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70-80 फीसदी कैदियों की उम्र 40 साल से कम, उनके व्यवहार में परिवर्तन लाना मुख्य लक्ष्य: मंत्री धर्मवीर प्रजापति

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Published : Oct 30, 2022, 11:00 AM IST

होमगार्ड मंत्री.
होमगार्ड मंत्री.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि यूपी की जेलों में 70 से 80 फीसदी कैदियों की उम्र 40 साल से कम है. ऐसे कैदियों के व्यवहार में परिवर्तन लाना सरकार का लक्ष्य है.

लखनऊ: प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड मंत्री (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत की. जहां उन्होंने बंदियों के जीवन में सुधार के लिए किए जा रहे तमाम क्रियाकलापों के बारे में बताया. उन्होंने ये भी बताया कि बंदियों के व्यवहार परिवर्तन के लिए क्या-क्या कदम सरकार उठा रही है. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.

जानकारी देते जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति.

प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड विभाग के मंत्री धर्मवीर प्रजापति (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत की. जहां उन्होंने बताया कि जेलों में 40 वर्ष तक के बंदियों की संख्या का प्रतिशत सबसे ज्यादा है. 70 से 80 फीसदी युवा 40 वर्ष तक के हैं जो कि प्रदेश की जेलों में निरुद्ध हैं. उन्होंने कहा कि सभी कैदी पेशेवर नहीं हैं अनायास घटना घटने से भी इंसान कैदी बन जाता है. मानवीय दृष्टि से ऐसे बंदियों को संभलने का अवसर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब से वे कारागार मंत्री बने हैं तब से लगातार जेलों में सुधार कैसे हो, बन्दियों के व्यवहार में बदलाव कैसे हो इसी पर कार्य कर रहे हैं. गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा व मार्गदर्शन में जेलों में सुधार को कारगर कदम उठाए जा रहे हैं.

कारागार मंत्री ने बताया कि अलग-अलग जेलों में जाकर वहां बन्दियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के संकल्प के साथ संवाद कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस प्रयास से कारागार में निरुद्ध बन्दियों के जीवन में आने वाले समय में निश्चित ही बड़े बदलाव होंगे.

मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि मंत्री बनने के बाद से शनिवार को मेरठ जिला जेल 35वीं प्रदेश की ऐसी जेल है. जहां वे बन्दियों से संवाद के माध्यम से उनके हृदय परिवर्तन को प्रयत्नशील हैं. वे बताते हैं कि संवाद के दौरान वे उन्हें सुधारने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं. उनसे जुड़ते हैं उनकी समस्याओं को समझते हैं उन्हें एहसास कराते हैं कि उनके परिवार वालों को किस तरह जीवन जीना पड़ता है. जब उनके अपने घर का सदस्य सलाखों के पीछे हैं. मानते हैं कि भले ही प्रतिशत कम रहे लेकिन बंदियों के व्यवहार में बदलाव जरूर होगा.

कारागार मंत्री ने कहा कि बन्दियों को हुनरमंद बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. बन्दियों के द्वारा जो कुछ भी बनाए जाएं. उन प्रोडक्ट्स को बिक्री के लिए आउटलेटस का भी कॉन्सेप्ट है. 42 जेलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए टीचर्स भी नियुक्त हैं, जिन जेलों में टीचर्स नहीं हैं वहां बंदीरक्षक महिलाओं को ये जिम्मेदारी दी हुई है. खास बातचीत के दौरान कारागार मंत्री ने बताया कि जेलों में बच्चों के खेलने कूदने के लिए चिल्ड्र्न पार्क बनावा रहे हैं. गाय के गोबर से अंत्येष्टि के लिए लकड़ियां तैयार करने का काम भी जेलों में हो रहा है.

जेलों में क्षमता से अधिक बन्दियों के होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जिन जेलों में जगह है उन जेलों में नई बैरक बना रहे हैं. 10 जिले ऐसे हैं जहां जेल नहीं हैं, वहां जमीन चिन्हित हो चुकी हैं. जेलों का निर्माण शीघ्र शुरू होने जा रहा है. जेल मंत्री का कहना है कि क्योंकि जेलों में युवाओं की संख्या बेहद ज्यादा है ऐसे में कॉलेजों में भी जाकर युवाओं से संवाद स्थापित कर रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को सफल बनाएं. क्योंकि युवा जागरूक होंगे तो अपराधिक घठनाएं निश्चित ही कम होंगी.

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