महोबा: मुंबई से पैदल चली शबनम शेख (Mumbai's Shabnam Sheikh reaches Mahoba) 28 दिन का सफर तय कर शुक्रवार को बुंदेलखंड के महोबा पहुंची. 1350 किलोमीटर के सफर में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के रास्ते महोबा पहुंची शबनम शेख का हिंदू संगठन ने जोरदार स्वागत किया. 20 वर्ष की शबनम बचपन से ही भगवान राम में आस्था रखती चली आई हैं और इस कठिन पैदल यात्रा में उसके पैरों में छाले पड़ चुके हैं.
शबनम अपने दोस्तों के साथ भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होकर अपने भाव को उनके सामने रखना चाहती है. सफर में तमाम दुश्वारियों के बीच शबनम के चेहरे में ना थकान दिखाई दी और न ही उनके चेहरे में कोई मायूसी है. राम नाम और राम भजन गाते हुए शबनम अपने सफ़र को आसान बना रही है. अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा पर समूचे देश के रामभक्तों में उत्साह दिखाई पड़ रहा है. भगवान राम से आस्था के चलते राम भक्त धर्म को भी आड़े नहीं आने दे रहे. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के मुंबई में रहने वाली शबनम शेख की.
सिर में हिजाब बांधे शबनम शेख हाथ में भगवान राम का ध्वज लेकर अयोध्या के लिए पैदल निकली हैं. शबनम शेख अपने दोस्तों के साथ 1578 किलोमीटर के कठिन सफर को तय कर अयोध्या जाने की मंशा रखती है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमाओं से होते हुए शबनम शेख अपने सफर की 29वें दिन बुंदेलखंड के महोबा में है. हाड़ कपाऊ ठंड और लंबा सफर भी उसकी आस्था के सामने छोटी नजर आ रही है. महोबा पहुंचते ही शबनम और उसके साथियों का हिंदू संगठन के लोगों ने जोरदार स्वागत किया.
रास्ते में थकावट होने के चलते सड़क किनारे बैठी शबनम अपने पैरों पर पड़ चुके छालों की तकलीफ को मिटाने की नाकाम कोशिश कर रही हैं, तो वहीं पैरों में हो रहे दर्द को अपने ही हाथों से दबाकर काम करने की भी कोशिश शबनम करती दिखाई दी हैं. 1350 किलोमीटर के इस लंबे सफर के बाद शबनम बताती हैं कि उनके पैरों में छाले पड़ चुके हैं. पैरों का दर्द भी असहनीय हैं, मगर प्रभु राम से अपार स्नेह और लगन के चलते यह दर्द भी उसे महसूस नहीं हो रहा.
शायद यही वजह है कि शबनम बिना रुके भगवान राम के दरबार जाने के लिए चले जा रही हैं. हाथ में रामध्वज लेकर शबनम राम भजन गाती दिखाई दे रही हैं. शबनम बताती है कि वह मुंबई के जिस इलाके में रहती है वहां आपसी प्रेम और भाईचारा इस कदर है कि लोग एक दूसरे के त्योहारों को परंपरा तरीके से मानते चले आ रहे हैं. उसने अजान के साथ-साथ भजन को भी बचपन से सुना है.
इसके चलते उसके मन में प्रभु राम से अपार स्नेह और लगन लग चुकी है. इसी के तहत वह 500 वर्षों बाद भगवान राम के सिंहासन पर विराजमान होने पर इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनना चाहती हैं. वह बताती हैं कि उसके मन में बहुत सारे भाव हैं, जो भगवान राम के दरबार में पहुंचकर वह व्यक्त करेंगी. इस दौरान जगह-जगह लोगों ने उनका स्वागत कर हौसला बढ़ाया.