगी व बहरी दलित बालिका के साथ दुष्कर्म करने के मामले में मात्र 24 दिनों में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राकेश यादव को दोषी पाया है. दोषी को आजीवन कारावास के साथ एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की राशि पीड़िता को दी जाएगी. इस फैसले पर पीड़िता की तरफ से पैरवी कर रही शासकीय अधिवक्ता ने इसे एक नजीर बताया. वहीं इस मामले से जुड़े शासकीय अधिवक्ता आलोक का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार और अनाचार में शामिल अपराधियों पर न केवल रोक लगेगी, बल्कि इतने कम समय में आने वाले फैसले से न्यायालय के प्रति आम लोगों में विश्वास बढ़ेगा.

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