ETV Bharat / state

लखनऊ मुख्यालय में बैठा रह गया अधिकारियों का अमला, नाक के नीचे वाला बस डिपो भी बिका !

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 2:48 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

यूपी परिवहन निगम के 19 बस डिपो को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय (Privatization of Bus Depot) लिया जा सका है. इसमें लखनऊ मुख्यालय से सटे अवध डिपो का नाम भी शामिल है. ऐसे में रोडवेज कर्मचारियों समेत सियासी गलियारों से तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.

लखनऊ के अवध डिपो का निजीकरण होने से कर्मचारियों में नाराजगी. देखें खबर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय पर करीब आधा दर्जन तकनीकी अधिकारी और मुख्यालय के सबसे बड़े अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रह गए और हेडक्वार्टर की दीवार से लगे डिपो के बिकने की नौबत आ गई. उत्तर प्रदेश के जिन 19 डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला लिया गया उनमें लखनऊ का अवध डिपो भी शामिल है. इस अवध डिपो की दीवार मुख्यालय से लगी हुई है इन कमरों में मुख्य प्रधान प्रबंधक से लेकर प्रधान प्रबंधक और सेवा प्रबंधक बैठते हैं, लेकिन वे इस डिपो को भी प्राइवेट हाथों में जाने से नहीं रोक पा रहे हैं. इसी काम को पूरा करने के लिए हर माह इन अधिकारियों को लाखों रुपये वेतन मिलता है.

निजीकरण होने वाले बस डिपो की लिस्ट.
निजीकरण होने वाले बस डिपो की लिस्ट.

निजीकरण की भेंट चढ़ गया डिपो : परिवहन निगम के जिन टेक्निकल अधिकारियों के कंधों पर पूरे प्रदेश में संचालित हो रहीं बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी है उनके काम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह मुख्यालय पर ही जमे रहे और उनकी नाक के नीचे का डिपो ही निजीकरण की भेंट चढ़ गया. बात हो रही है उत्तर प्रदेश के एकमात्र एसी बसों के हब वाले अवध डिपो की. अवध डिपो से सिर्फ वातानुकूलित बसों का ही संचालन होता है. यहां पर बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी अभी तक परिवहन निगम के अधिकारी निभाते आ रहे हैं, लेकिन हाल ही में बोर्ड बैठक हुई और उसमें फैसला ले लिया गया कि उत्तर प्रदेश के सभी रीजन का एक-एक डिपो प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाएगा. निगम प्रशासन के इस फैसले के बाद कर्मचारी ही अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने लगे हैं.

यूपी परिवहन निगम की पहल.
यूपी परिवहन निगम की पहल.



स्पेयर पार्ट्स ही नहीं मिलते : परिवहन निगम के कर्मचारी डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने के पीछे बड़ी चाल मान रहे हैं. आरोप है कि परिवहन निगम के अधिकारियों ने डिपो में इसीलिए स्पेयर पार्ट्स और कर्मचारियों की कमी पूरी नहीं की जिससे डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंपा जा सके. जब समय पर स्पेयर पार्ट्स मिलेंगे नहीं तो बसों की मरम्मत कैसे हो पाएगी. यही वजह है कि रोडवेज बसें बीच रास्ते खराब हो जाती हैं और इसी का बहाना लेकर बसों के रखरखाव का जिम्मा प्राइवेट हाथों को सौंपा जा रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि अगर समय पर डिपो को स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराए जाएं तो प्राइवेट फर्म को डिपोज बेचने ही नहीं पड़ेंगे. तकनीकी कर्मचारी दे दिए जाएं तो भला डिपो का काम बेहतर कैसे न हो सके.

यूपी परिवहन निगम न्यूज.
यूपी परिवहन निगम न्यूज.


अवध डिपो प्राइवेट के हवाले : लखनऊ रीजन की बात करें तो यहां पर एसी बसों के हब वाले अवध डिपो की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म संभालेगी. यानी अब ऐसी बसों का मेंटेनेंस परिवहन निगम के कर्मचारियों के बजाय प्राइवेट कर्मचारी करेंगे. गर्मी के मौसम में अमूमन हर रोज एसी जनरथ बसों के बीच रास्ते खराब होने या फिर एसी न चलने की यात्रियों की शिकायतें आती रही थीं जिससे अब डिपो के बसों की मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला लिया गया है.





डिपो को प्राइवेट हाथों में बेचा जा रहा : उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता रजनीश मिश्रा इस बात से काफी नाराज हैं कि परिवहन निगम के डिपो को प्राइवेट हाथों में बेचा जा रहा है. उनका कहना है कि यह सब परिवहन निगम के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ही हो रहा है. जब डिपो को समय से स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे, कुशल कर्मचारी नहीं दिए जाएंगे तो फिर बेसन के मरम्मत का काम तो बाधित होगा ही. इसी का फायदा उठाकर यह अधिकारी डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंप रहे हैं. निजीकरण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो कभी नहीं कहा. वह तो हमेशा परिवहन निगम की तारीफ ही करते हैं. यह सब अधिकारियों की ही चाल है. वही निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं. जब मुख्यालय पर इतने अधिकारी बैठते हैं तो वह मुख्यालय के पीछे वाले अवध डिपो की देखभाल नहीं कर पाए तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अपने काम के प्रति कितने गंभीर हैं.




यह भी पढ़ें : इनकम हुई कम तो अब सभी तरह की Bus Fare कम करने की तैयारी कर रहा परिवहन निगम

UPSRTC News : मौत की नींद सोने को मजबूर रोडवेज के संविदा चालक परिचालक, अब जाग रहे अफसर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.