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मेरठ की बच्ची को फ्री में लगा 16 करोड़ का इंजेक्शन, इस बीमारी से जूझ रही मासूम

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Published : Jun 20, 2021, 5:19 PM IST

मेरठ की मासूम ईशानी को दुर्लभ बीमारी से बचाव के लिए 16 करोड़ का जीवनरक्षक इंजेक्शन मिल गया है. शनिवार को ईशानी को दिल्ली के एम्स में 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया. इस जीवनरक्षक इंजेक्शन के लगने के बाद, जहां मासूम बच्ची के स्वस्थ होने की उम्मीद जगी हैं, वहीं परिजनों ने भी राहत की सांस ली है.

मेरठ की बच्ची को फ्री में लगा 16 करोड़ का इंजेक्शन
मेरठ की बच्ची को फ्री में लगा 16 करोड़ का इंजेक्शन

मेरठ : मेरठ की 21 महीने की मासूम ईशानी एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर से जूझ रही है. जिंदगी और मौत से जूझ रही मासूम बच्ची को शनिवार को दिल्ली के एम्स में 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया है. इंजेक्शन निर्माता कंपनी ने ग्लोबल मैनेजर एसे प्रोग्राम के तहत मासूम का चयन होने के बाद इंजेक्शन दिया है. खास बात ये है कि टैक्स समेत इस इंजेक्शन की अंतरराष्ट्रीय कीमत 22 करोड़ रुपये है, लेकिन भारत सरकार ने टैक्स के 6 करोड़ रुपये की छूट दी है. बताया जा रहा है कि इस इंजेक्शन के लगने के बाद ईशानी अब 3 महीने तक दिल्ली के एम्स में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगी.

इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़

आपको बता दें कि मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके की 21 माह की ईशानी ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी, जो पूरे देश में गिने चुने लोग ही हो सकते हैं. दिल्ली के एम्स ने ईशानी को एसएमए टाइप टू जानलेवा बीमारी की पुष्टि की थी. डॉक्टरों ने इस बच्ची की जिन्दगी बचाने के लिए ऐसा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. डॉक्टरों ने बच्ची को 22 करोड़ की कीमत का इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी. 22 करोड़ रुपये इकट्टा करना मासूम बच्ची के परिजनों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था. जिसके चलते परिजनों ने न सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये मदद मांगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद की गुहार लगाई थी. एक तरफ जहां मासूम के माता-पिता बच्ची को लेकर दिल्ली एम्स के चक्कर काट रहे थे, वहीं दादा-दादी बार-बार सरकार से मासूम बच्ची को बचाने की गुहार लगा रहे थे.

जानिए क्या है एसएमए बीमारी

एसएमए एक बहुत खतनाक बीमारी है. मासूम बच्ची ईशानी पल-पल इस बीमारी के असहनीय दर्द के साथ जी रही है. इशानी पिछले एक साल से स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी. यह एक जेनेटिक बीमारी है जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुंचती है. बच्चे में यह डिसऑर्डर होने पर धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर पड़ने लगता है. इससे बच्चा चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है. शरीर की मांसपेशियों पर बच्चे का कंट्रोल खत्म होने लगता है, इससे शरीर के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता.

बंद हो गई थी ईशानी के शरीर की मूवमेंट

परिजनों के मुताबिक ईशानी जब 9 माह की थी तो उसके पैरों का हिलना डुलना धीरे-धीरे बंद होने लगा था. ईशानी अब 21 महीने की है. इस बीमारी के कारण उसके पैरों में कोई हलचल नहीं हो पा रही थी. वह चाहकर भी पैरों को बिल्कुल नहीं हिला पाती थी. धीरे-धीरे अब इस बीमारी का असर ईशानी के हाथों में भी आने लगा था, जिससे दायां हाथ बहुत कम ही हिल पा रहा है. मासूम की इस बीमारी से पूरा परिवार परेशानी में था.

मासूम ईशानी
मासूम ईशानी

कीमत जान बेबश था परिवार
21 महीने की मासूम ईशानी मेरठ में ब्रह्मपुरी थाना इलाके की मास्टर कॉलोनी निवासी अभिनव वर्मा की बेटी है. अभिनव वर्मा दिल्ली की लॉजिस्टिक कंपनी में मात्र 25000 रुपए की नौकरी कर किसी तरह परिवार का पालन पोषण करते हैं. जबकि मासूम की मां नीलम घर में रहकर उसकी देखभाल करती हैं. परिजनों के मुताबिक जब ईशानी 10 माह की थी तब उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया था. नजदीकी डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने कैल्शियम की कमी बताकर दवाइयां दे दी. लेकिन कुछ दिन बाद धीरे-धीरे हाथों ने भी हिलना बंद कर दिया था.
एम्स में हुई थी स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी की पुष्टि
परिजनों ने इसके बाद दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में दिसंबर-2020 में ईशानी को दिखाया, तो डॉक्टरों ने नसों की बीमारी बताई. 26 दिसंबर को गंगाराम हॉस्पिटल में खून की जांच कराई तो 12 जनवरी 2021 को आई जांच रिपोर्ट में स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA) टाइप-2 का पता चला. सही बीमारी का पता चला तो डॉक्टरों ने इलाज के लिए 22 करोड़ का टीका लगाने की सलाह दी. टीके की कीमत सुनते ही मासूम ईशानी के पूरे परिवार के पांव तले जमीन खिसक गई. मानों उनके ऊपर दुःखों का एक और पहाड़ टूट पड़ा हो.
16 करोड़ के टीके पर 6 करोड़ का टैक्स
ईशानी के पिता अभिनव वर्मा बताते हैं कि इंजेक्शन की वास्तविक कीमत 16 करोड़ रुपये है. लेकिन इस पर 6 करोड़ रुपए टैक्स बताया जा रहा था. जिससे इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़ रुपये मानी जा रही थी. डॉक्टरों के मुताबिक यह टीका दुनिया के सबसे महंगे टीकों में से एक है. 22 करोड़ रुपये जुटाना उनके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था. लेकिन केंद्र सरकार ने इस महंगे इंजेक्शन पर 6 करोड़ के टेक्स में छूट कर दी. जिसके बाद भारत में इस इंजेक्शन को 16 करोड़ रुपये में लाया गया.


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दवा कंपनी ने निःशुल्क लगाया 16 करोड़ का इंजेक्शन

जानकारी के मुताबिक दवा निर्माता कंपनी ने ग्लोबल मैनेजर एसे प्रोग्राम चलाया था. इस प्रोगाम के तहत कंपनी हर साल 100 बच्चों को निःशुल्क इलाज के लिए चयन करती है. कंपनी के प्रोग्राम में 21 माह की ईशानी का भी चयन हुआ है. शनिवार को दिल्ली के एम्स में स्पाइनल मस्कुलर टाइप-2 का जोलगेन्समा इंजेक्शन दिया गया है. इस इंजेक्शन की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में 16 करोड़ बताई जा रही है. बच्ची को अब तीन महीने तक एम्स में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. जहां डॉक्टरों की टीम इस खतरनाक बीमारी का इलाज करेगी. कंपनी की तरफ से 16 करोड़ का इंजेक्शन लगने के बाद, जहां बच्ची की जान बच जाएगी वहीं परिजन भी बहुत खुश हैं.


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