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उज्ज्वला योजना : महोबा के लोगों ने कहा, सरकार ने मुफ्त सिलेंडर तो दिया पर मंहगाई में इसे भरवाएं कैसे

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Published : Aug 12, 2021, 4:06 PM IST

महोबा में ही उज्ज्वला योजना के प्रथम चरण के बाद से इसके क्या हालात हैं, इसकी तस्वीर दावों से बिल्कुल अलग है. गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम और सब्सिडी कम होने से लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ रहीं हैं. विभागीय आंकड़ों की मानें तो जिले में 90 हजार 149 लाभार्थी जिला पूर्ति कार्यालय में दर्ज है.

सरकार ने मुफ्त सिलेंडर तो दिया पर मंहगाई में इसे भरवाएं कैसे

महोबा : जिले में बीते 10 अगस्त को उज्ज्वला योजना के द्वितीय चरण का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल तरीके से किया. कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद आकर उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत करते हुए महिलाओं को सिलेंडर देकर योजना की शुरुआत की थी. उज्ज्वला योजना के अंतर्गत महोबा जिले में प्रथम चरण में करीब 90 हजार लाभार्थियों को मुफ्त सिलेंडर बांटे गए.

केंद्र सरकार ने बेशक उज्ज्वला योजना के पहले चरण को सफल बताकर दूसरे चरण का शुभारंभ कर दिया हो लेकिन आंकड़ों की मानें तो उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों में मात्र 30 से 40 प्रतिशत लोग ही सिलेंडर भरवाते हैं. बाकि सिलेंडर लाभार्थियों के घरों में शोपीस बनकर रखे हुए हैं.

महोबा में ही उज्ज्वला योजना के प्रथम चरण के बाद से इसके क्या हालात हैं, इसकी तस्वीर दावों से बिल्कुल अलग है. गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम और सब्सिडी कम होने से लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ रहीं हैं. विभागीय आंकड़ों की मानें तो जिले में 90 हजार 149 लाभार्थी जिला पूर्ति कार्यालय में दर्ज है.

सरकार ने मुफ्त सिलेंडर तो दिया पर मंहगाई में इसे भरवाएं कैसे

यह भी पढ़ें : PM मोदी ने महोबा से की उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत, कहा- पानी की तरह गैस भी पाइप से आए

महोबा गैस सर्विस के कर्मचारी रामभक्त राठौर की माने तो इनकी एजेंसी में 68 सौ उज्ज्वला योजना के उपभोक्ता हैं. इनमें केवल 30 से 40 फ़ीसदी लोग ही गैस भराने के लिए एजेंसी आते हैं. ऐसा ही हाल महोबा की अन्य गैस एजेंसियों का भी है.

महोबा मुख्यालय के आलमपुरा इलाके में रहने वाली ममता को 2018 में उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर दिया गया. बढ़ती महंगाई के कारण वह उसमें खाना ही नहीं बना पा रहीं हैं.

ममता बताती है कि वह एक मजदूर महिला हैं. ऐसे में नौ सौ रुपये में सिलेंडर भरवाने में वो असमर्थ है. हकीकत यह है कि उनके घर रखा उज्ज्वला योजना का सिलेंडर सिर्फ शो पीस बनकर रह गया है.

जंगल से लकड़ी का गट्ठा लेकर पहुंची ममता की बेटी रानी बताती है कि जब उन्हें 2018 में उज्ज्वला योजना का सिलेंडर मिला तो वह बेहद खुश थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. रानी बताती है कि वह खुद लकड़ियों को कुल्हाड़ी से काटकर खाना बनाने के लिए ईंधन तैयार करती है.

उनके घर में रखा उज्ज्वला योजना का सिलेंडर उनकी गरीबी का मजाक उड़ा रहा है. चूल्हे से उठा धुंआ और चूल्हे पर बनती चाय का इंतजार पास में बैठा ममता का पति कमलप्रसाद कर रहा है लेकिन गीली लकड़ी और उठता धुंआ चाय ही नहीं बनने दे रहा.

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