इस दर्द को कब समझेगी सरकार: उजड़ गए आशियाने, बेघर हुए लोग

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Published : Sep 5, 2021, 7:17 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 8:26 PM IST

मऊ के कई गांव में घाघरा का पानी

घाघरा नदी का जलस्तर (water level of Ghaghra river) तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है. घाघरा नदी लाल खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नदी का पानी कई गांवों में पहुंच गया है. इन गांवों में इंसानों के खाने-पीने का इंतजाम किसी तरह हो जा रहा है, लेकिन जानवर भूखों मर रहे हैं. कई गांवों का संपर्क मार्ग टूट चुका है, जिससे आने-जाने के लिए नाव ही सहारा है.

मऊ: घाघरा नदी का जलस्तर निरंतर (water level of Ghaghra river) बढ़ता ही जा रहा है. घाघरा नदी ग्रामीणों की परेशानी का सबब बन गई है. देवारा क्षेत्र में घाघरा नही खतरे की बिंदु से 30 सेमी ऊपर बह रही है. लिहाजा, मधुबन तहसील क्षेत्र के दर्जनों गांव नदी के पानी से चारों तरफ घिर गए हैं. यहां, धान की खेती भी बुरी तरीके से प्रभावित हो गई है. धान के खेतों में नदी का पानी ही नहीं बह रहा है, बल्कि उसमें नाव चलने लगी हैं. गांव के अंदर पानी घुस गया है कई ग्रामीणों के आशियाने को नदी ने छीन लिया है. बाढ़ पीड़ित नाव के सहारे खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. हालांकि, प्रशासन बाढ़ राहत शिविर में उनके खाने पीने रहने की पूरी व्यवस्था करने की बात कह रहा है, लेकिन जो ग्रामीणों ने आरोप लगाए हैं, वो काफी दुखद है.

दरअसल, इन दिनों जनपद के देवारा क्षेत्र में घाघरा नदी का कहर तेजी के साथ ग्रामीण जनजीवन को प्रभाावित कर रहा है. यहां, मधुबन तहसील क्षेत्र में दर्जनों गांव बाढ़ के चपेट में हैं. बिंदटोलिया, दुबारी, चक्की और मूसाडोही सहित दर्जनों गांव के ग्रामीण नाव के सहारे दैनिक कार्य कर रहे हैं. वहीं, प्रशासन द्वारा इन बाढ़ पीड़ितों को जो सुविधाएं दी जा रही हैं वो नाममात्र हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस मुश्किल दौर में भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने के बजाय केवल दूर-दूर से सब कुछ अच्छा कर रहे हैं, लेकिन अंदर की बात यह है कि यहां पर लोग परेशान हैं. नाव की संख्या सीमित है. लोग किसी तरह जरूरत का सामान और दवा इलाज के लिए बाहर बाजार जा पा रहें हैं. आलम यह है कि अगर, रात के वक्त कोई बीमार पड़ जाए तो उसे उसे बाढ़ के पानी से निकालने के लिए नाव तक की व्यवस्था नहीं है. आरोप है कि राहत सामग्री भी केवल कुछ लोगों को मिली है.

संवाददाता अभिषेक सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट.

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गांव दुबारी के ग्राम प्रधान सप्पन कनौजिया ने बताया की बाढ़ से पूरा जनजीवन बेहाल है. लोग परेशान हैं. कुछ लोगों को राहत किट मिली थी. वह भी केवल एक सप्ताह के लिए. गांवों में बाढ़ का पानी घुसे हुए करीब 10 दिन से ज्यादा हो गए हैं. लगातार नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. नाव की संख्या सीमित है, जिससे लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. सप्पन आगे बताते हैं कि इंसानों का काम तो किसी तरह चल जा रहा है, लेकिन जानवरों की समस्या सबसे अधिक है. चारा और भूसा सब पानी में डूब चुका है. गांव वाले कहीं दूर से हरे चारे की व्यवस्था कर रहें हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई प्रबन्ध नहीं किए गए, जिससे जानवरों को भूखा रहना पड़ रहा है.

संवाददाता अभिषेक सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट.
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए अधिकारियों के दावे जो हैं वह केवल फाइलों तक ही हैं. इसका नजारा दुबारी बाढ़ चौकी पर देखने को मिला. क्षेत्र में बाढ़ को आए दो सप्ताह से अधिक का वक्त बीत चुका है, लेकिन शनिवार को विशेष सचिव मुकेश मेश्राम के दौरे को देखते हुए प्रशासन ने आनन फानन में मेडिकल कैम्प लगाया. जहां दवा लेने के लिए बाढ़ पीड़ितों की भीड़ लग गई. नोडल अधिकारी विशेष सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि बाढ़ से कोई नुकसान नहीं है. सब व्यवस्था ठीक है. आगे भी जो समस्या है उसे दूर किया जा रहा है. नाव की संख्या बढ़ाई जाएगी.

Last Updated :Sep 5, 2021, 8:26 PM IST
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