गांव के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का खेल, रोकने में शासन प्रशासन फेल

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Published : Aug 21, 2021, 2:00 PM IST

महराजगंज विकास विभाग में भ्रष्टाचार.

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में गांव के विकास कार्यों के लिए आवंटित धन का खूब गोलमाल हो रहा है. जिले में कहीं कार्य किए बगैर ही सरकारी धन का बंदरबाट किया जा रहा है, तो कहीं बिना सूचना बोर्ड लगाए ही कार्य कराया जा रहा है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

महराजगंज: जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों में मनरेगा समेत विभिन्न विकास कार्यों में खूब गोलमाल हो रहा है. बिना काम कराए धन का आहरण कर बंदरबाट का खेल चल रहा है. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियम है कि कार्य शुरू होने से पहले कार्यस्थल पर कार्य का बोर्ड लगाया जाए, लेकिन यहां जिले के अधिकांश गांव में कार्य के समय बोर्ड नहीं लगाया जा रहा है. कार्य पूरा होने के कई माह बाद अधूरे विवरण के साथ बोर्ड लगाया जा रहा है. इसमें गांव से लेकर ब्लॉक व जिला स्तर पर मिलीभगत की बात सामने आ रही है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं. गांव के चौमुखी विकास के लिए आए धन से कुछ गांव के ग्राम प्रधान और पंचायत अधिकारी सिर्फ अपना विकास कर रहे हैं.

महराजगंज विकास विभाग में भ्रष्टाचार.
गांव के चौमुखी विकास के लिए शासन से राज्य वित्त आयोग के साथ ही मनरेगा का भी भारी भरकम बजट जारी किया जाता है, लेकिन जिले के कई गांव में प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारियों ने इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है. शासन का निर्देश है कि ग्रामीणों की जानकारी के लिए मनरेगा कार्य शुरू होने से पहले वहां कार्य का नाम, स्वीकृति लागत, कार्य शुरू होने की तिथि, कार्य समाप्ति की तिथि, आदि विवरण लिखना होता है. इसका मकसद यही है कि गांव के लोगों को यह पता चल जाए कि उनके गांव में कौन सा कार्य कितने की लागत से हो रहा है. इससे जिम्मेदार फर्जीवाड़ा अधिक नहीं कर पाएंगे, लेकिन अधिकांश गांव में बिना कार्य का बोर्ड लगाए ही कार्य कराया जा रहा है. पिछले कार्य का भुगतान भी हो गया, लेकिन बोर्ड तक नहीं लगाया गया. जहां लगा वहां धनराशि का अंकन ही नहीं किया गया है. यही वजह है कि जिले के परतावल और घुघली ब्लॉक में लाखों रुपये का घोटाला जिम्मेदार अधिकारियों के आंखों के सामने हो गया.
घुघली के खंड विकास अधिकारी प्रवीण कुमार शुक्ल द्वारा सदर कोतवाली में तहरीर देकर दर्ज कराए गए एआईआर के अनुसार परतावल और घुघली ब्लॉक में हुए 1.54 करोड़ के मनरेगा घोटाले का मास्टरमाइंड अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी विनय मौर्य को बर्खास्त किर दिया गया है. साथ ही दो और कंप्यूटर ऑपरेटरों की सेवा भी समाप्त कर दी गई है. सिर्फ परतावल व घुघली ब्लॉक में ही एक करोड़ 54 लाख 10 हजार 173 रुपये का फर्जी तरीके से भुगतान किया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में परतावल ब्लॉक के बरियरवा में तालाब सुन्दरीकरण के नाम पर 25 लाख 87 हजार 920 रुपये का गबन कर लिया गया, जिसमें 28 मई को एपीओ विनय कुमार मौर्य सहित 6 के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है. इस घोटाले में एपीओ की सेवा समाप्त की जा चुकी है. सदर कोतवाली में दर्ज एफआई के अनुसार घुघली क्षेत्र में एक करोड़ 28 लाख के घोटाले का मास्टरमाइंड एपीओ विनय कुमार मौर्य ही है. इस तरह से जिले के 12 ब्लॉकों में घोटाले का खेल खेला जा रहा. इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी मुकदर्शक बने हुए हैं, जिसके कारण कार्यस्थल पर बिना सूचना बोर्ड लगाए कार्य कराया जा रहा है. यह खेल किसी एक ब्लॉक में नहीं, बल्कि जिले के 12 ब्लॉकों में यह खेल चल रहा है.


मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि जिले के सभी ब्लॉक में हो रहे कार्यस्थल पर सूचना बोर्ड लगाने के लिए सख्त निर्देश दिया गया है. भ्रष्टाचार में लिप्त किसी को छोड़ा नही जाएगा.

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