लखनऊ: लखनऊ अपनी ऐतिहासिकता, कारीगरी और खानपान के लिए काफी मशहूर है. इस शहर से जुड़े तमाम ऐसे पहलू हैं, जो लखनऊ के ऐतिहासिकता को मजबूत बनाए रखते हैं. इन पहलुओं को जानने के लिए अक्सर लोग योगेश प्रवीण के पास आते हैं जो खुद अपने आप में एक लखनऊ शहर हैं.
डॉ. योगेश ने फिल्मों में भी दिया है अपना योगदान
डॉ. योगेश प्रवीण को राजथानी का ज्ञानकोष कहा जा सकता है. कविता, कहानी, उपन्यास, गीत, नाटक, 8 गजल जैसी हर विधा में डॉ. प्रवीण को महारत हासिल है. उन्होंने अपनी लेखनी से तमाम फिल्मों में अपना योगदान दिया है, तो वहीं साहित्य और रंगमंच जगत में भी इनका कोई तोड़ नहीं है.
योगेश प्रवीन को पद्मश्री से नवाजा गया
योगेश कहते हैं कि मां की इच्छा थी कि उन्हें पद्मश्री मिले, तब वह अपने काम में लीन होकर बस सारा समय अपने काम में ही लगाते रहे. अब जब उन्हें पद्मश्री मिला है तो वह इसका पूरा श्रेय अपने चाहने वालों और प्रशंसकों को देते हैं. वह कहते हैं कि उनकी वजह से उन्हें यह नाम, शोहरत और अब यह पद्मश्री सम्मान मिल रहा है.
लगभग 25 किताबें डॉ. प्रवीण के नाम
डॉ. प्रवीण की लेखनी गद्य के रूप में काफी परिचित है, लेकिन काव्य की विधा में भी उन्होंने काफी नाम कमाया है. अवध के संदर्भ में उनकी लगभग 25 किताबें अब तक छप चुकी हैं और काव्य में तकरीबन 10 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. इनमें से 'अपराजिता'- रामकथा पर महाकाव्य एक ऐसी कृति है, जिस पर राज्य सरकार द्वारा उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है.
पद्मश्री से नवाजे जाने की घोषणा के बारे ईटीवी भारत ने जब उनसे बातचीत की तो उन्होंने लखनऊ की ऐतिहासिकता से जुड़े कुछ वाक्ये सुनाए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे इस बात का काफी हर्ष होता है कि हमारी आज की युवा पीढ़ी भी लखनऊ की शैली बातचीत के अंदाज और यहां के नफासत को अपने अंदर डाल रही है और यह पूरी दुनिया में देखने को मिल जाता है.
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