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कोयले पर निर्भरता की जा रही कम, बायोमास को दिया जा रहा है बढ़ावा : ऊर्जा मंत्री

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Published : Jul 17, 2023, 1:45 PM IST

राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से कार्यशाला आयोजित की गई. इस दौरान ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, उत्पादन निगम के अध्यक्ष एम. देवराज व उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरुप्रसाद समेत अन्य लोग मौजूद रहे.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि 'सरकार प्रदेश के थर्मल तापीय परियोजनाओं में कृषि अवशेषों और बायोमास पैलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए उद्योगपतियों और किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे तापीय परियोजनाओं में कोयले पर निर्भरता में कमी आए और वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन में नेट जीरो एमीशन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. थर्मल पावर प्लांट में को-फायरिंग के लिए कोयले के साथ कृषि अवशेष व बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ाने से किसानों और उद्यमियों की आय में बढ़ोतरी होगी. कृषि अवशेष और पराली के न जलाने से वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी. ऊर्जा मंत्री शनिवार को राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से आयोजित कार्यशाला के दौरान यह बातें कहीं. यह कार्यशाला तापीय परियोजनाओं में बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दिए जाने और उद्यमियों को बायोमास के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की गई.




ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि 'देश बायोएनर्जी की ओर बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए पहल कर रही है, बायोमास के उत्पादन के लिए गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं. बायो एनर्जी नीति के तहत उद्यमियों को कई सारी सुविधायें दी जा रही हैं. कोयला बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं, लेकिन बायोमास हमारे आस-पास प्रतिवर्ष उत्पन्न होता है, यही सब रिन्युएबल सोर्स हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब, गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश बायोमास के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. किसानों से 1.50 रुपये से दो रुपये प्रतिकिलो की दर से कृषि अवशेष खरीदा जा रहा है. बायोमास क्षेत्र 55 हजार करोड़ रुपए से बड़ा बाजार है. इसके बढ़ने से प्रतिवर्ष 20 से 30 हजार करोड़ रुपए किसानों को फायदा होगा और 25 से 30 करोड़ रुपए का फायदा बायोमास पेलेट्स उत्पादनकर्ता को होगा. इससे रोजगार बढ़ेगा और लोगों को अपने घर के आस-पास काम मिलेगा. हमारे देश में प्रतिव्यक्ति बिजली उपभोग करने की क्षमता दुनिया के अधिकांश देशों से बहुत कम हैं. प्रदेश में अभी एनटीपीसी के तीन और प्रदेश के दो पॉवर प्लांट्स में बायोमास पेलेट्स का प्रयोग किया जा रहा है. हमारे देश में मात्र 0.5 प्रतिशत ही बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पावर प्लांट्स में हो रहा है, जबकि विश्व के अन्य देशों में 10 से 14 प्रतिशत तक बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पावर प्लांट में किया जा रहा है.'

उत्पादन निगम के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया कि 'कृषि अवशेष और बायोमास का पॉवर प्लांट में उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आयेगी. किसान अपनी पराली को जलाने के बजाय इसे बेचेंगे. इससे वायु प्रदूषण को नियंत्रित भी किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 60 मिलियन टन बायोमास उपलब्ध है. इसमें से 43 मिलियन टन राइस बेस्ड हैं. प्रदेश में सात हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए 100 मिलियन टन कोयले का खपत हो रही हैं. प्रदेश में 10 प्रतिशत लगभग 10 मिलियन टन बायोमास के उपयोग से पांच हजार करोड़ रुपये की बचत होगी.'



उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरुप्रसाद ने बताया कि 'कार्बन उत्सर्जन कमी के लिए रिन्युएवल एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है, फिर भी अलगे 30 वर्षों तक कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट पर निर्भरता बनी रहेगी. अभी बिजली उत्पादन में 68 करोड़ टन कोयला जलता है, जिससे 112 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन होता है.' मिशन डायरेक्टर समर्थ मिशन सुदीप नाग ने बताया कि 'मिशन बायोमास को-फायरिंग को बढ़ावा देने के लिए गम्भीर प्रयास कर रहा है. बायोमास पैलेट्स निर्माणकर्ताओं को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.'

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